Tag: padya

फोकस साहित्य

 भाग्य या पुरुषार्थ

जब इन दोनों का विश्लेषण किया तो पाया मैंने समय को बदलते देखा है । कल तक जो बैठे थे सिंहासन पर , उनको भी पैदल चलते देखा है .....

फोकस साहित्य

कुम्हार...

स्वेद बिंदु से पोषित कर ,आंच पर जांचता,परखता हूं,कोयले की खदान से हीरे की खेप निकालता हूं। कभी कभी अपना हीं बचपन .....

फोकस साहित्य

थोड़ा सा मुस्कुरा लें

ज़िन्दगी की राहें थोड़ी मुश्किल हैं लेकिन तुम रुकना नही चलते जाना हौंसले की उड़ान से चलो आज मंज़िल को भी पा ही लेते हैं चलो आज थोड़ा सा...

फोकस साहित्य

मानव मन

स्वयं उगाता निज अभ्यारण्य, आजीवन करता फिर विचरण, नेत्र बंद कर ,पथ निर्धारण।  चित्र विचित्र कितना मानव मन।

फोकस साहित्य

मानव मन

स्वयं उगाता निज अभ्यारण्य, आजीवन करता फिर विचरण, नेत्र बंद कर ,पथ निर्धारण।  चित्र विचित्र कितना मानव मन।

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