Navratri 2023: नवरात्रि पर प्रवेश द्वार पर क्यों बांधा जाता है बंदनवार, पढ़े नौ देवियां और नौ रंग

क्या आपको पता है आखिर क्यों यह बंदनवार बांधा जाता है। दरअसल इससे घर में नकारात्मक या बुरी शक्तियां प्रवेश नहीं करतीं। माना जाता है कि देवी माँ की पूजा के दौरान देवी के साथ तामसिक शक्तियां भी घर में प्रवेश करती हैं...

Navratri 2023: नवरात्रि पर प्रवेश द्वार पर क्यों बांधा जाता है बंदनवार, पढ़े नौ देवियां और नौ रंग

फीचर्स डेस्क। नवरात्रि का पर्व शक्ति का आराधना और साधना का पर्व माना गया है। धार्मिक मान्याताओं के अनुसार मां दुर्गा को लाल रंग बहुत ही प्रिय होता है। लाल रंग को वास्तु में भी शक्ति और शौर्य का प्रतीक माना गया है इसलिए देवी को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र, श्रृंगार की वस्तुएं और फूल यथासंभव लाल रंग के ही होने चाहिए। 

नवरात्रि पर प्रवेश द्वार पर क्यों बांधा जाता है बंदनवार ?

हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा की उपासना का समय होता है। नवरात्रि के पहले दिन घर की साफ-सफाई और मुख्य द्वार पर बंदनवार बांधा जाता है। देवी मां की पूजा-अनुष्ठान के दौरान घर के प्रवेश द्वार पर आम या अशोक के ताज़े हरे पत्तों की बंदनवार लगाईं जाती है।  क्या आपको पता है आखिर क्यों यह बंदनवार बांधा जाता है। दरअसल इससे घर में नकारात्मक या बुरी शक्तियां प्रवेश नहीं करतीं। माना जाता है कि देवी माँ की पूजा के दौरान देवी के साथ तामसिक शक्तियां भी घर में प्रवेश करती हैं,लेकिन मुख्यद्वार पर बंदनवार लगी होने के कारण तामसिक शक्तियां घर के बाहर ही रहती हैं।

नवरात्रि की नौ देवियां और नौ रंग

मां शैलपुत्री - मां को नारंगी रंग प्रिय है।
मां ब्रह्मचारिणी - मां को सफेद रंग प्रिय है। 
मां चंद्रघंटा - मां को लाल रंग प्रिय है।
मां कूष्मांडा - मां को नीला रंग प्रिय है।
मां स्कंदमाता - मां को पीला रंग प्रिय है।
मां कात्यायनी - मां को हरा रंग प्रिय है।
मां कालरात्रि - मां को स्लेटी रंग प्रिय है।
मां महागौरी - मां को बैंगनी रंग प्रिय है।
मां सिद्धिदात्री - मां को हरा रंग प्रिय है।

नवरात्रि पर क्यों जलाते हैं अखंड ज्योति

आज से शारदीय नवरात्रि शुरू हो चुके हैं। नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना और अखंड ज्योति जलाई जाती है। नवरात्रि के नौ दिनों में महाशक्ति की आराधना करने वाले जातक अखंड ज्योति जलाकर मां दुर्गा की उपासना करते हैं। अखंड का अर्थ है जो खंडित न हो अर्थात । जरूरी नहीं कि अखंड ज्योत पूरे नौ दिनों तक ही जलाई जाए,अष्टमी या नवमी के दिन पूजा के समय 24 घंटे के लिए भी अखंड दीपक जलाया जा सकता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अखंड ज्योति जलाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है,घर के सदस्यों को यश एवं प्रसिद्धि मिलती है। सुख-समृद्धि,आयु,आरोग्य एवं सुखमय जीवन में वृद्धि होती।