World Breast Feeding Week Special: नर्सिंग बूथ और मॉम्स कैफ़े दें रहे है स्तनपान को बढ़ावा

WHO हर साल ब्रैस्ट फीडिंग के कांसेप्ट को रिइंफोर्स करने के लिए 1 से 7 अगस्त तक वर्ल्ड ब्रैस्ट फीडिंग वीक मनाता है। जिसका उद्देश्य लोगो में ब्रैस्ट फीडिंग के प्रति जागरूकता बढ़ाना होता है। साल 2021 में वर्ल्ड ब्रैस्ट फीडिंग वीक की थीम है  "धरती को स्वस्थ बनाने के लिए स्तनपान का समर्थन करें....

World Breast Feeding Week Special: नर्सिंग बूथ और मॉम्स कैफ़े दें रहे है स्तनपान को बढ़ावा

फीचर्स डेस्क। स्तनपान यानि ब्रैस्ट फीडिंग एक प्राचीन परम्परा है जो शिशु के बेहतर डेवेलपमेंट के लिए अतयंत ज़रूरी है। 6 माह तक की उम्र तक बच्चे को सिर्फ माँ का दूध ही दिया जाना चाहिए ,इसमें वो सारे नुट्रिएंट्स बैलेंस्ड मात्रा में होते हैं जो बच्चे के लिए इम्पोर्टेन्ट है। आधुनिकता के दौर में समय की कमी,अपने फिगर की चिंता,हेल्थ इश्यूज, डब्बा बंद दूध की उपलब्धता और अन्य कई कारणों के चलते इसमें कमी देखी गयी है। इसीलिए WHO हर साल ब्रैस्ट फीडिंग के कांसेप्ट को रिइंफोर्स करने के लिए 1 से 7 अगस्त तक वर्ल्ड ब्रैस्ट फीडिंग वीक मनाता है। जिसका उद्देश्य लोगो में ब्रैस्ट फीडिंग के प्रति जागरूकता बढ़ाना होता है। साल 2021 में वर्ल्ड ब्रैस्ट फीडिंग वीक की थीम है  "धरती को स्वस्थ बनाने के लिए स्तनपान का समर्थन करें।

अगर भारत की बात की जाये तो यहाँ आज भी पब्लिक प्लेस में माएं अपने शिशुओं को दूध पिलाने में सहज नहीं हैं। खुले में बच्चे को फीड कराना उनको लोक लाज और लोगो की घूरती निगाहों के कारण सही नहीं लगता , वो कम्फर्टेबल नहीं हो पाती।  ऐसे में मजबूरी वश बोटल मिल्क या गाय आदि के दूध की तरफ रुख कर लेती हैं। इसलिए समाज में अवेयरनेस की ज़रूरत है और औरतों के लिए फीडिंग बूथ ,कैफ़े आदि का इंतज़ाम कर उनके लिए बेटर अरैंजमेंट किया जा सकता है।

आज के इस ब्रैस्ट फीडिंग स्पेशल आर्टिकल में मै आप को कुछ ऐसे ही देश के बारे में बता रही हूँ , जहां फीडिंग मॉम्स के लिए बेहतर व्यवस्था है और वो बेहिचक पब्लिक प्लेसेस में अपने शिशु को स्तन पान करवा पाती हैं...

जापान

जापान की राजधानी टोकियों में ब्रेस्ट फीडिंग मॉम्स के लिए खास तरह के बेबी कैफेस बने हैं। इन कैफेस में मां अपने बच्चे को ब्रेस्ट फीड कराने  के साथ ही उसे सुला भी सकती हैं। मदर्स के लिए भी इन कैफेस में काफी इंतजाम हैं। फीड कराते वक्त अगर मां को कुछ खानेपीने का मन करे तो इन कैफेस में फूड आइटम्स भी उपलब्ध हैं। इसके अलावा यदि महिला अपने पति के साथ बच्चें को नर्सिंग देना चाहे तो इसके लिए जगह जगह फैमिली सूट्स बने हुए हैं।

ताइवान

यह एक फैमिली फ्रेंडली डेस्टीनेशन है। यहां मदर्स को ब्रेस्टफीडिंग के लिए इंकरेज किया जाता है। मदर्स को पब्लिक प्लेस में बच्चे को फीड कराने में दिक्कत न हों इसलिए होटल्स से लेकर पार्क तक सभी जगह अलग से मदर्स रूम बनाए गए हैं। इन रूम्स में मदर्स अपने बच्चे  को फीड कराने के साथ ही उनके कपड़े और नैपी भी बदल सकती हैं। इन रूम्स में एक साथ कई मदर्स को एक्मोडेट किया जाता है और वहां पुरुष अलाउड नहीं होते।

ग्रीस

यहां पब्लिकली ब्रेस्टफीडिंग कराना पूरी तरह से लीगल है, मगर ब्रेस्ट फीड कराने वाली मॉम्स को फीडिंग स्टोल या फिर ब्लैंकेट का यूज करना होता है। जब कभी भी कोई लेडी इस अवस्था में दिखती हैं तो उसे पूरे सम्मान के साथ बैठने की जगह दी जाती है।

इसे भी पढ़ें - एप्पल साइडर विनेगर इस्तेमाल कर रही हैं तो जान लें इन सावधानियों के बारे में

यूनाइटेड किंगडम

UK में मां और बच्चे  को खास स्पेस दी जाती है। मां की अनुमती के बिना यहां बच्चे को कोई टच भी नहीं कर सकता। बच्चे के साथ खेलने या बात करने के लिए किसी को भी एक डिस्टेंस बनाना पड़ता है। यहां पर पब्लिकली ब्रैस्टफीडिंग लीगल है मगर अनईजी फील करने पर मदर्स के लिए कुछ नर्सिंग स्पेस बनाई गई हैं। यहां लगभग सभी सार्वजनिक स्थानों पर नर्सिंग स्पेस बनी हुई हैं।

नॉर्वे

बेबीज और ब्रेस्टफीडिंग मॉम्स के लिए यह देश सबसे बेस्ट है। यहां बेबी को ब्रेस्टफीड  करनाने के लिए प्रो बूब प्लेसेस बनी हुई हैं। यहां डिलीवरी के बाद वर्किंग मॉम्स को 58 वीक की पेड लीव मिलती हैं इसके बाद भी मदर को अगर अपने बेबी को फीड कराना है तो ऑफिस टाइम में ही वो अपने बेबी को फीड कराने के लिए घर जा सकती है। इसके साथ ही पब्लिक प्लेस पर बने प्रो बूब प्लेस भी महिलाओं को फी‍ड कराने में मदद करती है।

पेरू

इस देश में एक समय ऐसा था जब बच्चे मॉलन्यूट्रिशन के शिकार हो रहे थे। उस वक्त देश की सरकार ने मदर्स को ब्रेस्टफीड के लिए इंकरेज करने के लिए कई कैंपेन चलाए। इस अवेयरनेस का ही नतीजा है कि इस देश में ब्रेस्टफीडिंग मॉम्स को बहुत ही रिस्पेक्ट दी जाती है। फीडिंग के दौरान बच्चे को कोई दिक्कत न हो इसलिए पेरू में जगह जगह नर्सिंग कैबिंस बनाए गए हैं।

भारत में भी अब कुछ राज्यों में नर्सिंग स्पेस दिखने शुरू पर ज्यादा से ज्यादा ऐसे नर्सिंग बूथ और कैफ़े की ज़रूरत है , साथ ही लोगो में स्तनपान के प्रति और सेंसिविटी की।