फर्जी मार्कशीट गिरोह : हाईस्कूल फेल 25 हजार में हो गए बीए-बीएससी पास, भंडाफोड़ हुआ तो...

एसटीएफ ने फर्जी मार्कशीट बनाने वाले ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जिसके लिए हाईस्कूल फेल की बीए और बीएससी पास की मार्कशीट बनाना बाएं हाथ का खेल है। इस काम के लिए इस गिरोह के सदस्य 25 हजार रुपये तक वसूल रहे थे....

फर्जी मार्कशीट गिरोह : हाईस्कूल फेल 25 हजार में हो गए बीए-बीएससी पास, भंडाफोड़ हुआ तो...

आगरा। एसटीएफ की गिरफ्त में आया फर्जी अंकतालिका गिरोह 25 हजार रुपये में हाईस्कूल फेल को भी बीए-बीएससी पास बना देता था। विश्वविद्यालय के कर्मचारी कोरे अंकपत्र और डिग्रियां गिरोह को उपलब्ध करा देते थे। कंप्यूटर पर सॉफ्टवेयर की मदद से अंक चढ़ाकर प्रिंट निकालने के बाद मुहर और हस्ताक्षर कर डिग्री-अंकतालिका तैयार कर देते थे। फर्जी अंकपत्र का प्रयोग निजी कंपनी में नौकरी से लेकर निजी उपयोग में हो रहा है। एसटीएफ के सीओ उदयप्रताप सिंह ने बताया कि शहर में काफी समय से फर्जी अंकतालिका-डिग्री बनाने वाला गिरोह सक्रिय है। इसकी जानकारी पर निरीक्षक हुकुम सिंह के साथ टीम को लगाया था। इसके बाद गिरोह पकड़ा गया। आरोपी नेेकराम से पूछताछ में पता चला कि वह 2007 में भी लोहामंडी पुलिस ने पकड़ा था। तब भी फर्जी अंकतालिका बरामद हुई थीं। उसको शाहगंज और हरीपर्वत पुलिस भी पकड़ चुकी है। वह तेहरा में अपना कॉलेज चलाता है। उसका आपराधिक इतिहास खंगाला जा रहा है।

फर्जीवाड़े के दो तरीके

एसटीएफ के निरीक्षक हुकुम सिंह ने बताया कि गिरोह दो तरीके से फर्जीवाड़ा करता था। सदस्य एक तो अलग-अलग विश्वविद्यालय और कॉलेजों में सक्रिय रहते थे। बीए, बीएससी, एलएलबी, डी-फार्मा, बी-फार्मा, बीएड आदि के बारे में जानकारी लेने आने वाले विद्यार्थियों को अपने झांसे में लेते थे। उनका अलग-अलग कॉलेज में फार्म भी भरवा देते थे। इसके बाद 1-2 लाख रुपये में फर्जी अंकतालिका दे देते थे, जब अंकतालिका की जांच होती है तो उसका कॉलेज में फाॅर्म भरा होने की वजह से रिकॉर्ड निकल आता है। वहीं दूसरा तरीका फर्जी अंकतालिका सॉफ्टवेयर की मदद से तैयार करने का है। इन पर हस्ताक्षर और मुहर लगाकर मिनटों में उपलब्ध करा देते थे। इनका निजी कंपनियों में नौकरी के लिए उपयोग होता है।

 1500 रुपये में बेच दीं 50 अंकतालिकाएं

पूछताछ में पता चला कि डाॅ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय का कर्मचारी अर्जुन गिरोह को कोरी अंकतालिका उपलब्ध कराता था। बुधवार को भी सरगना को देने के लिए सरकारी लिफाफे में 50 अंकतालिका लाया था। इन पर हस्ताक्षर भी हो रहे थे। इनके लिए 1500 रुपये लिए थे। इसके अलावा विभिन्न विश्वविद्यालय की अंकतालिका इंटरनेट की मदद से फोटो लेकर कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की मदद से तैयार करते हैं।

निशाने पर विश्वविद्यालयों के और भी कर्मचारी

एसटीएफ के निशाने पर अलग-अलग विश्वविद्यालयों के कर्मचारी हैं। पूछताछ में आरोपियों ने कई नाम बताए हैं। इनके बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। उन लोगों को भी चिह्नित किया जा रहा है, जिन्होंने फर्जी अंकतालिका ली थीं।

पूर्व में भी पकड़े जा चुके हैं गिरोह

शहर में फर्जी अंकतालिका ही नहीं, परीक्षा में सॉल्वर से पास कराने से लेकर काॅपियां बदलने वाला गिरोह पकड़ा जा चुका है। इसमें एजेंसी के कर्मचारी से लेकर विश्वविद्यालय के कर्मचारी भी जेल भेजे गए थे। निजी मेडिकल काॅलेज के विद्यार्थियों की भी अंकतालिकाएं बदली गई थीं। मामले में थाना हरीपर्वत में मुकदमे दर्ज किए गए थे।