पहली बार जनजातीय समाज की राष्ट्रनिर्माण में उनके योगदान को आज याद किया जा रहा : प्रधानमंत्री

पहली बार जनजातीय समाज की राष्ट्रनिर्माण में उनके योगदान को आज याद किया जा रहा : प्रधानमंत्री

भाेपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि देश की आबादी का 10 फीसदी हिस्सा होने के बाद भी पुरानी सरकारों ने आदिवासियों के हितों को नजरअंदाज किया और इस अपराध की हर मंच से चर्चा की जानी जरुरी है। मोदी ने जनजातीय नायक भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर यहां जंबूरी मैदान में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस के तहत आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। इस अवसर पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा और अन्य नेता भी मौजूद थे।

इस दौरान उन्होंने कहा कि आजादी के बाद पहली बार जनजातीय समाज की संस्कृति और राष्ट्रनिर्माण में उनके योगदान को आज याद किया जा रहा है। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा कि हमारे इस प्रयास से कुछ लोगों को परेशानी होती है। उन्हें विश्वास ही नहीं होता कि इस समाज का संस्कृति मजबूत करने में कोई योगदान रहा। उन्होंने इस बारे में देश को कभी बताया ही नहीं। उन्होंने कहा कि देश पर बरसों शासन चलाने वाले लोगों ने देश की आबादी के करीब 10 फीसदी वाले इस हिस्से को पूरी तरह नजरअंदाज किया। पुरानी सरकारों ने आदिवासी समाज को महत्ता न देकर जो अपराध किया है, इस पर हर मंच से चर्चा की जानी जरुरी है। उन्होंने कहा कि इस समाज को सुख-सुविधाओं से वंचित रखा गया। बार-बार उनकी अभावों की पूर्ति के नाम पर वोट मांगे गए, लेकिन कुछ किया नहीं गया। मोदी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि काम नहीं करने के लिए कई बहाने रचे गए। आदिवासी क्षेत्रों को भौगोलिक दृष्टि से कठिन बताया गया, जहां सुविधाएं नहीं पहुंचाए जा सकने का बहाना बनाया गया। ऐसे क्षेत्रों पर 'पिछड़े' का टैग लगा दिया गया। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने 100 से भी ज्यादा ऐसे जिलों के लिए योजनाएं बनाईं और आकांक्षी जिलों को प्राथमिकता दी गई। इसी दौरान उन्होंने पद्म पुरस्कारों का उल्लेख करते हुए कहा कि राष्ट्रपति भवन पहुंचे कई आदिवासी जननायकों के पैर में जूते भी नहीं थे। जनजातीय समाज में काम करने वाले ऐसे लोग ही देश के असली हीरे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जनजातीय समाज में प्रतिभा की कमी नहीं रही, लेकिन पूर्ववर्ती सरकारों में इन्हें अवसर देने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं थी। आज आयोजित आदिवासी जननायक बिरसा मुंडा की जयंती के संदर्भ में उन्होंने कहा कि जिस प्रकार देश में गांधी जयंती, सरदार पटेल जयंती और अंबेडकर जयंती का आयोजन होता है, उसी प्रकार समूचे देश में बिरसा मुंडा जयंती 'जनजातीय गौरव दिवस' के तौर पर मनेगी। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने आदिवासियों के कल्याण के लिए कई योजनाओं का शुभारंभ किया। उन्होंने समूचे देश में 50 एकलव्य आदर्श विद्यालयों की ऑनलाइन आधारशिला रखी। इसके अलावा उन्होंने मध्यप्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों के लिए 'राशन आपके ग्राम' और सिकल सेल मिशन की भी शुरुआत की।