रवि प्रदोष व्रत अच्छा स्वास्थ्य देता है, और क्या इस व्रत की पूजा विधि?  

रवि प्रदोष व्रत अच्छा स्वास्थ्य देता है, और क्या इस व्रत की पूजा विधि?   

फीचर्स डेस्क। हमारे शास्त्रों में प्रदोष व्रत की बड़ी महिमा है। रविवार को आने वाला यह प्रदोष व्रत स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत ही उत्तम माना गया है। इस व्रत को करने वाले के स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं दूर होती हैं और स्वास्थ्य में सुधार होकर व्यक्ति सुखपूर्वक अपना जीवन-यापन करता है।

रवि प्रदोष व्रत की पूजा सामग्री क्या है?

एक जल से भरा हुआ कलश, एक थाली (आरती के लिए), बेलपत्र, धतूरा, भांग, कपूर, सफेद पुष्प व माला, आंकड़े का फूल, सफेद मिठाई, सफेद चंदन, धूप, दीप, घी, सफेद वस्त्र, आम की लकड़ी, हवन सामग्री।

पूजन कैसे करें?

रवि प्रदोष व्रत के दिन व्रतधारी को प्रात:काल नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि कर शिवजी का पूजन करना चाहिए। उपवास करने वालों को इस पूरे दिन निराहार रहना चाहिए तथा दिनभर मन ही मन शिव का प्रिय मंत्र 'ॐ नम: शिवाय' का जाप करना चाहिए। तत्पश्चात सूर्यास्त के पश्चात पुन: स्नान करके भगवान शिव का षोडषोपचार से पूजन करना चाहिए।

रवि प्रदोष व्रत की पूजा का संध्या के समय 4.30 से शाम 7.00 बजे के बीच उत्तम रहता है, इसलिए इस समय पूजा की जानी चाहिए। नैवेद्य में जौ का सत्तू, घी एवं मिश्री का भोग लगाएं, तत्पश्चात आठों दिशाओं में 8 दीपक रखकर प्रत्येक की स्थापना कर उन्हें 8 बार नमस्कार करें। इसके बाद नंदीश्वर (बछड़े) को जल एवं दूर्वा खिलाकर स्पर्श करें। शिव-पार्वती एवं नंदकेश्वर से प्रार्थना करें।

कैसे करें व्रत?

इस रवि प्रदोष व्रत करने वाले को नमकरहित भोजन करना चाहिए। प्रदोष व्रत प्रत्येक त्रयोदशी को किया जाता है, परंतु स्वास्थ्य से सम्बंधित विशेष कामना के लिए रविवार के दिन प्रदोष का भी बड़ा महत्व है। अत: जो लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर सदा दुखी रहते हैं, किसी न किसी बीमारी से ग्रसित होते रहते हैं, उन्हें रवि प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए। इस व्रत से मनुष्य की स्वास्थ्य संबंधी समस्यां हल हो जाती हैं तथा मनुष्य निरोगी रहता है।