सीएम योगी ने अखिलेश पर कसा तंज : तुम्हारे पांव के नीचे जमीन नहीं, कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यकीन नहीं

सीएम योगी ने कहा कि अंत में बस एक बात की सलाह दूंगा आपको, और वह यह कि समस्या का समाधान इस बात पर निर्भर करता है कि आपका सलाहकार कैसा है। श्रीकृष्ण की चर्चा आने पर अखिलेश बोले हम उन्हीं के वंशज है, इस पर सीएम योगी ने कहा कि तभी आपने कृष्ण जन्माष्टमी पर बैन लगा दिया था...

सीएम योगी ने अखिलेश पर कसा तंज : तुम्हारे पांव के नीचे जमीन नहीं, कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यकीन नहीं

लखनऊ। मानसून सत्र में देश के अन्नदाता किसानों के विषय पर सदन में तीन दिवसीय चर्चा का आयोजन किया। कुल 33 सदस्यों ने बाढ़ और सूखा जैसे विषय पर सीएम योगी ने अपने विचार रखे। पिछले एक घंटे से मैं नेता विरोधी दल के विचारों को सुन रहा था और एक घंटे के भाषण में बाढ़ और सूखा से संबंधित मुद्दों पर उन्हें सिर्फ गोरखपुर का जल जमाव याद आया और बाकी कुछ भी नहीं। नेता विरोधी दल के वक्तव्य को देखकर यही लगा कि 2014, 2017, 2019 और 2022 का जो जनादेश है वो जनता ने ऐसे ही नहीं दिया। दुष्यंत कुमार ने इस पर बहुत अच्छी बात कही है कि तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीं नहीं और कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यकीं नहीं। उन्हें जमीनी हकीकत की कोई जानकारी नहीं है। तुलसीदास जी ने ये बात कही भी है कि समरथ को नहीं कोई दोष गोसाईं...ऐसे ही लोगों पर बातें अक्षरशः ठीक बैठती हैं, क्योंकि जो लोग जन्म से चांदी के चम्मच से खाने के आदी हैं वो गरीब-किसान-दलित की समस्या और उसकी पीड़ा को क्या समझेंगे। उन्होंने अति पिछड़ों और पिछड़ों के साथ क्या व्यवहार किया था, ये पूरा देश जानता है। 

महान किसान नेता और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने कहा था कि देश की प्रगति का मार्ग इस देश के गांव, गलियों, खेत और खलिहानों से होकर जाता है। चौधरी चरण सिंह की बातों को वास्तव में समाजवादी पार्टी ने अपने कालखंड में थोड़ा भी ध्यान में रखा होता तो उत्तर प्रदेश के इतिहास में सर्वाधिक किसानों ने उनके कालखंड में आत्महत्या नहीं की होती। 


मुझे चौधरी चरण सिंह की बातों के साथ ही महान साहित्यकार राम कुमार वर्मा जी की पंक्तियां याद आती हैं जिन्हें ध्यान में रखकर डबल इंजन की सरकार काम कर रही है। यह देश के अन्नदाता किसानों के लिए समर्पित पंक्तियां थीं कि हे ग्रामदेवता नमस्कार, सोने चांदी से नहीं किंतु तुमने मिट्टी से किया प्यार, हे ग्राम देवता नमस्कार। सोना-चांदी से प्यार करने वाले लोग अन्नदाता किसान के महत्व को नहीं समझेंगे। उसकी पीड़ा को भी नहीं समझ पाएंगे। 

अगर भारत की खेती की बात होती है तो नेता विरोधी दल, उससे बाड़ी शब्द भी जुड़ता है। पशुपालन भी उसका पार्ट है। और जिस सांड़ की आप बात कर रहे हैं न वो भी उसी का हिस्सा है। आपके समय में वो बूचड़ खाने के हवाले होता था, हमारे समय में यही पशु धन का पार्ट बना हुआ है। लगता है पेपर की कटिंग पर होमवर्क करते समय शिवपाल जी ने कुछ पुरानी कटिंग भी बीच में रखवा दी थीं। क्योंकि इतिहास गवाह है कि जब परिवार में सत्ता का संघर्ष बढ़ता है तो कुछ न कुछ चीजें तो सामने आएंगी। शिवपाल जी ने इतना पापड़ बेला है तो कुछ तो सामने आएगा। शिवपाल जी के प्रति हमारी सहानुभूति है। आपके साथ अन्याय हुआ है। आपके साथ ये लोग न्याय करेंगे भी नहीं।