National Nutrition Week Special :कहीं आप भी बच्चों के नुट्रिशन में तो नहीं कर रही ये गलतियां

डायटीशियन बताती हैं कि आजकल माँ बाप इतने कौन्सियस हो गए हैं की वो बच्चो को बचपन से ही डाइट करवाना शुरू कर देते हैं। जो एक दम गलत है आप उनको.....

National Nutrition Week Special :कहीं आप भी बच्चों के नुट्रिशन में तो नहीं कर रही ये गलतियां

फीचर्स डेस्क। हर माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी परवरिश, माहौल और पोषण देना चाहते हैं। सभी चाहते हैं की बच्चे की मेन्टल और फिजिकल ग्रोथ अच्छी हो साथ ही इम्युनिटी भी स्ट्रांग रहे। पर अकसर हम जाने-अनजाने आधी अधूरी जानकारी के चलते , अच्छा करने की बजाये गलतियां कर बैठते हैं , जो आगे चल कर बड़ी समस्या खड़ी कर सकती हैं। बच्चों के मन में आहार और पोषण को लेकर गलत धारणा बनने लग जाती है। वो मेजर फ़ूड ग्रुप्स को अपना दुश्मन समझने लगते हैं जो बढ़ती उम्र के लिए बहुत खतरनाक है। इसलिए हमने इस  विषय पर डायटीशियन ऋतू अरोरा से बातचीत की ,आइये जानते हैं उन न्यूट्रिशनल मिस्टेक्स के बारे में

गलत फ़ूड टर्मिनोलॉजी का इस्तेमाल करना

अक्सर पैरेंट्स बच्चों के सामने गलत इक्साम्पल सेट करते हुए गलत शब्दों का चुनाव कर बैठते हैं जैसे फैट, पोटैटो और शुगर के लिए बैड फ़ूड और बाकि चीज़ो के लिए गुड फ़ूड। इससे बच्चे धीरे धीरे इन फूड्स से किनारा करने लगते हैं। जबकि बच्चो की प्रॉपर ग्रोथ के लिए फैट और शुगर भी उतने ही ज़रूरी हैं जितने बाकि फ़ूड आइटम्स। गुड बैड फ़ूड बोलने की जगह अगर पर्टिकुलर आइटम के फायदे और नुक्सान बताये तो ज्यादा बेहतर है और ये भी बताये की बैलेंस वे में खाने पर कोई भी फ़ूड बैड फ़ूड नहीं है। जब हम किसी एक पर्टिकुलर फ़ूड को बहुत ज्यादा मात्रा में खाने लगते हैं तो वो हमारी बॉडी को नुक्सान करता है।

गलत स्नैक्स का चुनाव

कई बार ऐसा भी होता है कि जब बच्चे खाना नहीं खाते हैं तो उन्हें खाना खिलाने के चक्कर में कुछ अनहेल्दी स्नैक्स जैसे बिस्कुट, किड्स बार आदि खाने के लिए दे देते हैं। उन्हें लगता है कि इससे बच्चे का पेट भर रहा है। लेकिन इन सभी चीजों में सोडियम और फैट काफी अधिक मात्रा में होता है। जो उनकी सेहत पर विपरीत प्रभाव डालता है। इसके बजाये आओ उनको पीनट , मुरमुरे ,रोस्टेड चने, मखाने या फ्रूट्स दें।

डाइट ट्रेंड फॉलो करना

डायटीशियन बताती हैं कि आजकल माँ बाप इतने कौन्सियस हो गए हैं की वो बच्चो को बचपन से ही डाइट करवाना शुरू कर देते हैं। जो एक दम गलत है आप उनको एक्सरसाइज और आउटडोर गेम्स की लिए प्रोत्साहित कीजिये। डांस, साइकिलिंग , स्विमिंग जैसी एक्टिविटीज में डालिये पर डाइट कण्ट्रोल १8 साल की उम्र से पहले बिलकुल ना करें। ये बच्चों की ग्रोथ पर बुरा असर डालती है। बैलेंस्ड नुट्रिशन और फिजिकल एक्टिविटीज का फंडा अपनाये। इससे आप का बच्चा मेंटली, फिजिकली और इम्युनिटी के हिसाब से स्ट्रांग रहेगा। 

फूड लेबल को ना पढ़ना

आजकल बच्चे के लिए मार्केट में कई तरह के फूड आइटम्स अवेलेबल हैं, जिनके पैक पर हेल्दी शब्द का इस्तेमाल किया गया होता है। ऐसे में पैरेंट्स उसे लेबल को अच्छी तरह से नहीं पढ़ते और यह समझते हैं कि यह उनके बच्चे के लिए अच्छा है और वह उसे बच्चे को देना शुरू कर देते हैं। लेकिन आपको यह गलती नहीं करनी चाहिए। दरअसल, अगर आप पैकेट के लेबल को पढ़ेंगी तो आप पाएंगी कि उसमें अन्य भी कई चीजों को शामिल किया गया है, जो आपके बच्चे की सेहत के लिए शायद ठीक ना हो। वैसे भी पैक्ड और डब्बा बंद उत्पादों से बचना चाहिए।