ज्योतिषविद विमल जैन से जानिए क्या है षट्तिला एकादशी का पूर्ण विधान, कैसे होगी स्वर्ग की प्राप्ति

षट्तिला एकादशी शुक्रवार यानि 28 जनवरी को आ रही है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा अर्चना से आपके सभी मनोरथ पूर्ण होंगे। ऐसा विधान है कि 6 प्रकार से तिल का प्रयोग करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है। कैसे करें व्रत और किस मंत्र से करें विष्णु को प्रसन्न ,बता रहे हैं ज्योतिषविद विमल जैन....

ज्योतिषविद विमल जैन से जानिए क्या है षट्तिला एकादशी का पूर्ण विधान, कैसे होगी स्वर्ग की प्राप्ति

फीचर्स डेस्क। भारतीय सनातन परंपरा के हिंदू धर्म ग्रंथों में हर माह की एकादशी तिथि की विशेष महिमा है । प्रत्येक माह की एकादशी तिथि अलग-अलग नामों से जानी जाती है। ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि षट्तिला एकादशी के नाम से जानी जाती है। एकादशी तिथि श्री भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस बार माघ कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 27 जनवरी गुरुवार को रात्रि 10:29 पर लगेगी जो कि 28 जनवरी शुक्रवार को रात्रि 8:08 तक रहेगी। इसका अर्थ है कि षट्तिला एकादशी का व्रत शुक्रवार को किया जाएगा।

तिल का है विशेष महत्व

षट्तिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना की जाती है। षट्तिला एकादशी के दिन तिल का विशेष महत्व होता है। इस दिन छह प्रकार से तिल का प्रयोग किया जाता है।  तिल के जल से स्नान करें, पिसे हुए तिल का उबटन करें, तिलों से हवन करें तिल मिला हुआ जल पिए, तिलों का दान करें, तिलों की मिठाई और व्यंजन बनाए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन तिल का दान करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है और जो जितना तिल दान करता है उतने हजार वर्ष तक स्वर्ग में स्थान पाता है।  षट्तिला एकादशी पर तिल को पानी में डालकर स्नान करने और तिल का दान करने का भी विशेष महत्व बताया गया है। आज के दिन संपूर्ण दिन व्रत उपवास रखकर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करके उनसे सुख समृद्धि की कामना की जाती है।

व्रत का विधान

ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर समस्त दैनिक कार्य करके गंगा स्नान करना चाहिए। अपने आराध्य देवी देवता की पूजा अर्चना के बाद षट्तिला एकादशी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। श्री विष्णु से संबंधित मंत्र ओम श्री विष्णये नमः या ओम नमो भगवते वासुदेवाय का जप अधिक से अधिक संख्या में करना चाहिए। इसके अलावा आप श्री विष्णु सहस्त्रनाम श्री विष्णु चालीसा, श्री पुरुष सूक्त और श्री हरि विष्णु से संबंधित अन्य पाठ भी कर सकते हैं।

व्रतकर्ता के लिए विशेष

व्रतकर्ता को संपूर्ण दिन निराहार रहकर व्रत संपन्न करना चाहिए। एकादशी के दिन चावल ग्रहण नहीं करना चाहिए। आज के दिन तिल से बने पदार्थों का सेवन जरूर करना चाहिए। इस दिन अन्न ग्रहण ना करके विशेष परिस्थितियों में दूध या फलाहार ग्रहण किया जा सकता है। साथ ही व्रत के समय दिन में शयन नहीं करना चाहिए। मन वचन कर्म से पूर्णरूपेण स्वच्छता बरतते हुए व्रत करना विशेष फलदाई रहता है। षट्तिला एकादशी के व्रत और भगवान विष्णु जी की विशेष पूजा से सभी मनोरथ सफल होते हैं साथ ही जीवन में सुख समृद्धि और खुशहाली का मार्ग प्रशस्त होता है।

आप भी विमल जैन के द्वारा बताए गए तरीके से व्रत करें और श्री हरि विष्णु की कृपा का पात्र बनिए।