कैसे समझे आपका राहु है खराब, जानें ज्योतिष एक्सपर्ट विनोद सोनी से इसके लक्षण और समाधान
ज्योतिष एक्सपर्ट विनोद सोनी से जानें कि किन लक्षणों से आप जान सकते है कि राहु दोष है कि नही। जानिे राहु दोष के लक्षण और इससे निजात पाने के सरल उपाय...
फीचर्स डेस्क। हिंदू धर्म के ज्योतिष के अनुसार माना जाता है कि हर कोई किसी न किसी ग्रह दोष से परेशान रहता है। जिसके कारण उसके जीवन में हमेशा समस्याएं बनी रहती है। हिंदू धर्म के ज्योतिषियों के अनुसार माना जाता है कि हर कोई किसी न किसी ग्रह दोष से परेशान रहता है। जिसके कारण उसके जीवन में हमेशा समस्याएं बनी रहती है। जिसके लिए हम ऐसे उपाय करते है। जिससे इऩ समस्याओं से निजात मिल जाएं, लेकिन जब तक आप यह नही जान पाएगे कि कौन सा ग्रह का दोष है। तब तक न तो उस ग्रह को शांत कर सकते है न ही आप सम्सयाओं से निजात पा सकते है। अगर आपके घर-परिवार में बिना बात घर में कलह, हर काम बनते-बनते बिगड़ जाते हैं, शत्रु बिना बात परेशान करें, आपकी सेहत ठीक न रहें या फिर आपका सम्मान कोई न करें तो समझ लीजिएं कि आपका कोई ग्रह खराब है। अगर आपकी कुंडली में राहु दोष है तो यह आपको बुरे प्रभाव देगा। लेकिन समस्या यह है कि आप कैसे पहचानेगे कि राहु दोष है। तो हम आपको बताते है कि किन लक्षणों से आप जान सकते है कि राहु दोष है कि नही। जानिे राहु दोष के लक्षण और इससे निजात पाने के सरल उपाय।
ख़राब राहू के लक्षण
अगर आपकी कुंडली में राहु दोष है तो आपको मानसिक तनाव, आर्थिक नुकसान, स्वयं को ले कर ग़लतफहमी, आपसी तालमेल में कमी, बात बात पर आपा खोना, वाणी का कठोर होना और अपशब्द बोलना साथ ही अगर आपकी कुंडली में राहु की स्थिति अशुभ हौ तो आपके हाथ के नाखून अपने आप टूटने लगते हैं।
अब आइए केवल शुभ प्रभाव वाले राहु की चर्चा करते हैं। राहु तीसरे, छठे व ग्यारहवें भाव में मौज़ूद हो तो शुभ फल प्रदाता हो जाता है।
आइए अब जानते हैं कि यदि राहु कुण्डली में अशुभ स्थिति में बैठा हो तो क्या उपाय किए जाएं ताकि भावी या चल रही समस्याओं का निराकरण हो सके:
- ॐ रां राहवे नमः प्रतिदिन एक माला जपें।
- नौ रत्ती का गोमेद पंचधातु अथवा लोहे की अंगूठी में जड़वा लें। शनिवार को राहु के बीज मन्त्र द्वारा अंगूठी अभिमंत्रित करके दाएं हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण कर लें।
राहु बीज मन्त्र: ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: (108 बार)
- दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
- पक्षियों को प्रतिदिन बाजरा खिलाएं।
- सप्तधान्य का दान समय-समय पर करते रहें।
- एक नारियल ग्यारह साबुत बादाम काले वस्त्र में बांधकर बहते जल में प्रवाहित करें।
- शिवलिंग पर जलाभिषेक करें।
- अपने घर के नैऋत्य कोण में पीले रंग के फूल अवश्य लगाएं।
- तामसिक आहार व मदिरापान बिल्कुल न करें।
- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल, ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।
इस मंत्र को विशुद्ध उच्चारण के साथ तेज स्वर में पूरी राहु की दशा के दौरान कीजिए।
ध्यान रहे कि राहु की वक्र दृष्टि या अशुभ स्थिति इंसान को संकटापन्न कर देती है।
विवेक-बुद्धि का ह्रास हो जाता है तथा ऐसी दशा में जातक निरुपाय रह जाता है।
इसलिए वह स्वयं प्रयत्नहीन होकर उल्टे-बेढंगे निर्णय लेने लगता है।
यहां पर पीड़ित जातक के बंधु-बांधवों को चाहिए कि यथाशक्ति उसे अवलंबन प्रदान करें तथा राहु की अशुभ दशा के आरंभ के पूर्व ही उससे बचने और निवारण के उपाय शुरू करवा दें।
इनपुट सोर्स : ज्योतिषाचार्य एवं हस्तरेखार्विंद, विनोद सोनी पोद्दार, भोपाल सिटी।