संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत करने से होती है हर मुराद पूरी, पंडित विमल जैन से जाने व्रत की पूरी विधि

सभी शुभ कार्यों को करने से पहले हम गणेश जी को याद करते है ताकि हमारे सभी कार्य निर्विघ्न संपन्न हो जाएं। संकट निवारण और सुख समृद्धि के लिए संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत किया जाता है। कैसे किया जाता है ये व्रत, क्या है इसका पूरा विधान बता रहे है पंडित विमल जैन…

संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत करने से होती है हर मुराद पूरी, पंडित विमल जैन से जाने व्रत की पूरी विधि

फीचर्स डेस्क। चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिथि के दिन किए जाने वाला व्रत संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। संकष्टी चतुर्थी व्रत 30 नवंबर को आ रहा है प्रख्यात ज्योतिषविद श्री विमल जैन जी ने बताया कि इस बार चतुर्थी तिथि सोमवार 22 नवंबर को रात 10 बजकर 28 मिनट पर लगेगी जो  23 नवंबर मंगलवार को अर्धरात्रि के बाद 12:56 तक रहेगी। चंद्रोदय रात 8:11 पर होगा। श्री गणेश की पूजा अर्चना रात में चंद्र उदय होने के बाद चंद्रमा को अर्घ देकर की जाएगी।

ऐसे करें व्रत

ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि व्रत के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर समस्त दैनिक कार्यों से निवृत्त होना चाहिए। स्नान करके अपने आराध्य देवी देवता की पूजा अर्चना करने के बाद संकष्टी गणेश चतुर्थी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। संपूर्ण दिन निराहार रहते हुए व्रत के दिन शाम को दोबारा स्नान करके श्री गणेश को पंचोपचार, दशोपचार पूजा अर्चना करनी चाहिए। श्रीगणेश को दूर्वा और मोदक अति प्रिय है , इसलिए दूर्वा की माला, ऋतु फल मेवे और मोदक गणेश जी को जरूर भोग लगाने चाहिए।

ऐसे होगी मनोकामना पूर्ण

श्री गणेश की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए उनकी महिमा में यश गान के रूप में श्री गणेश स्तुति संकटनाशन गणेश स्तोत्र, श्री गणेश अथर्व शीर्ष, श्री गणेश सहस्त्रनाम, गणेश चालीसा और श्री गणेश जी से संबंधित अन्य स्रोत जो आप पाठ कर सके जरूर करें। विमल जैन कहते हैं श्री गणेश से संबंधित मंत्र का जाप करना विशेष लाभकारी रहता है। ऐसी धार्मिक और पौराणिक मान्यता है कि श्री गणेश अथर्वशीर्ष का प्रातकाल पाठ करने से रात्रि के समस्त पापों का नाश हो जाता है। संध्या समय पाठ करने से दिन के सभी पापों का शमन होता है। यदि विधि पूर्वक 1000 पाठ किए जाए तो मनोरथ की पूर्ति के साथ ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

व्रत से मिलती है सुख समृद्धि

ज्योतिषविद विमल जैन बताते हैं कि जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली के अनुसार ग्रह जनक दोष हो तो संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन उपवास रखकर सर्व विघ्न विनाशक प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना करके लाभ उठाना चाहिए। वर्तमान समय में जिन्हें अपने जीवन के कष्टों का सामना करना पड़ रहा हूं उन्हें भी आज के दिन श्री गणेश जी का दर्शन और पूजन करके व्रत करना चाहिए। श्री गणेश चतुर्थी का व्रत महिला, पुरुष, विद्यार्थियों एवं अन्य जनों के लिए समान रूप से फलदाई हैं। श्री गणेश पुराण के अनुसार भक्ति भाव और पूर्ण आस्था के साथ किए गए संकष्टि गणेश चतुर्थी व्रत से जीवन में सुख समृद्धि और खुशहाली और सौभाग्य की अभिवृद्धि होती हैं साथ ही सभी संकटों का निवारण भी होता है।

आप भी करे ये व्रत और श्री गणेश की कृपा दृष्टि पाएं।

इनपुट सोर्स: ज्योतिषविद विमल जैन

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