30 दिसंबर को है सफला एकादशी, भगवान विष्णु की पूजा अर्चना से होगी हर मनोकामना पूर्ण

भारतीय संस्कृति के हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत महत्व है, यह तो हम सभी जानते हैं। हर माह 2 बार एकादशी पड़ती है जिससे पूरे 1 वर्ष में 24 या 25 एकादशी आती हैं। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है इस दिन व्रत और पूजा पाठ करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और आपकी सभी मनोकामना को पूर्ण करते हैं । क्या है व्रत का पूरा विधान और आज के दिन चावल क्यों होते हैं वर्जित बता रहे हैं ज्योतिषविद विमल जैन....

30 दिसंबर को है सफला एकादशी, भगवान विष्णु की पूजा अर्चना से होगी हर मनोकामना पूर्ण
30 दिसंबर को है सफला एकादशी, भगवान विष्णु की पूजा अर्चना से होगी हर मनोकामना पूर्ण

फीचर्स डेस्क। प्रख्यात ज्योतिषविद विमल जैन बताते हैं कि पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि सफला एकादशी के नाम से जानी जाती है। इस बार पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 29 दिसंबर बुधवार को शाम 4:13 पर लगेगी जो कि 30 दिसंबर गुरुवार को दिन में 1:41 तक रहेगी। जिसके फलस्वरूप 30 दिसंबर गुरुवार को यह व्रत रखा जाएगा। एकादशी तिथि के व्रत का पारण द्वादशी तिथि में ही करना श्रेष्ठ रहता है। सफला एकादशी की विशेष महत्ता है जैसा की तिथि के नाम से ही पता चलता है कि किसी विशेष के दिन संपूर्ण दिन व्रत उपवास रखने से मनोकामना की पूर्ति के साथ ही समस्त कार्यों में सफलता जरूर मिलती है।

व्रत की शुरुवात कैसे करें

विमल जैन बताते है कि व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने सभी दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर गंगा स्नान करना चाहिए। गंगा स्नान यदि संभव ना हो तो घर पर ही स्वच्छ जल से स्नान करना चाहिए। अपने आराध्य देवी देवता की पूजा अर्चना करने के बाद सफला एकादशी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। संपूर्ण दिन व्रत उपवास रखकर जला दी कुछ भी ग्रहण नहीं करना चाहिए। विशेष परिस्थितियों में दूध या फलाहार ग्रहण किया जा सकता है।

किन मंत्रों का करें जाप

जैसा कि ऊपर वर्णित है कि आज के दिन संपूर्ण दिन निराहार रहना चाहिए चावल और अन्य ग्रहण करने का भी निषेध है। भगवान विष्णु की विशेष अनुकंपा प्राप्ति और उनकी प्रसन्नता के लिए भगवान विष्णु के मंत्र ओम नमो नारायण या फिर ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का नियमित रूप से और अधिकतम संख्या में जाप करना चाहिए। आज के दिन ब्राह्मण को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा देनी चाहिए। जीवन में सुख समृद्धि आरोग्य और सौभाग्य में अभिवृद्धि होती है साथ ही मन वचन कर्म से पूर्णरूपेण स्वच्छता बढ़ते हुए यह व्रत करने से विशेष फल प्राप्त होता है। भगवान विष्णु जी की श्रद्धा आस्था और भक्ति भाव के साथ आराधना करके पुण्य अर्जित कर के लाभ उठाना चाहिए।

चावल क्यों है वर्जित

शुरू से यह मान्यता चली आ रही है की एकादशी के दिन चावल नहीं खाने चाहिए। विमल जैन बताते हैं कि इसके पीछे एक मान्यता है की माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेघा ने अपने शरीर का त्याग किया था जिसके बाद उनका अंश धरती में समा गया। जिस दिन उनका अंश पृथ्वी में समाया उस दिन एकादशी तिथि थी। माना जाता है कि चावल और जो के रूप में वह उत्पन्न हुए थे। इसलिए इस दिन यदि कोई चावल खाता है तो उसे महर्षि मेघा के मांस और रक्त का सेवन के समान माना जाता है।

आप सभी भक्तजन एकादशी का इसी नियम अनुसार व्रत करें और भगवान विष्णु की कृपा का पात्र बने।

इनपुट सोर्स: ज्योतिषविद विमल जैन