निजी क्षेत्र को प्रौद्योगिकी से लैस किये जाने की जरूरत: राजनाथ

निजी क्षेत्र को प्रौद्योगिकी से लैस किये जाने की जरूरत: राजनाथ

नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी पर जोर देते हुए आज कहा कि उद्योग जगत को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इतना मजबूत बनाये जाने की जरूरत है कि उसे प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए किसी पर निर्भर न होना पड़े। सिंह ने सोमवार को यहां रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के युवा वैज्ञानिकों को ‘डेयर टू ड्रीम 2.0 पुरस्कार’ देने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा कि वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों , सीमा विवादों और समुद्री मामलों के बढते महत्व के चलते दुनियाभर के देश सैन्य आधुनिकीकरण पर फोकस कर रहे हैं और सैन्य उपकरणों की मांग तेजी से बढ़ रही है। भारत को भी इस बात को ध्यान में रखते हुए निजी क्षेत्र को मजबूत बनाने, जरूरी सुविधाओं से लैस करने और नयी भूमिका के लिए तैयार करना होगा। अभी तक रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी कम रही है और पूंजी तथा प्रौद्योगिकी इसके प्रमुख कारण रहे हैं।

उन्होंने कहा कि नये भारत के बदलते आयामों में नैनाे प्रौद्योगिकी, क्वांटम कंप्यूटिंग, कृत्रिम बौद्धिकता और रोबोटिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम किया जा रहा है। दोहरे उपयोग की प्रौद्योगिकी विकसित करने पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि इसकी बड़े पैमाने पर जरूरत हैै क्योंकि इससे जहां एक ओर हमारी सेना मजबूत होगी तो दूसरी ओर लोगों का सामान्य जीवन स्तर भी बेहतर बनेगा। उन्होंने कहा , “ आज दोहरे इस्तेमाल वाली प्रौद्योगिकी विकसित करने की भी आवश्यकता है जिससे बड़े पैमाने पर सैन्य और नागरिक दोनों को इसका लाभ मिल सके। हमें अपनी सशस्त्र सेनाओं को अत्याधुनिक उपकरण उपलब्ध कराने के लिए अनुसंधान एवं विकास पर विशेष फोकस करना पड़ेगा।”

देश में अलग अलग जलवायु परिस्थितियों और भौगोलिक स्थिति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, “ यहां तापमान एक ओर हिमालय में शून्य से नीचे चला जाता है वहीं रेगिस्तान में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस से भी ऊपर पहुंच जाता है। आज जिस तरह डीआरडीओ से इंडस्ट्री को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की बात हो रही है आने वाले समय में हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हमारी इंडस्ट्री को इसकी जरूरत ही न पड़े। हमारी इंडस्ट्री इन क्षेत्रों में इतना आगे बढ़ कर कार्य करे, कि भविष्य में हमें इंडस्ट्री का सहयोग मिले। इंडस्ट्री अपने स्तर पर भी अनुसंधान एवं विकास व्यवस्था विकसित करे। ”