सर्दियों में गर्भवती महिलाओं क्यो होती है ब्लोटिंग की समस्या, जानें इसके कारण

गर्भावस्था के शरीर प्रोजेस्टेरोन के उच्च स्तर का उत्पादन करता है, जिससे डाइजेस्टिव मसल्स रिलैक्स करती हैं और पाचन धीमा हो जाता है। इससे कब्ज, गैस व पेट फूलने की समस्या हो सकती है...

सर्दियों में गर्भवती महिलाओं क्यो होती है ब्लोटिंग की समस्या, जानें इसके कारण

हेल्थ डेस्क। गर्भावस्था किसी भी महिला के लिए एक कठिन दौर होता है। इस दौरान महिलाओं में बहुत तेजी से हार्मोनल परिवर्तन होते हैं, जिसके कारण उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं, जब मौसम बदलता है तो उसका असर भी उनकी सेहत पर पड़ता है। मसलन, अब जब सर्दियों का मौसम शुरू हो चुका है तो ऐसे में गर्भवती महिलाओं को ब्लोटिंग, कब्ज और गैस की समस्या की शिकायत होना बेहद आम बात है। यूं तो गर्भावस्था में पेट व पाचन से जुड़ी समस्याएं होती ही हैं। लेकिन ठंड के दिनों में यह परेशानी और भी ज्यादा बढ़ जाती है। इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं।

आप इस समस्या को मैनेज करने के लिए कुछ आसान घरेलू नुस्खे अपना सकती हैं। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में- सर्दियों में गर्भावती महिला को कई वजहों से ब्लोटिंग, कब्ज या गैस की समस्या होने के पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। मसलन गर्भावस्था के दौरान ब्लोटिंग का एक आम कारण हार्मोनल उतार-चढ़ाव है। गर्भावस्था के शरीर प्रोजेस्टेरोन के उच्च स्तर का उत्पादन करता है, जिससे डाइजेस्टिव मसल्स रिलैक्स करती हैं और पाचन धीमा हो जाता है। इससे कब्ज, गैस व पेट फूलने की समस्या हो सकती है।

जैसे-जैसे गर्भ में बच्चे का आकार बढ़ने लगता है तो गर्भाशय उसे समायोजित करने के लिए फैलता है, उससे पाचन अंगों पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है। ऐसे में ब्लोटिंग की समस्या हो सकती है। ठंड के दिनों में एक गर्भवती महिला प्यास ना लगने के कारण पर्याप्त पानी नहीं पीती है। जिससे डिहाइड्रेशन हो सकता है। जब गर्भवती महिला का शरीर डिहाइड्रेटेड हो जाता है तो इससे ब्लोटिंग व गैस हो सकती है।

ठंड के दिनों में खान-पान की आदतों में भी काफी बदलाव आता है। त्योहार व वेडिंग फंक्शन में हैवी फूड खाने से गर्भवती महिला के लिए उसे पचाना काफी मुश्किल हो जाता है। जिससे सूजन और गैस की समस्या हो सकती है।

सर्दियों में ठंडे मौसम के कारण गर्भवती महिला घर से बाहर कम ही निकलती है। आउटडोर एक्टिविटीज ना करने के कारण भी डाइजेस्टिव सिस्टम पर नेगेटिव असर पड़ता है और ब्लोटिंग होती है। अगर गर्भवती महिला अपने आहार में बीन्स, पत्तागोभी, ब्रोकोली और कार्बोनेटेड ड्रिंक्स आदि को शामिल करती है तो इससे भी पेट से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। 

गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल परिवर्तन पाचन प्रक्रिया को धीमा कर सकते हैं, जिससे पाचन तंत्र में गैस बनने के लिए अधिक समय मिलता है।

ठंड के दिनों में अगर पर्याप्त सूरज की रोशनी के संपर्क में ना रहा हाए तो इससे शरीर में विटामिन डी का स्तर कम हो जाता है। विटामिन डी की कमी को पाचन समस्याओं से जोड़ा गया है। ऐसे में गर्भवती महिला को ब्लोटिंग हो सकती है।