Gonda Murder Case: फर्जी अंगूठा लगा छह साल में 14 बार बदली जांच, गोंडा में युवक के कत्ल के मामले की अब होगी उच्चस्तरीय तफ्तीश

गोंडा में दलित की हत्या के मामले में वादिनी के फर्जी अंगूठे से 14 बार जांच बदली गई। छह साल से जांच बदलने का खेल चल रहा है। प्रमुख सचिव गृह ने डीजी सीबीसीआईडी को प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच करने को कहा है...

Gonda Murder Case:  फर्जी अंगूठा लगा छह साल में 14 बार बदली जांच, गोंडा में युवक के कत्ल के मामले की अब होगी उच्चस्तरीय तफ्तीश

गोंडा। तरबगंज इलाके में वर्ष 2017 में दलित युवक की हत्या के मामले की जांच छह साल में फर्जी तरीके से 14 बार बदल दी गई। मृतक की पत्नी का फर्जी अंगूठा लगाकर प्रत्यावेदन देकर जांच ट्रांसफर कराने का खेल चलता रहा और किसी को भनक तक नहीं लगी। इसकी शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय में होने पर प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने डीजी सीबीसीआईडी को पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच करने को कहा है। सूत्रों के मुताबिक डीजी सीबीसीआईडी ने इसका आदेश जारी कर दिया है।

हैरानी की बात यह है कि जिला पुलिस और सीबीसीआईडी द्वारा आरोपियों को गिरफ्तार नहीं करने पर अदालत ने कुर्की का आदेश भी दिया, इसके बावजूद जांच बदलने का खेल जारी रहा। गोण्डा के थाना तरबगंज पर वादिनी सुंदरपति ने अपने पति रमई की हत्या की एफआईआर 5 जून 2017 को दर्ज कराई थी। इसमें उसने राधेश्याम दुबे, विष्णुशंकर दुबे, कलूट, मोहर अली को नामजद कराया था। 

इस मामले की जांच सबसे पहले सीओ तरबगंज को सौंपी गई। विवेचना के दौरान ही एसपी गोण्डा के आदेश से जांच सीओ मनकापुर विजय आनंद को दे दी गई। कुछ दिन बाद विवेचना सीओ मनकापुर से सीओ तरबगंज ब्रह्म सिंह को मिल गई। बार-बार जांच बदलने की शिकायत राष्ट्रीय अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग में होने पर आईजी जोन गोरखपुर के आदेश पर विवेचना बस्ती जिले के सीओ हरैया सतीश चंद्र शुक्ला को दी गई।

 फिर यह बस्ती के सीओ कलवारी अरविंद कुमार वर्मा को सौंप दी गई। तत्पश्चात आईजी गोरखपुर जोन ने जांच बहराइच जिले के सीओ नानपारा सुरेंद्र कुमार यादव और फिर सीओ बहराइच विजय प्रकाश सिंह से कराने का आदेश दिया। वहीं 27 अगस्त 2018 को एससी-एसटी आयोग ने जांच सीबीसीआईडी से कराने का आदेश जारी कर दिया।

सीबीसीआईडी में भी होता रहा खेल

आयोग के आदेश के बाद डीजी सीबीसीआईडी ने डिप्टी एसपी प्रमोद कुमार को जांच आवंटित कर दी है। तत्पश्चात सीबीसीआईडी, गोरखपुर सेक्टर के डिप्टी एसपी आशापाल सिंह, एएसपी अखिलेश्वर पांडेय, एएसपी राजेश कुमार भारती, एएसपी डॉ. कृष्ण गोपाल को जांच की जिम्मेदारी देने का सिलसिला चलता रहा।

एएसपी डाॅ. कृष्ण गोपाल ने जांच में पुख्ता प्रमाण के आधार पर अदालत में चार्जशीट दाखिल करने की संस्तुति करते हुए अंतिम आख्या प्रस्तुत की। इसे आईजी, सीबीसीआईडी ने 31 मई 2022 को मंजूर करते हुए शासन को भेज दिया। इसके बाद आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए कई बार दबिश दी गई, लेकिन सफलता नहीं मिली। आरोपियों की गिरफ्तारी का जिम्मा नवागंतुक एएसपी रचना मिश्रा को दिया गया।

शासन में दिया फर्जी प्रत्यावेदन

आरोपियों के खिलाफ अदालत से गैर जमानती वारंट और कुर्की का आदेश होने के बावजूद शासन में सुंदरपति के फर्जी दस्तखत कर जांच बदलने का प्रत्यावेदन दिया गया, इस पर जांच रचना मिश्रा से लेकर सीबीसीआईडी, लखनऊ सेक्टर के एएसपी लल्लन प्रसाद को आवंटित कर दी गई।

तत्पश्चात डीजी सीबीसीआईडी ने 30 मार्च 2023 को यह जांच लल्लन प्रसाद से लेकर प्रयागराज सेक्टर के एएसपी समीर सौरभ के सुपुर्द कर दी गई। सुंदरपति का आरोप है कि राजनीतिक दबाव की वजह से जिला पुलिस और सीबीसीआईडी के अफसर आरोपियों को बचा रहे हैं। वहीं आरोपी कूटरचित दस्तावेजों पर उसके अंगूठे का निशान लगाकर लगातार जांच बदलवा रहे हैं।