World Cancer Day Special: ब्रैस्ट और सर्विक्स कैंसर के बारे में सभी महिलाओं के लिए जानना ज़रूरी है ये पॉइंटर्स

ब्रैस्ट कैंसर और सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में सबसे जयादा पाए जाने वाले कैंसर हैं। पर सही जानकारी और रेगुलर चेकअप से इनसे बचा जा सकता हैं। कौन कौन से हैं वो टेस्ट और प्रेवेन्शन्स उनके बारे में जानने के लिए पढ़े पूरा आर्टिकल , फोकस हेल्थ का वर्ल्ड कैंसर डे स्पेशल।

World Cancer Day Special: ब्रैस्ट और सर्विक्स कैंसर के बारे में सभी महिलाओं के लिए जानना ज़रूरी है ये पॉइंटर्स

फीचर्स डेस्क। 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस के रूप में मनाया जाता। इस वर्ष वर्ल्ड कैंसर डे की थीम है ' close the care gap ' इसका मैं मोटो महिलाओं में अवेयरनेस क्रिएट कर के उनकी स्ट्रेंथ को बढ़ाना है। इसी क्रम में हम  फोकस हेल्थ पर ये आर्टिकल खास तौर पैर अपनी सभी फीमेल रीडर क लिए ले कर आये हैं।  जिससे आप भी महिलाओं में प्रॉमिनेंट ब्रैस्ट और सर्वाइकल कैंसर के बारे में  बचाव के तरीको के बारे में जान सके।

ब्रैस्ट कैंसर 

ब्रेस्‍ट कैंसर महिलाओं  का सबसे कॉमन कैंसर है।  दुनिया भर में हर साल करीब 2.1 मिलियन से अधिक महिलाएं इससे ग्रसित है । भारत ,स्वास्‍थ्‍य मंत्रालय के अनुसार, देश में प्रति 1 लाख महिलाओं में 25.8% में ब्रेस्‍ट कैंसर डायग्‍नोज होता है। ब्रेस्‍ट कैंसर महिलाओं में कैंसर से संबंधित मौत की सबसे बड़ी वजह भी है।  करंट करंट सिचुएशन में  ब्रेस्ट कैंसर का जल्दी पता लगा कर इसके परिणाम को सुधारा और सर्वाइवल रेट को बढ़ाया जा सकता है।  ब्रेस्ट कैंसर को कंट्रोल करने का ये मूलभूत सिद्धांत हैं।

क्या है ब्रैस्ट कैंसर

ब्रेस्‍ट कैंसर एक ऐसा कैंसर है जो ब्रेस्‍ट के अंदर सेल्‍स के अनकंट्रोलड डेवलपमेंट की वजह से होता है। ये सेल्‍स धीरे-धीरे गांठ का रूप ले लेती हैं।

इस कैंसर का उपचार हो सकता है। हालांकि अगर इसका जल्द पता नहीं लगाया गया तो यह एक जानलेवा हो सकता है क्योंकि यह शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है। यह आमतौर पर या तो आपकी दूध बनाने वाली ग्रंथियों में शुरू होता है जिन्हें लोब्यूलर कार्सिनोमा कहा जाता है, या उन नालिकाओं में जो इसे निप्पल तक ले जाती हैं जिन्हें डक्टल कार्सिनोमा कहा जाता है।  

बचाव के उपाय

ब्रैस्ट कैंसर से बचाव के लिए अर्ली डायग्नोसिस बहुत इम्पोर्टेन्ट हैं इम्पोर्टेन्ट है। इसके लिए सभी महिलाओं को घर पर सेल्फ डायग्नोसिस करनी चाहिए। सेल्फ डायग्नोसिस को अपने मंथली रूटीन का हिस्सा बनाये। स्टेप बाय स्टेप सेल्फ डायग्नोसिस के तरीके को समझते हैं। 

स्‍टेप 1

ये अकेले में बिना कपड़ो के करना ज़रूरी है , इसलिए मेंटली प्रेपएर रहे और समय निकाले। 

अपने कंधों को सीधा और हाथों को हिप्‍स पर रखते हुए शीशे में अपनी ब्रेस्‍ट को देखें।

जानें कि आपको क्‍या नोटिस करना है

ब्रेस्‍ट अपनी नार्मल शेप, साइज और कलर में हैं।

जांच करें कि कहीं स्किन में गड्ढे पड़ना, सिकुड़ना या फिर उभार जैसा कोई बदलाव तो नहीं है।

जांच करें कि निप्‍पल के आकार, बनावट, गोलाई में कोई अंतर तो नहीं।

जांच करें कि ब्रेस्ट पर कोई लाल निशान, दाने या सूजन तो नहीं।

स्टेप 2

अपनी बाहों को ऊपर उठाएं और ऊपर बताए गए बदलावों की जांच करें।

स्टेप 3

अपने दोनों निप्पल की ठीक प्रकार से जांच करें और देखें कि क्या निप्पल से कोई तरल पदार्थ तो नहीं निकल रहा है। यह वाटरी, मिल्‍की या पीला तरल पदार्थ या ब्‍लड हो सकता है।

स्टेप 4

अब लेट जाये, रिलैक्स्ड रहे। अपने ब्रेस्ट्स को महसूस करें, अपने लेफ्ट हाथ से राइट ब्रेस्ट और फिर राइट हाथ से लेफ्ट ब्रेस्ट को छुएं। अपने हाथ की पहली कुछ उंगलियों को एक साथ रखते हुए सख्त लेकिन कम प्रेशर से अपने ब्रेस्ट को छुएं। ये ध्यान रखें कि आपने ऊपर से नीचे और दाएं से बाएं, अपने कॉलरबोन से लेकर पेट के ऊपर तक और अपनी बगल से लेकर क्लीविज तक, अपनी ब्रेस्ट कवर कर ली हो।

