Valentine Special : टीनएज लव चरम पर होता है न जमाने की परवा, न समाज की बंदिशों का डर !

महिला अपने हाथों से उस का मास्टरबेशन कर के उसे भ्रम से निकाल कर वास्तविकता से रूबरू कराने की कोशिश करती है। फिल्म में लड़के को भावुक दिखाया गया है और दिखाया गया है कि 15 साल की उम्र में दिमाग परिपक्व नहीं होता।  बहुत बातें उस की सम झ से परे होती हैं...

Valentine Special : टीनएज लव चरम पर होता है न जमाने की परवा, न समाज की बंदिशों का डर !

फीचर्स डेस्क। कहते हैं प्यार उम्र नहीं देखता है ये तो बस हो जाता है। ये दिल कब, कहाँ और किस पर आ जाय कहा नहीं जा सकता। न जानें कितने फिल्मे देखी होगी आप ने न जानें कितने कहानियाँ सुनी होगी कि उसको उससे से प्यार हो गया था या हो गया है। दरअसल, प्यार है ही ऐसी है। इंसान क्या, जानवर तक प्यार को पहचान जाते हैं। प्यार की अनुभूति से 60 साल का बूढ़ा दिल किशोरों के समान कुलांचें मारने लगता है। ऐसे में आप क्या कहेंगे यदि यही प्यार किशोरावस्था की पहली सीढ़ी पर कदम रखने वाले 14-15 साल के लड़के लड़की के बीच हो जाए तो घर में मानों तूफान आ जाता है जब उन के प्यार की भनक घर वालों को लग जाती है। बहुत ही कम सुनने में आता है कि 13-14 साल का प्यार परवान चढ़ता हुआ जवानी तक पहुंच गया हो और विवाह बंधन के सूत्र में उन के प्यार को घर व समाज वालों की स्वीकृति मिल जाए। क्या सोचा है कभी आप ने कि क्यों टीनएज लव सफल नहीं हो पाता। ज्यादातर टीनएज लव असफल हो जाता है।

यह सही है कि शुरुआत में टीनएज लव चरम पर होता है। न जमाने की परवा, न समाज की बंदिशों का डर। शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो इस से बच पाया हो।  हर इंसान के अपने स्कूलटाइम में कोई न कोई क्रश रहा होगा।  जिन में हिम्मत होती है वे अपने क्रश को प्यार में बदल लेते हैं और कुछ अपनी हसरत दिल में दबाए बैठे रहते हैं। टीनएज लव एक सामान्य व स्वाभाविक प्रक्रिया है। हार्मोनल चेंजेस के कारण बच्चे में शारीरिक व मानसिक दोनों तरह के बदलाव आते हैं।

साल 2002 में एक फिल्म आई थी- ‘एक छोटी सी लव स्टोरी’।  इसमें इस विषय को बारीकी से दिखाने की कोशिश की गई थी। एक 15 साल का लड़का कैसे अपने सामने वाले दूसरे फ्लैट में रहने वाली बड़ी उम्र की औरत के प्रति आकर्षित हो जाता है। वह रातदिन दूरबीन लगाए उस की हर गतिविधि देखता है। जब उस औरत का प्रेमी उस के घर आता है और जब वह प्रेमी और वह औरत सैक्स करते हैं,  तो उसे वह भी देखता है और गुस्सा भी आता है आखिरकार वह हिम्मत कर के उस महिला को बता देता है कि वह उस से प्यार करता है।

वह महिला उस लड़के को सम झाने की कोशिश करती है कि वह उस के लिए ठीक लड़की नहीं है। लेकिन वह कहता है कि उसे कोई फर्क नहीं पड़ता, वह तो उसे सिर्फ प्यार करता है। आखिर में वह महिला उसे साफसाफ सम झाने की कोशिश करती है कि यह सिर्फ एक आकर्षण है अपोजिट सैक्स के प्रति।  प्यार व्यार नहीं। सिर्फ 2 मिनट प्लेजर होता है। वह महिला अपने हाथों से उस का मास्टरबेशन कर के उसे भ्रम से निकाल कर वास्तविकता से रूबरू कराने की कोशिश करती है। फिल्म में लड़के को भावुक दिखाया गया है और दिखाया गया है कि 15 साल की उम्र में दिमाग परिपक्व नहीं होता।  बहुत बातें उस की सम झ से परे होती हैं। महिला द्वारा ऐसा करने पर वह बुरी तरह से हर्ट होता है और अपने हाथ की नस काट लेता है।

