गणेश चतुर्थी व्रत है 1 अगस्त को,गणेश जी की पूजा से होगी सौभाग्य में अभिवृद्धि

भारतीय संस्कृति में सर्व विघ्न विनाशक अनंत गुणों से विभूषित प्रथम पूज्य देव भगवान श्री गणेश की महिमा अपरंपार है। गणेश जी की पूजा अर्चना से जीवन में सुख समृद्धि और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है । एस्ट्रोलॉजर विमल जैन बताएंगे कि गणेश जी की पूजा कैसे करनी चाहिए और कौन से पाठ से आपके मनोरथ की पूर्ति होगी.....

गणेश चतुर्थी व्रत है 1 अगस्त को,गणेश जी की पूजा से होगी सौभाग्य में अभिवृद्धि

फीचर्स डेस्क। माह के दोनों पक्षों की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को अति प्रिय है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को किए जाने वाले व्रत को वरद विनायक गणेश चतुर्थी या विनायकी गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है ।ज्योतिष में श्री गणेश को केतु ग्रह का देवता माना गया है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि सोमवार 1 अगस्त को पड़ रही है। सावन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि रविवार 31 जुलाई को अर्धरात्रि के बाद 4:19 पर लगेगी जो कि सोमवार 1 अगस्त को अर्धरात्रि के बाद 5:14 तक होगी। गणेश चतुर्थी का व्रत सोमवार 1 अगस्त को रखा जाएगा। इसके साथ ही गणेश भक्त श्री गणेश जी की विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना करके पुण्य लाभ अर्जित कर सकते हैं। सावन मास में श्री गणेश जी की पूजा अर्चना के साथ ही शिवजी की पूजा अर्चना भी विशेष फलदाई रहेगी। कैसे करें गणेश जी की पूजा विधान जानने के लिए पढ़े पूरा आर्टिकल।

गणेश की पूजा का विधान

विमल जैन बताते हैं कि प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में व्रत करने वाले व्यक्ति को उठकर सभी दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर अपने आराध्य देवी देवता की पूजा अर्चना करने के बाद विनायकी गणेश चतुर्थी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। गणेश जी का पंचोपचार ,दशोपचार, षोडशोपचार पूजा अर्चना पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करनी चाहिए। गणेश जी को दूर्वा और मोदक अति प्रिय हैं जिनसे गणेश जी शीघ्र प्रसन्न होते हैं। गणेश जी का श्रृंगार करके उन्हें दूर्वा और दुर्गा की माला मोदक और अन्य मिष्ठान ऋतु फल आदि अर्पित करने चाहिए और विराम धूप दीप नैवेद्य के साथ की गई पूजा शीघ्र फलित होती है।

मनोरथ की पूर्ति के लिए ये पाठ करें

गणेश जी की कृपा प्राप्त करने के लिए गणेश जी की महिमा में यश गान के रूप में गणेश स्तुति, संकटनाशन गणेश स्तोत्र, श्री गणेश अथर्व शीर्ष, गणेश सहस्त्रनाम ,गणेश चालीसा और गणेश जी से संबंधित अन्य स्रोत का पाठ अवश्य करना चाहिए। साथ ही श्री गणेश जी से संबंधित मंत्र का जाप करना भी अत्यंत लाभकारी रहता है। ऐसी मान्यता है कि श्री गणेश अथर्वशीर्ष का प्रातकाल पाठ करने से रात्रि के समस्त पापों का नाश हो जाता है, संध्या समय पाठ करने से दिन के सभी पापों का नाश होता है और यदि विधि विधान पूर्वक 1000 पाठ किए जाएं तो मनोरथ की पूर्ति के साथ ही धर्म अर्थ काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

विमल जैन बताते हैं कि जिन व्यक्तियों की कुंडली के अनुसार केतु ग्रह की महादशा अंतर्दशा में अनुकूल फल ना मिल रहा हो तो संकष्टि गणेश चतुर्थी के दिन व्रत उपवास रखकर सर्व विघ्न विनाशक प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना करके लाभ उठाएं। श्री गणेश चतुर्थी का व्रत सभी स्त्री-पुरुष और विद्यार्थियों के लिए समान रूप से फलदाई है।