स्टेप 5

आखिर में खड़े होने या बैठने के दौरान अपनी ब्रेस्‍ट को छुएं। कई महिलाओं को लगता है कि जब उनकी त्वचा गीली और स्लिपरी होती है तो ब्रेस्‍ट को छूना सबसे आसान तरीका होता है इसलिए वे इस स्‍टेप को शॉवर में करना पसंद करती हैं। अपने पूरी ब्रेस्‍ट को कवर करें और यहां वही हैंड मूवमेंट्स करें जो स्टेप 4 में बताए गए हैं।

निष्कर्ष

इस पुरे प्रोसेस में अगर आप को कहीं किसी तरह का पैनलेस लम्प फील हुआ है।  कोई बदबूदार सेक्रेशन या कोई गड्ढा , सूजन फील हुई  हो  गिनकोलॉजिस्ट से मिले और बात करें।  वो आप को एक्सामिन कर के आगे की करना चाहिए उसकी सलाह देंगी। 

सर्वाइकल कैंसर

सर्वाइकल कैंसर दुनिया भर में प्रचलित चौथा सबसे कॉमन कैंसर है। भारत में प्रतिवर्ष 120 हजार नए सर्वाइकल कैंसर के मामले सामने आते हैं और लगभग 60 हजार महिलाओं की इस बीमारी से मौत हो जाती हैं। असरदार वैक्‍सीनेशन प्रोग्राम्स, स्क्रीनिंग टेस्‍ट्स और प्रारंभिक चरण में घावों के उपचार से सर्वाइकल कैंसर के मामलों को रोकने में मदद मिल सकती है।

क्या है सर्वाइकल कैंसर

सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में सर्विक्स की कोशिकाओं को प्रभावित करता है। सर्विक्स यूट्रस के निचले भाग का हिस्सा है जो वेजाइना से जुड़ा होता है। सर्वाइकल कैंसर इस हिस्‍से की कोशिकाओं को इफ़ेक्ट करता है। सर्वाइकल कैंसर के ज्‍यादातर मामले ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) के अलग-अलग तरह के एचपीवी स्ट्रेन्स के कारण होते हैं। एचपीवी एक बहुत ही आम यौन संचारित रोग है जो जननांग में मस्‍से के रूप में देखा जा सकता है। जिसमे बाद में अनकंट्रोलड सेल डिवीज़न की वजह से कैंसर डेवेलोप हो जाता है और बाकि अंगो में इसके फैलने का खतरा रहता है। 

बचाव के उपाए

अब एचपीवी वैक्‍सीन उपलब्ध है। इसको को 9 वर्ष की उम्र से 26 वर्ष की उम्र तक रेगुलर लगवाया जा सकता है और इसके विस्‍तारित वैक्‍सीनेशन को 45 वर्ष उम्र तक लगवाया जा सकता है।

सर्वाइकल कैंसर को रोकने के लिए नियमित सर्वाइकल कैंसर स्‍क्रीनिंग टेस्‍ट एक सबसे अच्‍छा साधन है, जिससे बीमारी का पता सही समय पर लग जाता है और उसे रोकने में मदद मिलती है।

वक्सीनेशन के लिए पहली बार सेक्स करने के लिए टीनएज या फिर उसके बाद की उम्र ही सही है, तब तक इसे टालें।

अपने सेक्शुअल पार्टनर्स की संख्या सीमित रखें।

हमेशा सुरक्षित यौन संबंध बनाये ।

उन लोगों के साथ सेक्शुअली संपर्क में आने से बचें जिनके बहुत सारे सेक्शुअल पार्टनर रहे हों।

आप धूम्रपान को सीमित करने या छोड़ने की कोशिश करें।

ऐसे व्‍यक्तियों के सेक्शुअल संपर्क में आने से बचें जिन्हें जेनिटल मस्‍से हों या उसके लक्षण हों।

रेगुलर स्क्रीनिंग

30 से 70 वर्ष की उम्र के बाद सभी महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर का नियमित स्‍क्रीनिंग टेस्‍ट कराना चाहिए।

पैप टेस्‍ट

यह टेस्‍ट उन कोशिकाओं के शुरुआती परिवर्तनों का पता लगाने में मदद करता है जिनके कैंसरस होने की संभावना होती है। पैप स्मीयर टेस्ट में, सर्विक्‍स से कोशिकाओं को एकत्र किया जाता है और किसी भी अनियमितताओं का पता लगाने के लिए अध्ययन किया जाता है।

एचपीवी टेस्‍ट

कोशिकाओं के नमूने को सर्विक्‍स से इकट्ठा दिया जाता है और किसी भी अनियमितताओं का पता लगाने के लिए अध्ययन किया जाता है। आमतौर पर सर्वाइकल कैंसर के लिए जिम्मेदार एचपीवी के उन स्‍ट्रेन्‍स को खोजने के लिए नमूने की जांच की जाती है। ये टेस्‍ट नियमित रूप से 3-5 वर्षों के नियमित अंतराल पर किया जाना चाहिए।

ब्रैस्ट और सर्वाइकल कैंसर दोनों ऐसा कैंसर है जिससे बचा जा सकता है। नियमित रूप से स्क्रीनिंग टेस्‍ट से इनको आसानी से रोका जा सकता है। इस प्रकार 30 वर्ष से ऊपर की सभी महिलाओं के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण है कि वे नियमित रूप से टेस्‍ट्स करवाएं और इन गंभीर  बिमारियों से बचे क्यों हम सभी  जानते हैं "प्रिवेंशन इस बेटर देन क्योर"।   

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