ब्रेस्टफीडिंग  गाइड : नई मां के लिए ब्रेस्टफीडिंग को कैसे बनाये सुखद अनुभव

ब्रेस्टफीडिंग करवाने में कई बार मां और बच्चे दोनों को कुछ प्रॉब्लम्स आती है। मसलन किस पोजीशन में फीड करें , कैसे होल्ड करें , बच्चे का सो जाना, मुँह ना खोलना, प्रॉपर मिल्क ना आना आदि। इन सभी समस्यांओं को इस आर्टिकल में कवर किया गया है और नई मां के लिए ये गाइड बहुत लाभकारी है.....

ब्रेस्टफीडिंग  गाइड : नई मां के लिए ब्रेस्टफीडिंग को कैसे बनाये सुखद अनुभव

फीचर्स डेस्क। ब्रेस्टफीडिंग एक नेचुरल प्रोसेस है, लेकिन ये सभी के लिए उतनी आसान जर्नी नहीं रहती। कई बार माएँ परेशांन हो कर फार्मूला मिल्क और बोटल को अपना लेती हैं।  पर ब्रैस्ट मिल्क बहुत सारे मायनो में फार्मूला मिल्क से न बेहतर है बल्कि ये माँ और बच्चे दोनों के लिए बेनेफिशियल भी है।आप को ये मानने की ज़रुरत है की ब्रैस्ट फीडिंग आप दोनों के लिए नई है ,आप दोनों ही उसे सीख रहे हैं तो आते आते ही आएगी, इसलिए गिवअप ना करें। और कैसे क्या करना है क्या नहीं, ये आज इस आर्टिकल में हम आप को बताएंगे  

शुरुआत कैसी हो ?

एक्सपर्ट्स के अनुसार जन्म के तुरंत बाद बच्चे को मां के साथ स्किन-टू-स्किन रखना चाहिए। यह जन्म के एक घंटे के अंदर ब्रेस्‍टफीडिंग की शुरुआत को आसान बनाता है जिसे ब्रेस्‍ट कॉल के रूप में जाना जाता है। ब्रेस्टफीडिंग मां और बच्चे दोनों के लिए दर्दरहित प्रक्रिया है अगर बच्चा सही तरह से ब्रेस्ट से दूध पीने लगे। लेकिन शुरुवाती दिनों में ये मुश्किल हो सकता है एक तो माँ की फिजिकल और मेन्टल कंडीशन अच्छी नहीं होती , वो खुद भी रिकवर कर है।

 एक अच्छी शुरुआत करने के लिए हॉस्पिटल स्टाफ से मदद लें। ज़रूरत पड़ने पर ब्रेस्‍टफीडिंग प्रोफेशनल से भी मदद ली जा सकती है।

डिलीवरी के बाद जितनी जल्दी सहज महसूस करने लगे, फीड करने की कोशिश करें। 

शुरुवाती दिनों में बैकअप के लिए घर का कोई बड़ा थोड़ा थोड़ा कटोरी चम्मच से शिशु को फार्मूला मिल्क दे , क्यों की एकदम से आप का शरीर उतना मिल्क नहीं बना पायेगा। 

जीरा , पपीता , पीपली , दूध इन सब का सेवन ज्यादा करें ये मिल्क फ्लो बढ़ाते हैं।  

शुरुवाती चैलेंजेज 

वैसे तो ब्रेस्टफीडिंग करवाते समय कोई निश्चित समस्याएं नहीं होती हैं जो मां या बच्चे के सामने आती हैं, लेकिन फिर भी कुछ समस्याएं आमतौर पर देखने को मिलती हैं जो ब्रेस्टफीडिंग के शुरुआती दिनों में दिखती हैं।

• शिशु को ब्रेस्ट को जकड़कर दूध खींचना या जुड़े रहना चुनौतीपूर्ण लगता है।

• सिटींग या होल्डिंग पोजीशन का माँ या बच्चे के लिए आरामदायक नहीं होना।

• ब्रेस्‍ट से दूध खींचने के प्रयास से शिशु को बहुत अधिक नींद आ सकती है।

• मिल्क का फ्लो कम होना।

ब्रैस्ट में स्वेलिंग होना।

ये सभी समस्याएं नेचुरल है कि इस ब्रेस्टफीडिंग की प्रक्रिया को समझने में आपको, आप के शरीर को और बच्चे को बस थोड़ा सा समय मिलेगा। 

सही पोजीशन 

आप बैठ कर या लेट कर अपने कम्फर्ट के हिसाब से कोशिश करें। बैठ का कर रही हो तो बैक सपोर्ट ज़रूर लें ,लैप पर पिलो रखें इस से हेल्प मिलेगी। 

ब्रैस्ट का अधिकांश एरिओला (काला हिस्सा) बच्चे के मुंह के अंदर हो इस से निप्पल्स में दर्द आदि नहीं होगा। 

 बच्चे की चिन को नीचे करते हुए मुंह को पूरा खोले। 

 फीडिंग के समय निचला होंठ बाहर की ओर घूमा हुआ हो और ठोड़ी ब्रेस्ट से टच हो।

एक हाथ से बच्चे के सर को सपोर्ट दें और दुसरे हाथ से ब्रैस्ट को।

ध्यान रखें

जब भी आपका बच्चा भूख से रोता है या फिर दूध पीने के संकेत देता है तो उसे ब्रेस्ट तक पहुंचाएं ताकि वो सकल (चूसने की प्रक्रिया) कर सके। रोना भूख लगने की आखिरी स्टेज होती है तो उतनी देर के लिए न इंतज़ार करें। अगर आपकी मिल्क सप्लाई जरूरत से कम है तो चिंता न करें। लगातार होने वाली सकलिंग से शरीर में ऑक्सिटोसिन और प्रोलैक्टीन हार्मोन्स को बढ़ाती है जिससे मिल्क सप्लाई बढ़ती है। हर फीडिंग सेशन 5 से 45 मिनट तक चलेगा। बच्चा हर ब्रेस्ट से फीड करेगा कम से कम 20 मिनट और ज्यादा से ज्यादा 40 मिनट तक। दूध के ट्रांसफर होने के संकेतों को देखें जैसे बड़े जबड़े के मूवमेंट्स और घूंठ भरना।

कई बार आपको ये महसूस हो सकता है कि ब्रेस्ट सख्त हो गया है। इसके लिए गर्म पानी से नहाएं, आगे की ओर झुकें और हाथों से आराम से मसाज करें, इससे पहले की बच्चा ब्रेस्ट को जकड़े अपने हाथों से या फिर पंप की मदद से थोड़ा सा दूध निकालने की कोशिश करें अगर दर्द हो रहा है या सूजन है तो गरम पानी से सिकाई करें। 

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