जोड़ों के दर्द, हड्डियों और मुलायम टिश्यू के दर्द सहित कई रोगों फिजियोथैरेपी है बेस्ट ऑप्शन : डॉ अभिषेक

जोड़ों के दर्द, हड्डियों और मुलायम टिश्यू के दर्द सहित कई रोगों फिजियोथैरेपी है बेस्ट ऑप्शन : डॉ अभिषेक

हेल्थ डेस्क। आज इस माहौल में सबको छोटी-छोटी परेशानी हो रही है गर्दन  ,कमर कंधों में पैरों में दर्द जैसे समस्या  हर कोई मैडिसन ले रहा है। परन्तु मैडिसन से अलग हटकर आप पेन किलर ना ले कर फिजियोथैरेपी में जा सकते इसमें हर तरह के बिना  मैडिसन इलाज़ सम्भव है। फिजियोथेरेपी करने वालें को फिजियोथेरेपिस्ट कहा जाता है। फिजियोथेरेपिस्ट आपको चोट, जोड़ों के दर्द, हड्डियों और मुलायम टिश्यू के दर्द, हृदय, छाती और फेफड़े, दिमाग और तंत्रिका-तंत्र से संबंधित परेशानियों से भी बचा सकते हैं। फिज़ियोथेरेपी या फिजिकल थेरेपी एक स्वास्थ्य देखभाल का पेशा है जिसका उद्देश्य आपके शरीर की अधिकतम कार्य क्षमता को विकसित करना, जीवन भर क़ायम रखना और सुधारना है। यह पद्धति आपके शरीर के सामान्य क्रियाकलाप फिर से करने और आपको किसी भी बीमारी या चोट से होने वाली अक्षमता से बचाती है।

क्या फिजियोथेरेपी कोई भी कभी भी करा सकता है?

फिजोथेरपी आप किसी भी उम्र में और किसी भी तरह से ले सकते हैं यह आपके लिए जरूरी नहीं है कि आप अभी छोटे हैं तो आपको फिजोथेरपी नहीं लेनी चाहिए और ना ही आपको यह सोचना चाहिए कि यह हमें ज्यादा उम्र के होने के बाद नहीं लेनी चाहिए आप बचपन से लेकर किसी भी उम्र तक इसको ले सकते हैं और इसमें बच्चे, महिलाएं, लड़के, लड़कियां, बूढ़े सभी तरह के आदमी फिजोथेरपी को ले सकते हैं.

महिलाओं के इन समस्याओं में कारगर है फिजियोथेरेपी

1.गर्भावस्था,

2. ब्रेस्टफीडिंग (स्तनपान)

3. मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) इत्यादि।

सूजन की समस्याओं में मदद करती है फिजियोथेरेपी

यह बहुत सामान्य है क्योंकि उत्तक, मांसपेशिया और लिगामेंट्स में मजबूती के लिए उनमें खिंचाव उत्त्पन्न किया जाता है। इसी के चलते सूजन और फिर दर्द भी हो सकता है

अन्य बिमारियों के साथ फिजियोथैरेपी करना सही ?

आप किसी दूसरी तरह का उपचार उन बीमारियों के लिए करवा रहे हैं तो यह लेना हमारे लिए अनिवार्य नहीं होगा और अगर हम इसको लेते हैं तो इसके दुष्परिणाम हो सकते हैं। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है यदि आपको किसी भी तरह की कोई बीमारी है और उसके उपचार के लिए आप किसी भी तरह की दूसरी दवाइयां या किसी भी तरह का दूसरा उपचार करवा रहे हैं। तो आप उसके साथ यह ले सकते हैं। इसका आपको किसी भी तरह का नुकसान नहीं होगा बल्कि है। आपको उस बीमारी में बहुत फायदा करेगी इसकी किसी भी तरह का कोई भी नुकसान शरीर को नहीं पहुंचता है और आप दूसरी उपचार के साथ इसको भी लगातार ले सकते हैं। यह आपको उस बीमारी को रोकने में भी मदद करेगी और उसके साथ उत्पन्न होने वाली दूसरी बीमारियों को भी दूर करती।

