डिप्रेशन से दूर रहने के लिए अपनाये भगवद गीता के ये कुछ टिप्स

मानसिक तौर पर थका-हारा, परेशांन, डिप्रेस्ड, चीटेड, नेग्लेक्टेड फील करना काफी आम है। ऐसे में आज हम लाये हैं महाकाव्य श्री मद भगवद गीता से कुछ टिप्स जिनको फॉलो कर....

डिप्रेशन से दूर रहने के लिए अपनाये भगवद गीता के ये कुछ टिप्स

फीचर्स डेस्क। तन के साथ मन का स्वस्थ्य होना भी एक्वाली इम्पोर्टेन्ट है। आज-कल की भाग दौड़ भर जिंदगी में इंसान किसी तरह तन को तो स्वस्थ्य फिर भी रख लेता है पर मानसिक तौर पर थका-हारा, परेशांन, डिप्रेस्ड, चीटेड, नेग्लेक्टेड फील करना काफी आम है। ऐसे में आज हम लाये हैं महाकाव्य श्री मद भगवद गीता से कुछ टिप्स जिनको फॉलो कर आप मानसिक जंग भी जीत सकते हैं और फिर आप सिर्फ शारीरिक ही नहीं मानसिक रूप से भी हेल्थी रहेंगे।

बताते चलें कि भगवद गीता महान महाकाव्य महाभारत का हिस्सा है, जो हिंदू दर्शन में व्यापक रूप से लोकप्रिय है। गीता कुरक्षेत्र में भगवान् श्री कृष्णा और अर्जुन के बीच हुए पूरी संवाद का महाकाव्य है। ये काव्य जीवन दर्शन है इसे फॉलो कर कोई भी अपने जीवन को सार्थक कर सकता है। गीता में लगभग 701 श्लोकों के साथ 18 योग (अध्याय) हैं। इसमें जिंदगी का सार छिपा हुआ है। यह एक ऐसा ग्रंथ है जो मनुष्य के जीवन संघर्षों के सभी पहलुओं पर बात करता है और हर युग में रिलेवेंट है , आइये जाने उन खास मंत्रो के बारे में जिन्हे आज भी फॉलो कर हम खुश रह सकते हैं।

लव योर सेल्फ एंड डु योर बेस्ट

कृष्ण ने कहा भगवद गीता में कहा है कि आप जो हैं उसके साथ सहज रहना सीखें। किसी और की जिंदगी जीने की कोशिश मत करें। आपका जीवन आपका अपना है, इसकी सराहना करना सीखें।साथ ही आप अपने कर्तव्यों को पूरी शिद्दत से निभाएं अगर अनदेखा करेंगे तो अंत में आपको ही असंतोष होगा। गीता में मुख्य रूप से अपना कर्म करते रहने की प्रेरणा दी गई है। ज्ञान से हम आत्मा और भक्ति से हम परमात्मा को जान पाते हैं लेकिन कर्म से आत्मा परमात्मा दोनों को जाना जा सकता है। इसलिए रिजल्ट की चिंता किये बिना अपना बेस्ट दें और स्वयं को स्वीकारें दूसरों से कंपेर ना करें। हर इंसान दूसरे से अलग और यूनिक है।

संयम है ज़रूरी

गीता की दूसरी सीख है पेशेंस यानि कि संयम। गीता में बताया गया है कि मनुष्य को अपनी बोली, खाना, नींद, इनकम ,पार्टनर इन सभी में संयम बरतना चाहिए तभी आप एक संतुलित जीवन जी पाएंगे। इन सभी चीज़ों के बीच सामंजस्य बिठा कर चलना बहुत ज़रूरी है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए नियमित रूप से अपनी कसरत पर एक घंटा बिताएं, अच्छी नींद लें, अधिक काम न करें और इससे आपको जो उपलब्धि की भावना मिलेगी वो आपने पहले से कहीं बेहतर होगी। 

 मन को नियंत्रित रखें

मानसिक स्वास्थ्य के लिए मन को नियंत्रित रखना भी जरूरी है। श्रीमद भगवद गीता में कृष्ण ने कहा है कि मन एक बच्चे की तरह है; बच्चा हर चीज की ओर आकर्षित होता है। बुद्धि और आध्यात्मिक शक्ति से मन को नियंत्रित किया जा सकता है। मानसिक स्वास्थ्य मन की एक अवस्था है। निरंतर अभ्यास और वैराग्य से यह संभव है। उनका कहना है कि जहां भी और जब भी मन भटकता है,क्योंकि मन चंचल और अस्थिर होता है तो हमें इसे अभ्यास के द्वारा  वापस  नियंत्रण में लाना होगा। ऐसा करने से आपके शरीर के साथ मन को भी स्वस्थ रखने में मदद मिलेगी।

ध्यान लगाएं

भागवद गीता में ध्यान पर भी विशेष जोर दिया गया है। जीवन में सुख, शांति और सटिस्फैक्शन के लिए ये बहुत महत्वपूर्ण है। भगवद गीता के अनुसार,'ध्यान का अभ्यास व्यक्ति को सभी कष्टों से मुक्त करता है। सभी स्वार्थी इच्छाओं और अपेक्षाओं को त्याग कर, इंद्रियों को नियंत्रित करने के लिए अपनी इच्छा शक्ति को मजबूत करें।ध्यान से आपको मानसिक शांति प्राप्त होती है जो अच्छे विचारों को जन्म देकर मन को स्वस्थ रखने में मदद करती है।

 ये सारी ऐसी बातें हैं आज भी उतनी ही कारगर हैं जितनी महाभारत काल में थी।  इनको अपना कर हम मानसिक द्वन्द से निजात पा सकते हैं। आज से ही इन आदतों को अपने जीवन में शामिल करें।