Teachers Day Special:महिला शिक्षक जिन्होंने बदल दी शिक्षा की दशा और दिशा

देश में शिक्षा के प्रचार प्रसार में महिलाओं ने हमेशा से सहभागिता निभाई है। आज शिक्षक दिवस के मौके पर हम ऐसी ही कुछ शशक्त महिला शिक्षकों से आप को रूबरू करवा रहे हैं। जिन्होंने भारतीय शिक्षा पद्यति में महती भूमिका निभाई , इन्होने ना सिर्फ बाल शिक्षा को बल दिया बल्कि समाज में लड़कियों से होने वाले भेदभाव के खिलाफ भी मुखर आवाज़ उठाई.......

Teachers Day Special:महिला शिक्षक जिन्होंने बदल दी शिक्षा की दशा और दिशा

फीचर्स डेस्क। शिक्षक का स्थान सर्वोपरि है। भारत में इनका स्थान ईश्वर से भी ऊपर माना गया है। गुरु गोविन्द दोऊ खड़े , काके लागू पाय,बलिहारी गुरु आपने , गोविन्द दियो बताय। हमारे देश में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिसमे सभी शिक्षकों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। देश में शिक्षा के प्रचार प्रसार में महिलाओं ने हमेशा से सहभागिता निभाई है। आज शिक्षक दिवस के मौके पर हम ऐसी ही कुछ शशक्त महिला शिक्षकों से आप को रूबरू करवा रहे हैं। जिन्होंने भारतीय शिक्षा पद्यति में महती भूमिका निभाई , इन्होने ना सिर्फ बाल शिक्षा को बल दिया बल्कि समाज में लड़कियों से होने वाले भेदभाव के खिलाफ भी मुखर आवाज़ उठाई। आइये आज के इस पवन दिन इनको याद कर सच्ची श्रद्धांजलि देते हैं ...

सावित्री बाई फुले 

शिक्षा के छेत्र में महिलाओं के योगदान की बात की जाए तो सबसे पहला नाम सावित्री बाई फुले का आता है। भारत की सबसे पहली महिला शिक्षक के तौर पर सावित्री बाई को जाना जाता है। इनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने हमेशा ही लड़कियों की शिक्षा पर जोर दिया और समाज में फैले अध्विश्वसों को दूर करने के लिए लड़ाई लड़ी। 8 साल की उम्र में ही सावित्री बाई फुले की शादी हो गई थी लेकिन, शादी के बाद भी शिक्षा और समाज सेवा के काम करती रही। इन्होने साल 1848 में पुणे में बालिका विद्यालय की स्थापना भी की। सावित्री बाई ने बालहत्या, महिला यौन शोषण सुधार और विधवाओं के लिए सुरक्षित घर बनाना जैसे कई कार्यो में योगदान दिया।

दुर्गाबाई देशमुख

दुर्गाबाई देशमुख आजाद भारत में महिलाओं की शिक्षा के लिए बनाई गई पहली योजना 'राष्ट्रीय-शिक्षा समिति' की अध्यक्ष थी।अध्यक्ष रहते हुए महिला शिक्षा के लिए दुर्गाबाई ने कई महत्वपूर्ण काम किए। यहीं नहीं राष्ट्र के प्रगति में महिलाओं की भागीदारी की भी नींव रखी। महिला सशक्तिकरण करने लिए दुर्गाबाई देशमुख ने 'आंध्र महिला सभा' की स्थापना की। साथ ही महिलाओं को अपने पैरो पर खड़ा करने के लिए उन्होंने एक स्कूल की स्थापना की जहां महिलाओं को चरखा और कपड़ा कटाने की ट्रेनिंग दी जाती थी।

महादेवी वर्मा

महादेवी वर्मा से कौन अछूता है। महादेवी वर्मा हिंदी भाषा की एक प्रख्यात लेखिका, कवयित्री और शिक्षाविद थी। महादेवी वर्मा को एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में भी याद किया जाता है। उन्होंने ऐसी कई किताबे लिखी जिनका भारतीय महिला सशक्तिकरण में खासा योगदान है  उन्होंने अपनी लेखों से कई बार महिला यौन शोषण और उत्पीड़न पर कड़ा प्रहार किया। आज भी महिलाओं के ऊपर लिखी इनकी किताबे आपको मिल प्रभावित करती हैं।

 कादंबनी गांगुली

80 के दशक में स्नातक करना किसी भी महिला के लिए आसान काम नहीं था। लेकिन, उस समय कादंबनी गांगुली ने स्तानक कर के यह साबित कर दिया कि एक महिला चाहे तो कुछ भी कर सकती हैं। कादंबनी को देश की पहली महिला फिजिशन के तौर पर भी जाना जाता है। कादंबनी गांगुली का जन्म 18 जुलाई 1861 में बिहार के भागलपुर में हुआ था। उन्होंने कोयला खदानों में काम करने वाली महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिए कई काम किए। इस कड़ी में चंद्रमुखी बासु का भी नाम लिया जाता है जिन्होंने महिला शिक्षा सुधार के लिए कई काम किए।