यूपी के इस जिले में गिरी थी माता काली की कनिष्ठा उंगली! प्रषिद्ध  शक्तिपीठों में से एक है माँ का दरबार

मन्दिर के पुजारी पंडित संजय कुमार शुक्ला ने बताया कि जब देवासुर संग्राम में माता काली की कनिष्ठा उंगली बस्ती जनपद के इसी स्थान पर गिरी थी। जहां पर बाद में राजा विक्रमादित्य द्वारा माता काली के मंदिर की स्थापना कराई गई थी। मां काली मंदिर सिद्ध पीठ के रूप में पूर्वांचल के 11 शक्ति पीठों में शुमार है...

यूपी के इस जिले में गिरी थी माता काली की कनिष्ठा उंगली! प्रषिद्ध  शक्तिपीठों में से एक है माँ का दरबार

फीचर्स डेस्क। शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। जगह-जगह भक्तों द्वारा माता की मूर्ति स्थापित कर आदिशक्ति मां दुर्गा की उपासना की जा रही है। साथ ही मन्दिरों में भी भक्तों की लम्बी कतारें देखने को मिल रहे हैं। बस्ती रेलवे स्टेशन के सामने स्थित माता काली के मन्दिर में भी भक्तों का तांता लग रहा है। हजारों की संख्या में भक्त यहां आ रहे हैं और माता के दर्शन कर अपनी मुरादे मांग रहे हैं। मान्यता है कि यहां जो भी भक्त मां के दरबार में आता है तो माता काली उसकी मुरादे जरूर पूरी करती हैं। मां काली मंदिर सिद्ध पीठ के रूप में पूर्वांचल के 11 शक्ति पीठों में शुमार है।

मन्दिर के पुजारी पंडित संजय कुमार शुक्ला ने बताया कि जब देवासुर संग्राम में माता काली की कनिष्ठा उंगली बस्ती जनपद के इसी स्थान पर गिरी थी। जहां पर बाद में राजा विक्रमादित्य द्वारा माता काली के मंदिर की स्थापना कराई गई थी। जो आज से लगभग 23 सौ पूर्व की बात है। अध्यात्मिक कथाओं के अनुसार अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने यहां विश्राम किया था। माता कुंती के साथ मुख्य ¨पडी की स्थापना कर उन्होंने पूजा अर्चना की थीयह मंदिर अपने आप में कई पौराणिक कथाओं को खुद में समेटे हुए है। इस सिद्ध मंदिर का जिक्र कई पुराणों में भी है। साथ ही इस मन्दिर का दोबारा निर्माण भगवान गौतम बुद्ध के पिता महाराज शुद्धोदन ने कराया था।

इतिहासकार ग्राहम डेविड ने किया है मंदिर का जिक्र

पुजारी पंडित संजय कुमार शुक्ला ने बताया कि दुर्गा महात्म्य में भी इस मंदिर का वर्णन किया गया है और कहा गया है कि यहां आने वाले सभी भक्तों की मुरादे पूरी हो जाती है। इसलिए इस मन्दिर को सिद्ध पीठ भी कहा जाता है। ग्राहम डेविड जो एक इतिहासकार थे उन्होंने ने भी 1804 में लिखी अपने किताब में इस मंदिर का वर्णन किया है। जिसमें कहा गया है कि प्राचीन मंदिर में अंग्रेज भी आकर मां की आराधना किया करते थे।

जारी है मां दुर्गा का चमत्कार

यहां मन्दिर में भक्तों द्वारा जो भी मुरादे मांगी जाती हैं वो जरूर पूरी होती है। उन्होंने कहा कि यूं तो हजारों उदाहरण है लेकिन अभी हाल ही में एक व्यापारी यहां आए थे जिनके पत्नी का हाथ टूट गया था और उन्होंने कई डॉक्टरों को दिखाया लेकिन कोई भी ठीक नहीं कर सका। फिर वो यहां मंदिर में आए और रोने लगे तब मैने मां की आराधना कर उनको भभूत दिया, जिसके बाद वो तीन दिन के बाद मां को मिठाई चढ़ाने आए और बताया की उनकी पत्नी का हाथ ठीक हो गया है।

- पंडित संजय कुमार शुक्ला,पुजारी, माता काली के मन्दिर, बस्ती यूपी।