शिवरात्रि स्पेशल : क्यों नहीं लगानी चाहिए शिवलिंग की पूरी परिक्रमा,क्या है परिक्रमा के नियम आइए जानते है

शिवरात्रि में भक्त करते है शिव पूजन। शिव जी का पूजन वैसे तो सरल है पर कई नियम है जो शिव पूजा में जरूरी है। ऐसा ही एक नियम है या यूं कहें मान्यता है कि शिवलिंग की पूर्ण परिक्रमा नहीं करनी चाहिए। ऐसा क्यों, जानने के लिए पढ़ें पूरा आर्टिकल….  

शिवरात्रि स्पेशल : क्यों नहीं लगानी चाहिए शिवलिंग की पूरी परिक्रमा,क्या है परिक्रमा के नियम आइए जानते है

फीचर्स डेस्क। शिव पूजा में शिवलिंग पूजा का विशेष विधान है। शिवलिंग की पूजा में चढ़ता है जल, दूध, बेलपत्र और भी कई सामान। हर भक्त ये ही कोशिश करता है कि उसकी पूजा अर्चना से शिव जी प्रसन्न हो जाए। किसी भी भगवान की पूजा तभी पूर्ण मानी जाती है जब उनकी परिक्रमा लगाई जाती है। परिक्रमा लगाने का सही तरीका है दाएं से बाई ओर की तरफ चक्कर लगाना। सभी ईश्वर की पूरी परिक्रमा लगाई जाती है पर शिवलिंग की पूरी परिक्रमा शास्त्रों में वर्जित है। शिवलिंग की परिक्रमा का अलग तरीका है। शिवलिंग की जल लहरी को लांघा नहीं जाता। क्या कारण है जो जल लहरी को लांघना शास्त्रों में वर्जित बताया गया है। इसकी संपूर्ण जानकारी मिलेगी आपको इस आर्टिकल में।

 शिवलिंग की आधी परिक्रमा का महत्व

शिव पुराण हो या अन्य कोई शास्त्र, शिव जी की आधी परिक्रमा करना ही हर पुराण में बताया गया है। शिवलिंग में शिव और शक्ति दोनों की ऊर्जा समाहित है। इसी वजह से शिवलिंग पर लगातार जल धारा डाली जाती है, क्योंकि शिवलिंग की तासीर होती है गर्म। और शिव जी को जल्दी क्रोध न आए इसलिए चढ़ाया जाता है उनमें दूध और जल। ये जल जिस रास्ते से निकलता है उसे जल लहरी कहा जाता है।

 शिवलिंग में परिक्रमा करते वक्त रखें दिशा का ज्ञान

सभी ईश्वर की परिक्रमा दांए से बाईं ओर की जाती है पर शिवलिंग की परिक्रमा बाईं तरफ से करने का विधान है। बाईं तरफ से शुरू करें परिक्रमा और जल लहरी तक जाकर फिर वापस लौट कर जल लहरी तक करें परिक्रमा। जल लहरी को लांघे नहीं। इसे शिव जी की आधी परिक्रमा भी कहा जाता है। ऐसा करने से शिव जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। परिक्रमा करते समय हमेशा याद रखें कि बाईं ओर से ही परिक्रमा शुरू करें।

 जल लहरी को न लांघने का कारण

शिवलिंग की जल लहरी को भूल कर भी नहीं लांघना चाहिए। ऐसा करने से घोर पाप लगता है। जल लहरी को माता पार्वती का रूप मानते है साथ ही इसको ऊर्जा और शक्ति का श्रोत माना जाता है। अगर आपने इसे लांघा तो आपको शारीरिक कष्ट का सामना करना पड़ सकता है। अगर आप मानसिक शांति चाहते है तो जल लहरी को कभी भी ना लांघे।

 यदि जल लहरी ढकी हुई है तो जरूर आप पूरी परिक्रमा लगा सकते है। अगर आप इन बातों का ध्यान रखेंगी तो शिव जी की आप पर असीम कृपा होगी।