कोविड 19 फिजियोथैरेपी

कोविड 19 के बारे में बहुत स्पष्ट गाइडलाइन है। उसके अनुसार शुरुआती लक्षणों के दिखते ही थेरेपी नहीं दी जानी चाहिए। हां, निमोनिया जैसी स्थिति से लेकर कोरोना के गंभीर मरीजों को चेस्ट फिजियोथेरेपी दी जाएगी। सांस लेने में दिक्कत होने पर चेस्ट फिजियोथेरेपी की सलाह दे सकते हैं। इस थेरेपी में एक ग्रुप होता है। इसमें पॉस्च्युरल ड्रेनेज, चेस्ट परक्यूजन, चेस्ट वाइब्रेशन, टर्निंग, डीप ब्रीङ्क्षदग एक्सरसाइज जैसी कई थेरेपी शामिल होती हैं। इनसे फेफड़ों में जमा बलगम बाहर निकालने में मदद मिलती है। इस थेरेपी का मुख्य उद्देश्य दर्द से परेशान मरीजों को आराम प्रदान करके उन्हें सामान्य जीवन जीने योग्य बनाना है।

फिजिकल थेरेपी के कई लाभ हैं

यह स्ट्रोक, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, और पार्किंसंस (जो एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है), को भी ठीक कर सकता है। फिजिकल थेरेपी ऑर्थोपेडिक परेशानियां आर्थराइटिस और एम्प्यूटेशन के उपचार में भी कारगर हो सकती है। हड्डियों और मांसपेशियों की परेशानी जैसे कमर दर्द या गर्दन दर्द का भी उपचार फिजियोथेरेपी के द्वारा किया जाता है। हृदय तथा रक्तवाहिकाओं संबंधी मामले जैसे कि हृदय की पुरानी बीमारी और हार्ट अटैक के बाद स्वास्थ्य में सुधार भी सामान्यतः फिजियोथेरेपी द्वारा किया जाता है। श्वास की समस्याएँ जैसे कि हम अस्थमा, सिस्टिक फाइब्रोसिस और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी विकार (COPD) का भी इलाज फिजिकल थेरेपी से

सम्भव है। फिजियोथेरेपी का इस्तेमाल कर रहे हैं. तो आपको बहुत सी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है. इससे आपको बहुत सी चीजों में  फायदा मिलता है. जैसे  पीठ दर्द, जोड़ों के दर्द ,घुटनों का दर्द, मानसिक तनाव, किसी भी तरह की खेलों में लगी हुई चोट, महिलाओं की चोट, बुजुर्गों की चोट, बुजुर्गों की सामान्य बीमारी बच्चों की बीमारियां या किसी भी बच्चे का संतुलन ना बन पाना जैसी समस्याओं को बहुत ही आसानी से दूर करती है।

फिजिकल थेरेपी के कई प्रकार

कार्डियोपल्मोनरी (हृदय तथा फेफड़ों संबंधी)

गेरिएट्रिक्स (वृद्धावस्था और उसके रोगों से संबद्ध चिकित्‍सा शास्‍त्र की शाखा)

न्यूरोलॉजिकल(स्नायु या तंत्रिका विज्ञान संबंधी)

स्पोर्ट्स (खेल से संबंधी उपचार का तरीका)

मैन्युअल (हाथों की सहायता से उपचार जैसे मालिश इत्यादि)

ऑर्थोपेडिक (हड्डी विज्ञान संबंधी)

पीडियाट्रिक्स (बच्चों का इलाज करने की विद्या) इत्यादि।

फ़िज़ियोथेरेपिस्ट क्या तकनीकें इस्तेमाल करते हैं?

हाथों से थेरेपी देना

जोड़ों और मुलायम उत्तक में मोड़ने से संचरण में सुधार होता है, शरीर से द्रव पदार्थ का निकास होता है और अकड़न या मांसपेशियों में ऐंठन से आराम देता हैं।

एक्यूपंक्चर

सुइयां हमारे तंत्रिका तंत्र यानि नर्वस सिस्टम को उत्तेजित करती है और दर्द को कम करती है, मांसपेशियों को आराम देती है, रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) को मजबूत करती है और शरीर के कार्यों को नियमित करती हैं।