शनि दोष और अशुभ प्रभाव से बचने के लिए करें हनुमानजी की पूजा, पढ़ें क्या कहते हैं ज्योतिष एक्सपर्ट

शनि दोष व उनकी दशा के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए हनुमानजी की भक्ति ही एक मात्र साधन है। इसी पंक्ति में शनिवार व प्रदोष तिथि में हनुमानजी की भक्ति और पूजा के उपाय मंगलकारी सिद्ध होते हैं...

शनि दोष और अशुभ प्रभाव से बचने के लिए करें हनुमानजी की पूजा, पढ़ें क्या कहते हैं ज्योतिष एक्सपर्ट

फीचर्स डेस्क। सनातन धर्म में आस्था रखने वाला हर व्यक्ति हनुमान जी को संकटमोचक व शनिदेव को दंड देने वाले देवता के रूप में पूजता है। दोनों ही देवताओं का भगवान शिव से अटूट संबंध है। हनुमान रुद्र यानी शिव के अवतार हैं, तो शनिदेव ने भी शिव को प्रसन्न करके ही न्यायाधीश की शक्तियां पाई। शनि दोष व उनकी दशा के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए हनुमानजी की भक्ति ही एक मात्र साधन है। इसी पंक्ति में शनिवार व प्रदोष तिथि में हनुमानजी की भक्ति और पूजा के उपाय मंगलकारी सिद्ध होते हैं। हनुमानजी अखण्ड ब्रह्मचारी और तप करने वाले हैं। इसलिए सबसे आवश्यक है कि उनकी किसी भी तरह की पूजा और उपासना में वस्त्र से लेकर विचारों तक की पवित्रता, ब्रह्मचर्य व इंद्रिय संयम को अपनाएं। इसी पावनता का ध्यान रखते हुए शनिवार-प्रदोष के संयोग में हनुमानजी की पूजा के लिए भक्त सुबह-सवेरे तीर्थजल से स्नान कर जहाँ तक संभव हो स्वच्छ व लाल कपड़े पहने। पूजा के लिए लाल आसन पर उत्तर दिशा की तरफ मुंह रख आसन ग्रहण करें| वहीं, हनुमानजी की मूर्ति या फिर तस्वीर सामने रखे यानी उनका मुखमण्डल दक्षिण दिशा की तरफ रखे।

क्या चढ़ाये

मंत्र जाप के दौरान उसकी आंखे हनुमानजी के नेत्रों पर टिकी रहें। यही नहीं, सात्विक तरीकों से कामनापूर्ति के लिए मंत्र जाप रुद्राक्ष माला से और तंत्र मार्ग से लक्ष्य प्राप्त करने के लिए मूंगे की माला से मंत्र जाप बड़े ही असरदार होते हैं। शनि प्रदोष के संयोग में हनुमानजी को तिल के तेल से मले, सिंदूर से चोला चढ़ाने से सारी भय, बाधा और परेशानियों का अंत हो जाता है।

चोला चढ़ाते वक्त इस मंत्र का स्मरण करें -

सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यसुखवर्द्धनम्।

शुभदं चैव माङ्गल्यं सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्।।

शनि प्रदोष तिथि पर हनुमानजी को पीले या लाल फूल जैसे कमल, गुलाब, गेंदा या सूर्यमुखी चढ़ाने से सारे वैभव व सुख प्राप्त होते हैं। हनुमानजी को आंकडे के फूल चढ़ाना भी हर कामना सिद्ध करता है।

मनचाही इच्छा पूरी करने के लिए सिंदूर लगे एक नारियल पर मौली या कलेवा लपेटकर हनुमानजी के चरणों में अर्पित करें।

नारियल को चढ़ाते समय श्री हनुमान चालीसा की इस चौपाई का पाठ मन ही मन करें-

जय जय जय हनुमान गौसाईं, कृपा करहु गुरु देव की नाई।

सवेरे हनुमानजी को नारियल का गोला या गुड़ या गुड़ से बने लड्डू का भोग लगाना चाहिए। दोपहर में हनुमान की पूजा में घी और गुड़ या फिर गेहूं की मोटी रोटी बनाकर उसमें ये दोनों चीजें मिलाकर बनाया चूरमा चढ़ना चाहिए। शाम या रात के समय हनुमानजी को खास तौर पर फल का नैवेद्य चढ़ाना चाहिए। हनुमानजी को केले, अनार, जामफल या आम के फल बहुत प्रिय हैं। इस तरह हनुमानजी को मीठे फल व नैवेद्य अर्पित करने वाले की दु:ख व असफलताओं की बाधा दूर होती है और वह सुख व सफलता का स्वाद मिलता है। इन तीनों विशेष वक़्त के अलावा जब भी हनुमानजी को जो भी नैवेद्य चढ़ावें तो जहाँ तक संभव हो उसमें गाय का शुद्ध घी या उससे बने पकवान जरूर शामिल करें। साथ ही यह भी आवश्यक है कि भक्त स्वयं भी उसे ग्रहण करे।

