सरकारी अस्पताल में 7 और मरीजों की मौत, 36 घंटे में 31 की गई जान

नांदेड़ अस्पताल में 24 मरीजों की मौत के मामले की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति मंगलवार दोपहर को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। सीएम शिंदे ने कहा है कि मामले की गंभीरता से जांच की जाएगी...

सरकारी अस्पताल में 7 और मरीजों की मौत, 36 घंटे में 31 की गई जान

मुंबई। महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के अस्पताल में 24 मरीजों की मौत से पूरे राज्य में हड़कंप मचा हुआ है। वहीं अब कांग्रेस पार्टी ने दावा किया है कि 7 और मरीजों की मौत के बाद मृतकों की संख्या 31 हो गई है।  मृतकों में 4 बच्चे शामिल हैं। कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने मंगलवार को सोशल मीडिया एक्स (ट्विटर) पर दावा करते हुए लिखा, ‘मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। क्योंकि कल से अस्पताल में सात और मरीजों की मौत हो गई है। कल से सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दुर्भाग्यवश 7 और मरीजों की मौत हो गई। मृतकों में 4 बच्चे भी शामिल हैं। राज्य सरकार को जिम्मेदारी तय करनी चाहिए। ’

बता दें कि मरीजों की मौत के मामले की जांच के लिए सोमवार को गठित तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति मंगलवार दोपहर को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। 24 मरीजों की मौत पर नांदेश डॉक्टर शंकरराव चव्हाण अस्पताल के डीन डॉ वाकोडे ने कहा कि पिछले 24 घंटों में 12 शिशुओं  और 12 व्यस्कों की मौत हुई है। 12 व्यस्कों की मौत सांप के काटने, फॉस्फोरस विषाक्तता आदि जैसी विभिन्न बीमारियों के कारण हुई।

इसके अलावा उन्होंने कहा, “लोग यहां दूर-दूर से आते हैं। हमें इस अस्पताल में आमतौर पर आपातकालीन और अत्यंत गंभीर मामले मिलते हैं। क्योंकि 70-80 किमी के क्षेत्र में हमारे जैसा कोई अस्पताल उपलब्ध नहीं है। विभिन्न कर्मचारियों के तबादलों के कारण, हमारे लिए कुछ कठिनाई हुई। वहीं इस मामले पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि वह घटना पर अधिक जानकारी मांगेंगे और इस संबंध में उचित कार्रवाई की जाएगी।

नांदेड़ के डॉ. शंकरराव चव्हाण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में 24 मरीजों की मृत्यु पर महाराष्ट्र सरकार में चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ ने कहा, “हम पूरी जांच करेंगे। मैं वहां(अस्पताल) जाउंगा और डॉक्टरों की एक समिति नियुक्त की जाएगी। वहीं शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के सासंद संजय राउत ने कहा, “महाराष्ट्र की आरोग्य स्थिति हमेशा ऊपर रही है। लेकिन पिछले 1 साल से महाराष्ट्र के सभी शासकीय विभाग जिस तरह से काम कर रहे हैं, न स्वास्थ्य मंत्री को चिंता है, न स्वास्थ्य विभाग काम कर रहा है और न ही डॉक्टर काम कर रहे हैं, किसी का नियंत्रण नहीं है। स्वास्थ्य विभाग महाराष्ट्र में सबसे उपेक्षित विभाग है। ”