बच्चों के कमरे के लिए क्या वास्तु उपाय करें जिससे बच्चों की एकाग्रता पढ़ाई में बढ़े व सकारात्मक उर्जा का प्रवाह बना रहे, आइये जाने

आइये जानते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ रूचिका गुप्ता से बच्चों के कमरे में क्या रंग कैसा प्रभाव डालता है तथा कैसे कमरे की उर्जा का प्रभाव बच्चों पर पड़ता है....

बच्चों के कमरे के लिए क्या वास्तु उपाय करें जिससे बच्चों की एकाग्रता पढ़ाई में बढ़े व सकारात्मक उर्जा का प्रवाह बना रहे, आइये जाने

फीचर्स डेस्क। एक बच्चा अपने कमरे में अलग-अलग काम के लिए काफी समय बिताता है। जिसमें उस कमरे में बच्चे की किताबें, पढ़ाई का सामान, अलमारियां, साथ में खिलौने, कंप्यूटर आदि के साथ खेल क्षेत्र के रूप में भी काम करता हैं तथा आराम करने का स्थान भी वही होता है। इसलिए आपके बच्चे के कमरे के वास्तु का उचित संतुलन यह सुनिश्चित करता है कि बच्चे का सर्वांगीण विकास हो सके। तो जानते हैं कैसे सकारात्मक तरीके से बच्चे का ध्यान पढ़ाई की तरफ केंद्रित कर सके ताकि बच्चा अपने जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मक रहकर आगे बढ़ सके।

1. बच्चों के कमरे के लिए रंग

रंगों का बच्चों के ऊपर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि रंगों की अपनी एक ऊर्जा होती है तथा बच्चों के मनोभाव पर तथा बौद्धिक क्षमता पर इसका गहरा असर पड़ता है। बच्चों के कमरे में वास्तु के हिसाब से हरा रंग सबसे अच्छा होता है, क्योंकि यह प्रकृति से आपको जोड़ता है। तथा यह बच्चों के बौद्धिक विकास में मदद करता है। इसके अलावा यह रंग आंखों पर भी सुखद प्रभाव डालता है। कुछ अति सक्रिय बच्चों को विशेष नीला रंग का भी सुझाव दिया जाता है जिससे बच्चों के अंदर बुरे ऊर्जा को शांत करने में मदद मिल सके। उत्तेजक रंग जैसे लाल, बैंगनी, नारंगी, काला आदि बच्चों के कमरे में सकारात्मक ऊर्जा पैदा करने के लिए अनुकूल नहीं है।

2. कमरे का आकार व ऊर्जा का प्रवाह 

एक बच्चे का कमरा आयताकार या वर्गाकार होना चाहिए जो कि चारों दिशाओं प्राकृतिक तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है। एक स्थान पर ऊर्जा- रंग, प्रकाश, फर्नीचर आदि अन्य चीजों से भी मिलती है। तथा इस ऊर्जा का प्रवाह बिना किसी अवरोध के होना चाहिए। यह सुनिश्चित करें कि कमरे में खाली जगह पर्याप्त मात्रा में होनी चाहिए तथा फर्नीचर लकड़ी के ही हो। तथा वह फर्नीचर किसी भी तरह से कमरे की ऊर्जा को बाधित ना करें।

3. बच्चों के कमरे की दिशा व प्रकाश व्यवस्था 

बच्चों के कमरे का मुख पूर्व, उत्तर पूर्व या उत्तर की ओर होना आदर्श माना जाता है। इसमें पूर्व दिशा सबसे उत्तम होती है। बच्चों का कमरा उगते सूरज की ओर होना चाहिए। सूर्य को सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। बच्चों के कमरे में पड़ने वाली पहली किरण बच्चे को जल्दी उठने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ-साथ सकारात्मक ऊर्जा भी देती है। बच्चों के कक्ष में भरपूर प्राकृतिक रोशनी का आना बच्चों के स्वास्थ्य दृष्टिकोण से भी लाभकारी है। आखिरकार सूर्य की रोशनी कीटाणुओं को मारने व विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती हैं। बच्चों के कमरे में तेज फोकस लाइट नहीं होनी चाहिए। बच्चों की स्टडी टेबल पर स्टडी लैंप होना चाहिए। इसके अलावा प्रकाश व्यवस्था सही तरीके से तथा पर्याप्त मात्रा में होनी चाहिए तथा यह भी ध्यान रहे पढ़ते समय बच्चे की छाया उसकी किताबों पर नहीं पड़नी चाहिए।

बच्चों का कमरा व्यवस्थित होना चाहिए। अध्ययन क्षेत्र में पुराना सामान जैसे पुरानी किताबें, खाली डिब्बे, पुराने बेकार पेन पेंसिल तथा किताबें आदि सामान नहीं होना चाहिए। इसके अलावा पुराने खिलौने आदि को भी त्याग देना चाहिए। खिलौने इत्यादि उचित स्थान पर ही होने चाहिए ऐसा नहीं होने पर बच्चे का ध्यान पढ़ाई के दौरान विचलित हो सकता है। बच्चों के कमरे में टेलीविजन सेट नहीं होना चाहिए। बच्चों को खाना बिस्तर पर बैठकर भी खाने से वास्तु खराब होता है तथा बच्चों में बुरे सपने जैसे समस्याएं सामने आ सकती हैं तथा बच्चा विचारों में उलझा रहेगा। बच्चों के कमरे को साफ सुथरा व व्यवस्थित रखना एक सबसे अच्छा विकल्प है।

ऊपर दिए वास्तु उपायों का प्रयोग कर आप काफी हद तक अपने बच्चों को भविष्य के लिए सकारात्मक तरीके से तैयार कर, उनके भविष्य को प्रकाशित कर सकते हैं।