बेटे की शादी के बहाने ओपी राजभर ने दिखाई ताकत

बेटे की शादी के बहाने ओपी राजभर ने दिखाई ताकत

वाराणसी। अवसर की सियासत के महारथी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने बेटे की शादी के बाद सियासी अंगड़ाई ली है। उन्होंने घर पर पक्ष व विपक्ष के नेताओं का जमावड़ा लगाकर सियासत में अपनी ताकत का अहसास कराया। साफ संदेश दिया कि मिशन 2024 में किंग मेकर बनकर उभरेंगे। हर राजनीतिक दल उनका साथ पाने को बेताब रहेगा। वाराणसी स्थित ओपी राजभर का आवास मंगलवार को प्रदेश में भविष्य की सियासत का प्रमुख केंद्र बन गया। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, खेलमंत्री गिरीश चंद्र यादव, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, जल संसाधन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, बलिया सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त, समेत कई अन्य भाजपा विधायक और नेता ओपी राजभर के घर पहुंचे और बेटे-बहू को शुभकामनाएं दीं।

ओपी राजभर की कही-सुनी को भूल सकती है भाजपा

उनके बेटे अरुण की शादी हाल ही में हुई है। भूपेंद्र काफी देर तक बैठे रहे, फिर परिजनों के साथ फोटो भी खिंचवाया। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने साफ संकेत दिया कि भाजपा ओपी राजभर की कही-सुनी को भूल सकती है। अगर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की अनुमति मिली और रुख सकारात्मक रहा तो ओपी राजभर को साथ लेने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।

ओमप्रकाश राजभर  को साथ लाने में भाजपा अपना फायदा देख रही है, लेकिन उनकी शर्तों में बंधने को तैयार नहीं है। फिलहाल ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि 2024 के आम चुनाव से पहले ओपी राजभर अपने लाव लश्कर के साथ एक बार फिर भाजपा के सहयोगी बन जाएंगे।

जयंत चौधरी, ओम प्रकाश सिंह और रामगोविंद चौधरी भी पहुंचे

बेटे-बहू को आशीर्वाद देने के लिए केवल भाजपा नेताओं का ही जमावड़ा नहीं लगा बल्कि विपक्ष के भी कई नेता पहुंचे।  मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी की सहयोगी रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी, ओम प्रकाश सिंह व सपा नेता व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे रामगोविंद चौधरी समेत कई अन्य सपा नेता राजभर के आवास पर पहुंचे और बातचीत की। 

इसके तमाम राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भले ही सार्वजनिक मंचों से ओपी राजभर से दूरी बनाने की बात करते हैं, लेकिन उन्हें मिशन 2024 के लिए सुभासपा की जरूरत महसूस हो रही है। इसीलिए जयंत व रामगोविंद को सुभासपा नेता के आवास पर भेजा गया। हालांकि, इस पर खुलकर बोलने को कोई तैयार नहीं है। सबने इसे राजनीति की जगह शिष्टाचार व मंगलकामनाओं की भेंट बताई।