Breast Feeding Week Special:आइये जाने नई मॉम्स के फीडिंग चैलेंजेज और उनके निवारण

स्तनपान की जर्नी हर माँ और बच्चे की सब से इतर और मेमोरेबल होती है। ज्यादातर इसकी शुरुवात मुश्किल भरी होती हैं क्यों की माँ और बच्चा दोनों ही सीख रहे होते हैं , ऊपर से माँ पोस्ट पट्रोम दर्द से भी जूझ रही होती है। ऐसे में अगर हमे ये पता हो कि क्या कॉमन चैलेंज होते हैं और उनसे कैसे उबरा जा सकता है तो ये आसान हो जाता है ..आइये जानते हैं इन्हीं के बारे में

Breast Feeding Week Special:आइये जाने नई मॉम्स के फीडिंग चैलेंजेज और उनके निवारण

फीचर्स डेस्क। ब्रैस्ट फीडिंग एक सुखद एहसास है और बच्चे के जीवन के लिए एक मज़बूत नींव पर अधिकतर महिलाओं के लिए इसकी शुरुवात केक वाक नहीं रहती। एक तो अपना शरीर प्रसव पीड़ा से उबर ही रहा होता है ऊपर से जब बच्चा ठीक से सक ना कर पाए या दूध का फ्लो ना हो तो माँ का झुंझलाना आम बात है। वर्ल्ड ब्रैस्ट फीडिंग वीक के मौके पर हम आज इन्ही स्ट्रगल्स और उनके सोलूशन्स के बारे में बात करने वाले हैं। क्योंकि ये ना सिर्फ नई मॉम्स के लिए बल्कि  भावी माओं को जानना भी बहुत ज़रूरी है। इससे आप मेंटली प्रेपर रहेंगी और ब्रैस्ट फीडिंग पर गिवअप नहीं करेंगी। आइये जानते हैं कॉमन चैलेंजेज और उनके निवारण के बारे में…..

कॉमन समस्यायें

 ब्रेस्ट में स्वेलिंग - ये तब होता है जब आपके ब्रेस्ट्स भरे हुए और बच्चा ठीक से पी ना रहा हो ,ऐसे में स्तन सख्त हो जाते हैं। ये आमतौर पर दर्दभरा होता है और दूध के जम जाने की वजह से होता है।


सोल्युशन- इसके लिए आप को गरम पानी की थैली से सिकाई करनी चाहिए। इसके अलावा जब भी फीड करवाएं तो दोनों साइड्स से १०-१० मिनट पिलाये इससे फुलनेस से बच पाएंगी।  जिससे ब्रेस्ट में दर्द, रेडनेस और सख्त हो जाने जैसे लक्षण होते हैं।

क्रैक्ड निप्पल्स - ये समस्या भी काफी कॉमन है। ये तब होता है जब बच्चा सिर्फ निप्पल्स को सक करता है पूरे areola को नहीं। ये भी काफी पेनफुल होता है कुछ मामलों में खून तक आ सकता है।


सोल्युशन- इसके लिए आप को ध्यान रखा होगा की बच्चा सिर्फ निप्पल ना चूसे बल्कि उसके आस पास को जो काला भाग होता है वो पूरा शिशु के मुँह में होना चाहिए। क्रैक होने पैर निप्पल केयर क्रीम या नारियल का तल लगाए इससे आराम मिलेगा ।

मिल्क का फ्लो कम होना- इनिशियल डेज में ये प्रॉब्लम ज्यादा रहती है।  ऐसे में कई बार मायें डिब्बा बंद दूध इस्तेमाल करने लगती है। जबकि ये एक मिथ है जैसे जैसे बच्चा दूध पियेगा बॉडी अपने आप  मिल्क प्रोडक्शन बढ़ा देती है।

सोल्युशन- इस परेशानी को आसानी से काउंसलिंग, दिशा निर्देश और परिवार के साथ से हल किया जा सकता है। शतावरी जो आयुर्वेदिक दवाई है वो इसमें काफी मदद करती है। इसके अलावा जीरा ,पीपली आदि का प्रयोग भी दूध नेचुरल तरीके से बढ़ाता है।

फंगल इन्फेक्शन्स -  कई बार निप्पल्स या ब्रेस्ट्स में फंगल इन्फेक्शन हो जाता है। ये बहुत ही दर्दभरी स्थिति होती है  जो दर्द होता है वो काफी तेज़ और जलन भरा होता है।


सोल्युशन ऐसा होने पर तुरंत चिकित्सकीय सहायता लेनी चाहिए। ये स्थिति ना आये इसके लिए दूध पिलाने से पहले और बाद में ब्रैस्ट को गीले टॉवल से अचे से साफ़ करना चाहिए।  टॉवल को गरम पानी में भिगो करो निचोड़े फिर पूरे स्तन और निप्पल को अचे से साफ़ करें।  ऐसे में इन्फेक्शन का खतरा काम रहता है।

प्लग्ड डक्ट- ये ब्रेस्ट में एक टेंडर और पीड़ादायक गांठ होती है। ये तब होता है जब मिल्क डक्ट पूरी तरह से खाली नहीं होता और भरा हुआ और चोक हुआ लगता है। इसे ब्लॉक्ड डक्ट भी कहते हैं।


सोल्युशन  इसे आसानी से ऑब्सटेट्रीशियन और लैक्टेशन कंसल्टेंट की मदद से ठीक किया जा सकता है।

थकान या डिप्रेशन होना - मां बनने की नई भूमिका में बच्चे के सारे कामों के साथ ब्रेस्टफीडिंग भी होती है और ये कई बार मां के स्वास्थ्य पर असर डालती है जिससे वो थका हुआ महसूस करती है।


सोल्युशन नई जिम्मेदारियों और भूमिका के साथ सामंजस्य बैठाना मुश्किल होता है और इसमें थोड़ा वक्त लग सकता है। पर यकीन मानिये धीरे धीरे सब आसान लगने लगेगा। इसलिए धैर्य से काम लें।

ब्रेस्टफीडिंग मां और बच्चे दोनों के लिए एक सीखने, समझने और यूज़ टू होने की जर्नी है। सही सपोर्ट, गाइडेंस और मदद से ये मां के लिए ज्यादा सुविधाजनक हो सकती है। इसलिए अपने बड़ों , मेडिकल प्रैक्टिशनर , लैक्टेशन एक्सपर्ट की मदद लेने से ना झिझके। हालांकि, बस आप को ये विश्वास रखना होगा की आप ये कर सकती है और कुछ शुरुवाती मुश्किलों के बाद ये रुटीन हैबिट बन जाएगी।

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