ज्योतिष एक्सपर्ट से जानें करवा चौथ व्रत विधि एवं तिथि मुहूर्त

करवा चौथ हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह पर्व भारत के पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान में मुख्य रूप से मनाया जाता है। यह पर्व सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ एवं कुँआरी विवाह योग्य कन्याये मनाती हैं.....

ज्योतिष एक्सपर्ट से जानें करवा चौथ व्रत विधि एवं तिथि मुहूर्त

फीचर्स डेस्क। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को यह त्यौहार मनाया जाता है।  इस दिन विवाहित महिलायें अपने पति की लंबी आयु और स्वास्थ्य शरीर की कामना से यह व्रत रखती हैं। और कुंवारी लड़कियां भी अच्छे और इक्षित वर की प्राप्ति लिये इस दिन व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और रात को चांद देखकर उसे अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं। करवा चौथ मुहूर्त करवा चौथ पूजा मुहूर्त: 5:40 से 6:47 तक करवा चौथ चंद्रोदय समय 7 बजकर 51 मिनट पर होगा। करवा चौथ हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह पर्व भारत के पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान में मुख्य रूप से मनाया जाता है। यह पर्व सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ एवं कुँआरी विवाह योग्य कन्याये मनाती हैं। करवा चौथ का यह व्रत सूर्योदय से पहले लगभग 4 बजे के बाद से आरंभ होकर रात में चंद्र देव के दर्शन के बाद संपूर्ण हो जाता है।

ग्रामीण स्त्रियों से लेकर आधुनिक महिलाओं तक सभी नारियाँ करवाचौथ का व्रत बडी़ श्रद्धा एवं उत्साह के साथ रखती हैं। पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है। करवाचौथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अर्क देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है। वर्तमान समय में करवाचौथ व्रतोत्सव अधिकतर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही व्रत रखती और मनाती हैं किन्तु अधिकतम स्त्रियां निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं।

चौथ माता जी का प्राचीन एवं सबसे अधिक ख्याति प्राप्त मंदिर राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा गाँव में स्थित है। चौथ माता के नाम पर इस गाँव का नाम बरवाड़ा से चौथ का बरवाड़ा पड़ गया। चौथ माता मंदिर की स्थापना महाराजा भीमसिंह चौहान ने की थी।

इस दिन भगवान शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा का पूजन करें। शुद्ध घी में आटे को सेंककर उसमें शक्कर अथवा खांड मिलाकर मोदक (लड्डू) नैवेद्य हेतु बनाएँ।

पूजा करते समय निम्न मंत्र बोलें

ॐ शिवायै नमः' से पार्वती का

ॐ नमः शिवाय' से शिव का

ॐ षण्मुखाय नमः से स्वामी कार्तिकेय का

ॐ गणेशाय नमः' से गणेश का तथा

ॐ सोमाय नमः' से चंद्र देव का पूजन करें

करवों में लड्डू का नैवेद्य रखकर नैवेद्य अर्पित करें। एक लोटा, एक वस्त्र व एक विशेष करवा दक्षिणा के रूप में अर्पित कर पूजन समापन करें।

करवा चौथ व्रत की कथा पढ़ें अथवा सुनें

पति की माता अर्थात अपनी सासू माँ को भेंट रूप से एक लोटा, वस्त्र व विशेष करवा भेंट कर आशीर्वाद लें। यदि वे जीवित न हों तो उनके तुल्य किसी अन्य स्त्री को भेंट करें। और कुआंरी कन्यायें किसी सुहागन वृद्ध महिला को भेंट स्वरुप वस्त्र या कुछ सुहाग सामग्री भेंट में दे। इसके पश्चात स्वयं व परिवार के अन्य सदस्य भोजन करें।

इनपुट सोर्स : ज्योतिषाचार्य एवं हस्तरेखार्विंद विनोद सोनी “पोद्दार” भोपाल सिटी।