यह फिल्म थी, लेकिन हकीकत में भी ऐसा होता है। यह उम्र ही ऐसी होती है कि दिमाग में एक जनून सा छा जाता है प्यार को ले कर। सम झाने पर भी बात सम झ नहीं आती। दिमाग में प्यार का नशा छा जाता है। इस उम्र वालों के लिए यह एक मुश्किलभरा समय होता है जब वे न खुद को सम झ पाते हैं न यह जान पाते हैं कि आखिर उन की चाहत क्या है और वे चाहते क्या हैं? किस मंजिल तक जाना चाहते हैं?

स्टैप्स सिंबल बन रहा है बौयफ्रैंड-गर्लफ्रैंड बनाना

आज की आधुनिक जीवनशैली व बदलते लाइफस्टाल ने इस बात को और अधिक बढ़ावा दिया है।  बीबीपीएम स्कूल में 7वीं क्लास की नम्रता ने बताया, ‘‘मेरी ज्यादातर सभी फ्रैंड्स के बौयफ्रैंड या गर्लफ्रैंड हैं। सभी आपस में उन की बातें करते हैं। ऐसे में मेरा कोई बौयफ्रैंड न होना कई बार मु झे एम्बैरस फील कराता था। इसलिए मैं ने भी बौयफ्रैंड बना लिया। अब मैं भी बड़ी शान से कहीं घूमने फिरने और फ्रैंड्स की पार्टियों में अपने बौयफ्रैंड के साथ जाती हूं। ’’

इस में कोई अचरज की बात नहीं। आज गर्लफ्रैंड या बौयफ्रैंड स्टेटस सिंबल हो गया है और जो इस से परे है वह दकियानूसी सम झा जाता है। लड़कियां सोचती हैं मुझमें कोई आकर्षण नहीं, इस कारण लड़के मेरी तरफ नहीं देख रहे।

वजह क्या हैं

– घरवालों का बच्चों को पर्याप्त समय न देना। अकसर माता पिता दोनों वर्किंग होते हैं और न्यूक्लिर फैमिली होने के कारण घर में बच्चा अकेला रहता है।  बच्चे में अतृप्त जिज्ञासाएं उभर आती हैं।

बच्चे उन जिज्ञासाओं का जवाब चाहते हैं लेकिन मातापिता के पास न वक्त होता है और न जवाब और न ही उन में धैर्य होता है कि वे बच्चे की बात सुनें।

– बदलती जीवनशैली ने बच्चों को तनावग्रस्त बना दिया है।  ऐसे में अपनेआप को तनावमुक्त करने के लिए वे अपनेपन का सहारा ढूंढ़ने लगते हैं।

– इस उम्र में जोश और उत्साह बहुत अधिक होता है, ऊपर से खानपान की बिगड़ती आदत और अधिक ऊर्जा उन में सैक्स इच्छा को बढ़ा देती है।

टीनएज लव कोई असामान्य बात नहीं।  स्वाभाविक क्रिया है और एकाध को छोड़ कर सभी लोग इस दौर से गुजरते हैं।  टीनएज लव बुरी बात नहीं लेकिन भटकना जरूर चिंतनीय विषय है।

मातापिता हैंडल कैसे करें

– मातापिता ही हैं जो अपने बच्चों को अच्छी परवरिश, अच्छे संस्कार दे सकते हैं।  बच्चों के प्रति लापरवाह न रहें, बल्कि बच्चों के जीवन में क्या चल रहा है, उस से वे अवगत रहें।

– बच्चों के आगे सिर्फ ज्ञान न  झाड़ें।  जरूरत होती है उन्हें सम झने और सम झाने की।  ज्ञान की बातें तो वे किताबों से भी सीख लेंगे, इसलिए उन्हें सम झाने के लिए उपदेशात्मक रवैया न अपनाएं।

– मातापिता यह न भूलें कि वे भी इसी उम्र से गुजरे थे।  ऐसे में उन्हें आप से ज्यादा भला कौन सम झेगा।

– उन के प्यार करने पर सजा देने के बजाय उन्हें माफ करना सीखें।  उन्हें सम झाएं।