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फोकस साहित्य

बैडमिंटन का खेल

आर्मी के खेल प्रतियोगिता में  कर्नल साहब के हाथों भरे दरबार में पदक या पुरुस्कार लेना एक गर्व की बात होती थी क्योंकि उस समय पूरे रेजिमेंट...

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80 के दशक का वैलेंटाइन्स वीक और वैलेंटाइन डे

ये hug day तो हमारा संस्कार नहीं है ना और ऊपर से  मुहल्ले की ही है ऊ भी दूर के रिश्ते में। ज़्याद इधर उधर किए तो अपने ही घरवाले पीट...

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 भाग्य या पुरुषार्थ

जब इन दोनों का विश्लेषण किया तो पाया मैंने समय को बदलते देखा है । कल तक जो बैठे थे सिंहासन पर , उनको भी पैदल चलते देखा है .....

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कुम्हार...

स्वेद बिंदु से पोषित कर ,आंच पर जांचता,परखता हूं,कोयले की खदान से हीरे की खेप निकालता हूं। कभी कभी अपना हीं बचपन .....

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