दक्षिण मुखी घरों में क्यों हो जाती है हार्ट अटैक से जल्दी मृत्यु, पढ़ें क्या है इसका वैज्ञानिक आधार ?

वास्तु के अनुसार कभी -कभी दक्षिणमुखी घर में क्रोध और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं, जो आगे चलकर समस्याएं ला सकती हैं। इस तरह के घरों के मुखिया की सेहत के लिए खतरा होता है...

   दक्षिण मुखी घरों में क्यों हो जाती है हार्ट अटैक से जल्दी मृत्यु, पढ़ें  क्या है इसका वैज्ञानिक आधार ?

फीचर्स डेस्क। आजकल दुखी लोग मूर्ख बनते हैं और उनको लूटा जाता है। इसलिए समय-समय पर हम आपको वैज्ञानिक वास्तु की जानकारी देते रहते हैं। भारत की भौगोलिक संरचना के अनुसार दक्षिण दिशा से सूर्य के भ्रमण के कारण दक्षिण दिशा का तापक्रम बहुत जायदा होता है। अगर मकान का मुख दक्षिण की ओर है तो निश्चित तौर पर मकान में दिन के समय में गर्मी ज्यादा आएगी। मकान बहुत ज्यादा तपेगा मकान का तापक्रम दिन में 45 डिग्री होगा और रात में 20 डिग्री होगा। यह गर्मी का उतार-चढ़ाव ही दक्षिण दिशा के मकानों में जल्दी मृत्यु का कारण बन जाता है।

इसको आप एक विज्ञान के उदाहरण से समझ सकते हो। आप एक लोहे की 1 इंच मोती छड़ ले लें तथा उसको 8 घंटे रोजाना 45 डिग्री पर गरम करें तथा फिर उसको 20 डिग्री पर ठंडा करें। यही प्रक्रिया आप 5 साल तक करें तो विज्ञान का नियम यह कहता है कि वह लोहे की छड़ पाँच साल में या तो खत्म हो जाएगी या सुई जैसे पतली हो जाएगी।

इसी प्रकार दक्षिण मुखी मकानों में रहने वालों लोगों का हाल होता है या तो वो जल्दी मृत्यु का शिकार हो जाते हैं या हमेशा बीमार रहते हैं। अगर आप स्वयं इस विषय पर शोध करना चाहते हैं तो आप दो गाय ले लें तथा एक गाय को हमेशा दक्षिण दिशा वाले कमरे में बाँधकर रखें और दूसरी गाय को उत्तर  दिशा  वाले कमरे में बांध कर रखें। फिर उनका रोजाना दूध चेक करें तथा उनका स्वास्थ चेक करें तो आपको यह जानकार हैरानी होगी कि उत्तर दिशा वाली गाय स्वस्थ होगी तथा उसका दूध ज्यादा होगा और दक्षिण दिशा वाली गाय का दूध कम होगा तथा उसका स्वास्थ खराब रहेगा। इसलिए हमारे ऋषियों ने गौधन को उत्तर में रखने का विधान हमें दिया। दक्षिण मुखी मकानों को एक्सपर्ट और अनुभवी वास्तुकार से ही नक्शा बनवाना चाहिए या विजिट करानी चाहिए।

इनपुट सोर्स : दीपाली सक्सेना, टैरो कार्ड रीडर, ज्योतिष एक्सपर्ट, वास्तु सलाहकार, नोएडा।