शास्त्र विवेचना : आप भी घर में कुत्ता पालने का शौक रखते हैं तो ये आर्टिकल जरूर पढ़ें !

यदि कुत्ता घर में हो और किसी का देहांत हो जाए तो देवताओं तक पहुँचने वाली वस्तुएं देवता स्वीकार नहीं करते। अत: यह मुक्ति में बाधा हो सकता है। कुत्ते के छू जाने पर द्विजों के यज्ञोपवीत खंडित हो जाते हैं। अत: धर्मानुसार कुत्ता पालने वालों के यहाँ ब्राह्मणों को नहीं जाना चाहिए...

शास्त्र विवेचना : आप भी घर में कुत्ता पालने का शौक रखते हैं तो ये आर्टिकल जरूर पढ़ें !

फीचर्स डेस्क। आजकल लोग घर में कुत्ता पालने का शौक रखते हैं। एक तरफ जहां सुरक्षा के लिए रखते हैं तो वहीं स्टेट्स भी लोगों का हो गया है। जबकि शास्त्र की मानें तो जिसके घर में कुत्ता होता है उसके यहाँ देवता भोजन ग्रहण नहीं करते। वहीं यदि कुत्ता घर में हो और किसी का देहांत हो जाए तो देवताओं तक पहुँचने वाली वस्तुएं देवता स्वीकार नहीं करते। अत: यह मुक्ति में बाधा हो सकता है। कुत्ते के छू जाने पर द्विजों के यज्ञोपवीत खंडित हो जाते हैं। अत: धर्मानुसार कुत्ता पालने वालों के यहाँ ब्राह्मणों को नहीं जाना चाहिए। कुत्ते के सूंघने मात्र से प्रायश्चित्त का विधान है, कुत्ता यदि हमें सूंघ ले तो हम अपवित्र हो जाते हैं। कुत्ता किसी भी वर्ण के यहाँ पालने का विधान नहीं है। और तो और अन्य वर्ण यदि कुत्ता पालते हैं तो वे भी उसी गति को प्राप्त हो जाते हैं।

 जिस भोजन को कुत्ता देख लें वह खाने योग्य नहीं

कुत्ते की दृष्टि जिस भोजन पर पड़ जाती है वह भोजन खाने योग्य नहीं रह जाता। यही कारण है कि जहाँ कुत्ता पला हो वहाँ जाना नहीं चाहिए। उपरोक्त सभी बातें शास्त्रीय हैं अन्यथा ना लें, ये कपोल कल्पित बातें नहीं। बता दें कि कुत्ते के साथ व्यवहार के कारण तो युधिष्ठिर को भी स्वर्ग के बाहर ही रोक दिया गया था।

 घर मे कुत्ता पालने का शास्त्रीय शंका समाधान

महाभारत में महाप्रस्थानिक/स्वर्गारोहण पर्व का अंतिम अध्याय इंद्र, धर्मराज और युधिष्ठिर संवाद में इस बात का उल्लेख है। जब युधिष्ठिर ने पूछा कि मेरे साथ साथ यहाँ तक आने वाले इस कुत्ते को मैं अपने साथ स्वर्ग क्यो नही ले जा सकता। तब इंद्र ने कहा:- हे राजन कुत्ता पालने वाले के लिए स्वर्ग में स्थान नही है ! ऐसे व्यक्तियों का स्वर्ग में प्रवेश वर्जित है। कुत्ते से पालित घर मे किये गए यज्ञ और पुण्य कर्म के फल को राक्षस हरण कर लेते है और तो और उस घर के व्यक्ति जो कोई दान, पुण्य, स्वाध्याय, हवन और कुवा बावड़ी इत्यादि बनाने के जो भी पुण्य फल इकट्ठा होता है, वह सब घर में कुत्ते की हाजरी और उसकी दृष्टि पड़ने मात्र से निष्फल हो जाता है । इसलिए कुत्ते का घर मे पालना...निषिद्ध और वर्जित है।

कुत्ते का संरक्षण होना चाहिए। उसे भोजन देना चाहिए। घर की रोज की एक रोटी पर कुत्ते का अधिकार है। इस पशु को कभी प्रताड़ित नही करना चाहिए‌ और दूर से ही इसकी सेवा करनी चाहिए‌। परंतु घर के बाहर, घर के अंदर नही। यह शास्त्र मत है की अतिथि और गाय, घर के अंदर और कुत्ता, कौवा, चींटी... घर के बाहर ही फलदाई होते है। गाय, बूढ़े मातापिता क्रमशः दिल, घर, शहर से निकलते हुए गौशालाओं व वृद्धाश्रम मे पहुंच गए और कुत्ते घर के बाहर से घर, सोफे, बिस्तर से होते हुए दिल मे पहुंच गए।

यह आर्टिकल शास्त्र के अनुसार है। आधुनिक विचारधारा के लोग इससे सहमत या असहमत होने के लिए बाध्य नहीं है।