Navratri Special 2021 :12 बहनें बन गईं थी मूर्ति, इनके श्राप से पिता भी हो गए थे पत्थर

इस नवरात्री फोकस हर लाइफ आप के लिए घर बैठे देश के कोने-कोने से देवी के 9 स्वरूपों के दर्शन का मौका लेकर आया है। इसी क्रम में आज हम यूपी के कानपुर से 'बारा देवी' मंदिर के बारे में जानेगे। ये सैकड़ों साल पुराना मंदिर है और यहाँ माता की 12 स्वरूप हैं जो कभी 12 बहनें हुआ करती थीं...

Navratri Special 2021 :12 बहनें बन गईं थी मूर्ति, इनके श्राप से पिता भी हो गए थे पत्थर

फीचर्स डेस्क। नवरात्रि का आठवें दिन यानी अष्टमी को महागौरी की पुजा की जाती है। देश में बहुत से ऐसे मंदिर हैं जहा देवी का चमत्कार से लोगो को लाभ मिलता है। ऐसे में आज आपको कानपुर के 'बारा देवी' मंदिर के बारे में बताया रहा है। यह मंदिर पौराणिक और प्रचीनतम मंदिरों में शुमार है। इसका 1700 साल पुराने इस मंदिर की देवी के प्रति लोगों की गहरी आस्था है।

कई सदियों से चली आ रही ये परंपरा

कानपुर के दक्षिण में स्थित बारा देवी मंदिर का इलाका, बारा देवी के असली नाम से जाना जाता है। बता दें कि कानपुर दक्षिण के ज्यादातर इलाकों के नाम बारा देवी मंदिर पर ही रखे गए हैं।  इनमें बर्रा 01 से लेकर बर्रा 09 तक, बिन्गवा और बारासिरोही शामिल हैं। इसके अलावा बर्रा विश्व बैंक का नाम भी देवी के नाम पर ही रखा गया है।

ये है मंदिर का खास

मंदिर के बारें में कहा जाता है कि भक्त अपनी मनोकामना मानकर चुनरी बांधता है। जब किसी भक्त की मन्नत पूरी हो जाती है वह आकर चुनरी खोल देता है। आसपास के लोगों का कहना है कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस कारण यहां लोगों का मंदिर के प्रति अटूट विश्वास है।

अभी भी रहस्य है इतिहास

हलाकि इस मंदिर का इतिहास क्या है,  इसकी सही जानकारी किसी को नहीं है। जबकि मंदिर के लोगों की मानें, तो एएसआई की टीम ने जब इसका सर्वेक्षण किया था और यह पाया था कि मंदिर की मूर्ति लगभग 15 से 17 सौ साल पुरानी है।

एक किस्सा ये भी है प्रचलित

मंदिर के पुजारी का कहना है इससे जुड़ी एक कथा बेहद प्रसिद्ध है। एक बार पिता से हुई अनबन पर उनके कोप से बचने के लिए घर से एक साथ 12 बहनें भाग गई। सारी बहनें किदवई नगर में मूर्ति बनकर स्थापित हो गई। पत्थर बनी यही 12 बहनें कई सालों बाद बारा देवी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुई। कहा तो यहा तक जाता है कि इन 12 बहनों के श्राप से उनके पिता भी पत्थर हो गए थे।