Corona Alert: टीकाकरण केंद्र तलाशने में लोगों को आ रही दिक्कत, सरकारी हुए बंद

Corona Alert: टीकाकरण केंद्र तलाशने में लोगों को आ रही दिक्कत, सरकारी हुए बंद

नहीं दिल्ली। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के मामले एक बार फिर से तेजी से बढ़ने लगे हैं। इसके चलते लोग बूस्टर डोज की ओर रुख कर रहे हैं। हालांकि, भारत के प्रमुख शहरों में भी जिन निजी केंद्रों पर टीके उपलब्ध हैं, उनकी संख्या केवल गिनती भर रह गई है। स्वास्थ्य विभाग के कोविन पोर्टल से पता चलता है कि मुंबई में लगभग सात टीकाकरण केंद्र संचालित हैं। इनमें से सिर्फ जेजे हॉस्पिटल ही निःशुल्क या सरकारी केंद्र है। जबकि दूसरी ओर राजधानी दिल्ली में 11 केंद्र संचालित हैं। हैदराबाद में सात, कोलकाता में चार और चेन्नई में सिर्फ एक केंद्र पर ही लोगों का टीकाकरण किया जा रहा है। जबकि बेंगलुरु में लोगों का टीकाकरण नहीं हो रहा है क्योंकि वहां टीकाकरण के लिए कोई केंद्र नहीं है। 75 फीसदी से अधिक परिचालन वाले केंद्र अब निजी केंद्र बन गए हैं। कोविन ने दिखाया कि 296 संचालित केंद्रों में 230 केंद्र निजी हो गए हैं, जहां शुल्क देकर टीका लगाया जा रहा है।

इन केंद्रों पर लग रहे हैं ये टीके

दरअसल, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटक ने क्रमशः कोविशील्ड और कोवॉक्सीन का उत्पादन बंद कर दिया है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी का कहना है कि अब टीके ज्यादातर निजी केंद्रों पर ही दिए जा रहे हैं। कोई भी व्यक्ति इन केंद्रों पर जाकर कॉर्बीवैक्स और इनकोवैक टीके की खुराक ले सकता है। टीकों की उपलब्धता के बारे में अफसरों का कहना है कि इन दोनों टीकों के साथ मिक्स एंड मैच डोज के लिए एनटीएजीआई ने अनुमति दे दी है। हमने कॉर्बीवैक्सकी दो खुराकों के साथ सरकारी केंद्रों के माध्यम से 12-18 वर्ष तक के बच्चों की पर्याप्त आबादी को भी टीका लगा दिया है। अब कोई भी अब निजी केंद्रों पर जाकर इन टीकों की तीसरी खुराक भी ले सकता है। वहीं सूत्रों का कहना है कि मात्रा के हिसाब से देश की सबसे बड़ी टीका निर्माता एसआईआई के पास कोवोवैक्स (नोवावैक्स कोरोनारोधी टीका जिसकी अमेरिका में आपूर्ति की गई है) की 60 लाख खुराकें मौजूद हैं। जबकि सरकारी सूत्रों का यह भी कहना है कि हम कोवोवैक्स की लगभग 60 लाख खुराक भेजने के लिए तैयार हैं। हम कोवोवैक्स को बूस्टर डोज के तौर पर लगाने की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं। मंजूरी के बाद हम इसे निजी अस्पतालों को देंगे।’

कम डिमांड के कारण अस्पतालों मे ख़त्म हुए टीके

बर्बाद हो रही खुराकों के कारण हो रहे नुकसान को लेकर निजी अस्पताल भी सतर्क हैं। निजी अस्पतालों का तर्क है कि टीकों के भंडार में कई ऐसी खुराकें थीं, जो कम मांग के कारण बर्बाद हो गईं। बीते दिनों कोरोना के कम होते मामले देख हमने कोई नया ऑर्डर नहीं दिया था। अब फिर संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। लोग बूस्टर डोज लगवाने के लिए तेजी से अस्पतालों और केंद्रों का रुख कर रहे हैं। फिलहाल हम मांग पर नजर बनाए हुए हैं।