गुरू प्रदोष व्रत 2 दिसंबर को , इस व्रत को करने वाले को होती है शिव जी की विशेष अनुकंपा

गुरु प्रदोष व्रत में भगवान शिव जी की पूजा अर्चना से सौभाग्य और विजय की प्राप्ति होती है। कैसे करते हैं यह प्रदोष व्रत और प्रदोष व्रत के क्या पुण्य लाभ हैं बता रहे हैं ज्योतिषविद विमल जैन…

गुरू प्रदोष व्रत 2 दिसंबर को , इस व्रत को करने वाले को होती है शिव जी की विशेष अनुकंपा

फीचर्स डेस्क। भारतीय संस्कृति की सनातन धर्म में भगवान शिव जी की विशेष महिमा है। 33 कोटि देवी देवताओं में भगवान शिव ही देवाधिदेव महादेव की उपमा से अलंकृत हैं। इनकी कृपा से जीवन में भौतिक सुख, ऐश्वर्य, वैभव, सौभाग्य और विजय की प्राप्ति होती है। भगवान शिव की विशेष अनुकंपा प्राप्त करने के लिए शिव पुराण में विविध व्रतों का उल्लेख है। जिसमें प्रदोष और महाशिवरात्रि वृत्त प्रमुख हैं। प्रदोष व्रत से दुख दरिद्रता का नाश होता है और जीवन में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है। साथ ही जीवन के समस्त दोषों का शमन भी होता है। प्रत्येक माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि जो कि प्रदोष वेला में मिलती हो उसी दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस बार 2 दिसंबर गुरुवार को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 1 दिसंबर बुधवार को अर्ध रात्रि 11:36 पर लगेगी जो कि 2 दिसंबर गुरुवार को रात्रि 8:27 तक रहेगी। 2 दिसंबर गुरुवार को प्रदोष काल त्रयोदशी तिथि होने के कारण प्रदोष व्रत किस दिन रखा जाएगा।

कैसे करें प्रदोष व्रत

ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि व्रतकर्ता को प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत होना चाहिए। अपने इष्ट देवी देवता की पूजा करने के पश्चात दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गंध और कुश लेकर प्रदोष व्रत का संकल्प लेना चाहिए। व्रतकर्ता को दिनभर निराहार रहना चाहिए। सांय काल को दोबारा स्नान करके यथासंभव स्वच्छ वस्त्र धारण कर प्रदोष काल में श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान शिव की विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना करनी चाहिए। भगवान शिव जी का अभिषेक करके उन्हें वस्त्र, यज्ञोपवीत,आभूषण, संबंधित द्रव्य के साथ बेलपत्र, कनेर, धतूरा, मदार, रितु पुष्प नैवेद्य अर्पित करके धूप दीप के साथ पूजा अर्चना करनी चाहिए। पूजा पूर्व दिशा उत्तर दिशा की ओर मुख करके करनी चाहिए। शिव भक्त अपने मस्तक पर भस्म और तिलक लगाकर शिवजी की पूजा करें तो पूजा से विशेष फल मिलता है। भगवान शिव जी की महिमा में शिव मंत्र का जप और स्कंद पुराण में वर्णित प्रदोष श्रोत का पाठ और प्रदोष व्रत कथा का पठन व श्रवण अवश्य करना चाहिए। यह व्रत महिलाएं एवं पुरुष दोनों के लिए शुभ फलदाई है। इधर अपने दिनचर्या सुव्यवस्थित रखते हुए भगवान शिव जी की आराधना करनी चाहिए। व्रत के दिन व्रतकर्ता को नियमित संयमित रहते हुए स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। व्रत के दिन यथाशक्ति ब्राह्मणों को दान और बेसहारा एवं असहाय की सेवा और सहायता करनी चाहिए।

वार के अनुसार प्रदोष व्रत के पुण्यलाभ

ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि शास्त्रों के मुताबिक प्रदोष व्रत का प्रत्येक वार के अनुसार अलग-अलग फल मिलता है जो इस प्रकार है रवि प्रदोष को आरोग्य आयु सुख समृद्धि, सोम प्रदोष को शांति एवं रक्षा, भीम प्रदोष को कर्ज से मुक्ति, बुध प्रदोष को मनोकामना की पूर्ति, गुरु प्रदोष को विजय और लक्ष्य की प्राप्ति, शुक्र प्रदोष को आरोग्य सौभाग्य और मनोकामना की पूर्ति, शनि प्रदोष को पुत्र सुख की प्राप्ति होती है। प्रदोष व्रत से शिव भक्तों का निरंतर कल्याण होता है। कलयुग में प्रदोष का व्रत शीघ्र फलदाई बताया गया है।

तो आप भी करें प्रदोष व्रत और शिव जी कृपा प्राप्त करें।

इनपुट सोर्स: ज्योतिषविद विमल जैन (वाराणसी सिटी)