ऐसे समझे प्रेगनेंसी में डेटिंग और एनटी स्कैन का महत्त्व
डेटिंग स्कैन और एनटी स्कैन फर्स्ट ट्राइमेस्टर के ज़रूरी अल्ट्रासाउंड टेस्ट्स हैं।अर्ली प्रेगनेंसी में ये हार्टबीट डिटेक्शन और देय डेट का अंदाज़ा देने के साथ कई चीज़ो के लिए इम्पोर्टेन्ट है। आइए इस बारे में एक्सपर्ट से विस्तार में जानते हैं।
फीचर्स डेस्क। डेटिंग स्कैन और एनटी स्कैन फर्स्ट ट्राइमेस्टर के ज़रूरी अल्ट्रासाउंड टेस्ट्स हैं। इनको कराना क्यों जरूरी है और इसके क्या फायदे हो सकते हैं? आइए इस बारे में एक्सपर्ट से विस्तार में जानते हैं। प्रेगनेंसी के शुरुवाती दिनों में शरीर में तेज़ी से बदलव आते हैं और ये बच्चे की ग्रोथ के लिए खासे महत्वपूर्ण होते हैं। लेकिन ये बदलाव ऊपर से विज़िबल नहीं होते पर भ्रूण में फुल स्पीड में काम चल रहा होता है। तो बच्चे की ग्रोथ सही दिशा में चल रही है की नहीं ये जानने के लिए फर्स्ट ट्राइमेस्टर में कई तरह के अल्ट्रासाउंड किए जाते हैं। ये प्रीनेटल केयर का जरूरी हिस्सा है।
इन स्कैन्स के फायदे
डेटिंग और एनटी स्कैन ये निर्धारित करने में मदद करता है कि भ्रूण यानि फ़ीटस ठीक से बढ़ रहा है या नहीं। अल्ट्रासॉउन्ड्स के माध्यम से माता-पिता भी अपने अजन्मे बच्चे से जुड़ पाते हैं , स्कैन्स को लेकर एक अलग ही एक्साइटमेन्ट रहता है की बच्चे को देख पाएंगे। अल्ट्रासाउंड से भ्रूण के दिल की धड़कन, बच्चे की शारीरिक रचना और सामान्य हेल्थ का पता तो चलता है साथ ही क्रोमोसोमल अबनॉर्मलिटीज़ का पता भी चलता है।
इससे नियत तारीख का निर्धारण किया जाता है जिससे डिलीवरी की सही तारीख का पता चल सके।
फर्स्ट ट्राइमेस्टर के अल्ट्रासाउंड से भ्रूण के दिल की धड़कन की पुष्टि करते है।
भ्रूण की संख्या निर्धारित की जाती है। कहीं प्रेग्नेंट महिला के जुड़वां, ट्रिपल या इससे ज्यादा भ्रूण तो नहीं है।
अल्ट्रासाउंड इस बात को सुनिश्चित करने में भी मदद करता है कि प्रेग्नेंसी अपने नॉर्मल कोर्स में है या नहीं। साथ ही यूट्रस और भ्रूण में कोई असामान्यता तो नहीं दिखाई दे रही है।
अगर प्रेग्नेंसी में कोई भी मिसकैरेज के लक्षण दिखाई दे रहे होते हैं, तो उनको पता कर के उचित मेडिकेशन दिया जा सके।
अल्ट्रासाउंड की प्रक्रिया
फर्स्ट ट्राइमेस्टर में, डॉक्टर आमतौर पर पेट के अल्ट्रासाउंड के विपरीत ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड का विकल्प चुनते हैं। इस तरह के अल्ट्रासाउंड में, डॉक्टर गर्भ में जेस्टेशनल सैक, योक सैक, हार्ट रेट और फीटल पोल को मापने के लिए वेजाइना में प्रोब डालते हैं। पेट की स्कैनिंग में, ब्लैडर का पूरी तरह से भरा होना जरूरी होता है इसलिए पानी पी कर जाये । फिर पेट पर जैल लगाकर और एक ट्रांसीवर की मदद से विभिन्न एंगल से जांच करते हैं।
डेटिंग स्कैन
डेटिंग स्कैन प्रेगनेंसी का लगभग पहला स्कैन होता है। ये छठे और दसवें हफ्ते के बीच में किया जाता है। इसे डेटिंग स्कैन इसलिए भी कहते हैं क्योंकी इसकी मदद से फ़ीटस की एक्चुअल ऐज का पता लगता है और बच्चे की हार्टबीट के बारे में भी पता चलता है कि वो आयी या नहीं। फ़ीटस में हार्टबीट डिटेक्ट होना एक माइलस्टोन माना जाता है। इससे प्रेगनेंसी के स्वस्थ होने का इशारा मिलता है और साथ माता पिता को बच्चे की पहली झलक। इसलिए ये अल्ट्रासाउंड खासा महत्वपूर्ण हो जाता है।
एनटी स्कैन
यह एक कॉमन स्क्रीनिंग टेस्ट है, जो प्रेगनेंसी के 11 वें और 13.6 हफ्ते के बीच किया जाता है। जो प्रेगनेंसी के 11 वें और 13.6 हफ्ते के बीच किया जाता है। इस टेस्ट में बच्चे के गर्दन के पीछे जमा लिक्विड के साइज को मापा जाता है। प्रेग्नेंसी के फर्स्ट ट्राइमेस्टर में भ्रूण की गर्दन के पीछे की त्वचा के नीचे जमा लिक्विड की इस सोनोग्राफिक उपस्थिति को न्यूकल ट्रांसलुसेंसी के रूप में जाना जाता है। भले ही वह अलग हो या न हो और चाहे वह गर्दन या पूरे भ्रूण तक ही सीमित हो, इसके लिए ट्रांसलुसेंसी शब्द का उपयोग किया जाता है। अगर यह प्रकट होता है और इसका माप भ्रूण CRL माप से 90% से ज्यादा है, तो बच्चे में क्रोमोसोमल असामान्यता जैसे डाउन सिंड्रोम, एडवर्ड्स सिंड्रोम, या पटाऊ-सिंड्रोम होने की संभावना रहती है। ऐसा होने पर डॉक्टर कुछ दिनों बाद एडवांस टेस्ट की सलाह देती हैं।
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