हनुमानजी को घिसे लाल चंदन में केसर मिलाकर लगाने से अशांति और कलह दूर हो जाते हैं।

हनुमानजी के मंत्र का जाप या किसी भी रूप में इस तरह भक्ति करें कि अगर आँख भी बंद करें तो हनुमानजी का ही रूप नजर आए। यानी हनुमानजी की भक्ति पूरी सेवा भावना, श्रद्धा व आस्था में डूबकर करें।

शाम के समय हनुमानजी को लाल फूलों के साथ जनेऊ, सुपारी अर्पित करें और उनके सामने चमेली के तेल का पांच बत्तियों का दीपक नीचे लिखे मंत्र के साथ लगाएं –

साज्यं च वर्तिसं युक्त वह्निनां योजितं मया।

दीपं गृहाण देवेश प्रसीद परमेश्वर।

यह उपाय किसी भी विघ्र-बाधा को फौरन दूर करने वाला माना जाता है।

शनि प्रदोष तिथि पर जब भी घर से बाहर निकलें तो श्रीहनुमान चालीसा की इस चौपाई का स्मरण कर निकलें-

जै जै जै हनुमान गोसाईं, कृपा करहु गुरुदेव की नाई।

इस हनुमान चालीसा का स्मरण बाहर न केवल अनहोनी से बचाता है, बल्कि मनचाहे काम व लक्ष्य को पूरा करने की शक्ति प्रदान करता है।

भगवान शिव अवतार श्रीहनुमानजी की उपासना बल, बुद्धि के साथ सुख संपन्न भी बनाने वाली मानी गई है। शास्त्रों में हनुमान जी को अदभुत और विलक्षण सिद्धियों व 9 निधियों का स्वामी भी बताया गया है, जो उनको प्रभु राम व माता सीता की सेवा व भक्ति के द्वारा प्राप्त हुई। इसलिए शनिवार-प्रदोष तिथि के संयोग में हनुमान के साथ श्रीराम-जानकी की मूर्ति रख पूजा करें और इस मंत्र का जाप कर सुख-सफलता व समृद्धि की कामना पूरी करें-

मनोजवं मारुततुल्यं वेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।

वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये।।

शनि प्रदोष पर शनि दशा या अन्य ग्रहदोष से आ रही कई मुसीबतों और बाधाओं से फौरन निजात पाने के लिए श्रीहनुमान चालीसा, बजरंगबाण, हनुमान अष्टक का पाठ करें। श्रीहनुमान की गुण, शक्तियों की महिमा से भरे मंगलकारी सुन्दरकाण्ड का परिजनों या इष्टमित्रों के साथ शिवालय में पाठ करें।

इसके साथ-साथ शिव मंदिर में हनुमान मंत्र...

‘हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्’

का रुद्राक्ष माला से जाप करें या फिर सिंदूर चढ़े दक्षिणामुखी या पंचमुखी हनुमान के दर्शन कर चरणों में नारियल चढ़ाकर उनके चरणों का सिंदूर मस्तक पर लगाएं। इससे ग्रहपीड़ा या शनिपीड़ा का अंत होता है।

शनि प्रदोष के अलावा हर रोज भी सुबह या रात को सोने से पहले स्मरण करना न चूकें –

हनुमानञ्जनी सूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।

रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिङ्गाक्षोमितविक्रम:।।

उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:।

लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।

एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।

स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।

तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।।

इस खास मंत्र में हनुमानजी के 12 नाम उनके गुण व शक्तियों को दर्शाते हैं ।

ये नाम है :–

हनुमान, अञ्जनी सूनु, वायुपुत्र, महाबल, रामेष्ट यानी श्रीराम के प्यारे, फाल्गुनसख यानी अर्जुन के साथी, पिंङ्गाक्ष यानी भूरे नयन वाले, अमित विक्रम, उदधिक्रमण यानी समुद्र पार करने वाले, सीताशोकविनाशक, लक्ष्मणप्राणदाता और दशग्रीवदर्पहा यानी रावण के दंभ को चूर करने वाले।

इनपुट सोर्स : विनोद सोनी, ज्योतिषाचार्य एवं हस्तरेखार्विंद, भोपाल सिटी।