डॉ प्रीति राजपुरोहित से जानें, गर्भवती महिलाओं का कैसा होना चाहिए पौष्टिक आहार और सही समय

ज्यादातर गर्भवती महिलाएं पारिवारिक विचार धारा का अनुसरण करती है जो अधिकतर ठीक भी रहती है। किन्तु कुछ महिलाएं असमंजस में रहती हैं एवं सुनी सुनाई बातों के आधार पर गर्भावस्था व्यतीत करने की कोशिश करती हैं, जो जच्चा और बच्चा के लिए नुकसानदेह हो सकता है...

डॉ प्रीति राजपुरोहित से जानें, गर्भवती महिलाओं का कैसा होना चाहिए  पौष्टिक आहार और सही समय

हेल्थ डेस्क। माँ बनने का खूबसूरत एहसास कई ज़िम्मेदारियाँ साथ में लाता है। जिम्मेदारी गर्भ में शिशु के स्वास्थ्य की भी। गर्भावस्था बच्चे के विकास एवं महिला के स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण समय होता है। इस दौरान ग़लत खानपान और सुस्त जीवन शैली, दोनों ही स्थितियां मां और शिशु के लिए ठीक नही। अक्सर गर्भवती महिलाएं खुद के स्वास्थ्य के प्रति अनभिज्ञ रहती हैं, जिसका अप्रत्यक्ष असर उनके शिशु के विकास पर पड़ता है। ज्यादातर गर्भवती महिलाएं पारिवारिक विचार धारा का अनुसरण करती है जो अधिकतर ठीक भी रहती है। किन्तु कुछ महिलाएं असमंजस में रहती हैं एवं सुनी सुनाई बातों के आधार पर गर्भावस्था व्यतीत करने की कोशिश करती हैं, जो जच्चा और बच्चा के लिए नुकसानदेह हो सकता है। ऐसे में आज हमने बात किया बीकानेर, राजस्थान की प्रसूति, स्त्री रोग, फीटल मेडिसिन एवं इनफर्टिलिटी विशेषज्ञ, लैप्रोस्कोपिक एवं स्त्री रोग कैंसर सर्जन डॉ प्रीति राजपुरोहित से। जानें क्या कहती हैं डॉ प्रीति...  

गर्भवती महिलाएं कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें

डॉ प्रीति कहती हैं संतुलित व पौष्टिक आहार लें, जो बिना पाचन तंत्र पर जोर दिए माँ और बच्चे के लिए आवश्यक पोषक तत्व, खनिज, आयरन, फोलेट और कैलोरी सुनिश्चित करे।

➭ एक्टिव रहें एवं चिकित्सक के परामर्श पर हल्का व्यायाम करें।

➭ भोजन के बीच बड़े अंतराल से बचें।

➭ भारी-भरकम, मिर्च-मसाले और तले हुए खाने से परहेज करें।

➭ भारतीय आहारों में आयरन, प्रोटीन और विटामिन की कमी हो सकती है, इसलिए आवश्यक पूरक आहार के लिए विशेषज्ञ से सलाह लें।

➭ गर्भावस्था दौरान गर्भवती महिला की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, इसे बढ़ाने के लिए मौसमी फल, हरी सब्जियां, दाल, दूध-दही आदि खूब लें।

गर्भावस्था दौरान संतुलित आहार क्या होना चाहिए

सवेरे 7-8 बजे ( नाश्ते से पहले )

यह हल्का और ऊर्जावान होना चाहिए। दूध की सलाह दी जाती है। दूध कैल्शियम का महत्वपूर्ण स्रोत है, जो मॉर्निंग सिकनेस को रोकने एवं बच्चे के विकास के लिए उपयोगी है। सूखे मेवे के साथ बादाम का दूध एक स्वस्थ आहार है। बादाम प्रोटीन, स्वस्थ वसा, लोहा और विटामिन-ई का एक अच्छा स्रोत हैं।

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लगभग 9 बजे ( नाश्ता )

पोहा और उपमा आम भारतीय नाश्ता है। कम वसा होने के साथ पोहे में अच्छी मात्रा में आयरन और कार्ब्स होते हैं, और उपमा में आयरन, मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे खनिज होते हैं। पराठे ऊर्जा से भरे विकल्प हैं, लेकिन इन्हे कम तेल, घी में तैयार किया जाना चाहिए। अन्य स्वस्थ विकल्पों में सब्जियों के सैंडविच, इडली एवं ताज़े फल आयरन, विटामिन और फाइबर के समृद्ध स्रोत हैं।

दोपहर 1-2 बजे (भोजन )

हरी सब्ज़ी एवं दही के साथ रोटी, दही चावल या रायता के साथ खिचड़ी दोपहर के भोजन के लिए स्वस्थ विकल्प है। चावल के मुख्य लाभों में तात्कालिक ऊर्जा को बढ़ावा देना, यूरिनोजेनिटल संक्रमण को रोकना और माँ की प्रतिरक्षा को बढ़ावा देना शामिल है। गेहूं की रोटी फाइबर और कार्ब्स के अच्छे स्रोत हैं। दही और छाछ पाचन में सहायता करते हैं।

शाम 4-5 बजे ( हल्का नाश्ता )

दोपहर के भोजन और रात के भोजन के बीच में हल्का नाश्ता जैसे भुनी हुई मूंगफली और सूखे मेवे लिए जा सकते हैं।

रात 8-9 बजे ( भोजन )

दाल एक पौष्टिक पारंपरिक आहार है, इसे चावल, रोटी और हरी सब्ज़ी के साथ रात्रि भोजन का हिस्सा होना चाहिए।

रात 9-10 बजे ( सोने से पहले )

सोने से पहले दूध लेना अच्छा होता है। दूध में मेलाटोनिन होता है जो उचित नींद सुनिश्चित करने में मदद करता है। महिलाएं गर्भावस्था दौरान अपने आहार और सेहत का विशेष ख्याल रखें। महिलाओं की अच्छी सेहत ही शिशु की अच्छी सेहत सुनिश्चित करती है।