कपल्स के बीच ट्रैंड में हैं ‘स्लीप डाइवोर्स’, पढ़ें क्यो जरूरत पड़ी इसकी क्या है इसका समाधान

‘स्लीप डाइवोर्स’ नाम आपने पहले भी सुना होगा। आज से लगभग 30 से 40 साल पहले पति-पत्नी रात को अलग-अलग रूम या अलग-अलग विस्तार पर सोते थे। ऐसे में उनकी नीद पूरी होती थी और मानसिक नुकसान होने से बच जाता था। फिर नया ट्रेंड आया कि एक विस्तार पर नहीं सोये तो यह माना जाने लगा कि दोनों के बीच प्यार ही नहीं है और आज इसी प्यार का नतीजा है कि लोगों को ‘स्लीप डाइवोर्स’ कि जरूरत पड़ने लगी है पढ़ें पूरी स्टोरी कैसे हमारे बीच पनप रहा ये...

कपल्स के बीच ट्रैंड में हैं ‘स्लीप डाइवोर्स’, पढ़ें क्यो जरूरत पड़ी इसकी क्या है इसका समाधान

फीचर्स डेस्क। आजकल शादी जैसे रिश्ते के मायने बदल गए हैं। अगर इस टॉपिक पर किसी कुछ लोगों से बात किया जाय अलग-अलग कई तरह के जवाब मिलगें। अमूमन लोग ऐसे कहेंगे कि एक दूसरे को समझना चाहिए, एकदूसरे का खयाल रखना चाहिए और बाकी अलग अलग तरह की और भी कई बातें। जबकि सही बोले तो जिंदगी की सबसे महत्त्वपूर्ण चीज है नींद। लेकिन फलसफा ये है कि इसके बारे में कोई बात नहीं करेगा। हाल ही के नए जेनरेशन के शादीशुदा कपल के बीच एक नया ट्रैंड शुरू हुआ है, जो ट्विटर पर ‘स्लीप डाइवोर्स’ के नाम से काफी ट्रैंड भी हो रहा है।

आप आपको लग रहा होगा आखिर ये कौन सी बला है। दरअसल, स्‍लीप डाइवोर्स तब होता है जब अच्छी और बेहतर नींद के लिए कपल अलग अलग कमरे,  अलग बिस्तर या फिर या अलग अलग समय पर सोते हैं। इसे हम स्लीप डाइवोर्स कहते हैं। इसके ट्रैंड में आने का कारण है कपल्स की नींद का पूरा न हो पाना।

स्‍लीप डाइवोर्स ठीक से नींद न ले पाने वाले लोगों के लिए बड़ा समाधान है। स्‍लीप डाइवोर्सवह है जिसमें पार्टनर्स रात को साथ में न सोकर अपनी सुविधानुसार अलग अलग सोते हैं। इसके चलते कपल्स की नींद भी पूरी हो जाती है और वे अगली सुबह पूरी एनर्जी के साथ उठते हैं। हालांकि, इसका चलन बेहद पुराना है। साल 1850 में यह ट्विन-शेयरिंग बैड के नाम से फेमस हुआ। तब के समय में पति-पत्नी एक कमरे में तो होते थेलेकिन होटलों की तर्ज पर ट्विन-शेयरिंग बैड की तरह एक रूम में ही 2 अलगअलग बिस्तर पर सोया करते थे। यह इसलिए शुरू हुआ ताकि पति पत्नी एक रूम में साथ होकर भी बिना एकदूसरे को डिस्टर्ब किए आराम से नींद पूरी कर सकें। लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी की प्रोफैसर हिलेरी हिंड्स ने इस पर कल्चरल हिस्ट्री औफ ट्विन बैड्स के नाम से एक किताब भी लिखी है। बुक के अनुसार,  उस समय में डाक्टर नींद न पूरी होने पर मानसिक नुकसान मानते थे। जैसे, दिनभर की भागदौड़ व सोने के समय में देरी होना। इस के अलावा पार्टनर के सोने की खराब आदतें या खर्राटे, पार्टनर का देर तक काम में लगे रहना आदि।

ग्रेट इंडियन स्लीप2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 55 प्रतिशत लोग रात में 11 बजे के बाद सोते हैं जिसके कारण 8 घंटे से कम नींद ले पाते हैं। साथ ही, हैल्थ टैक्नोलौजी कंपनी फिलिप्स इंडिया की2019 की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 93 प्रतिशत भारतीय पूरी नींद नहीं ले पाते और इनमें से करीब 58 प्रतिशत लोग 7 घंटे से कम नींद ले पाते हैं। नींद पूरी न होने के कारण रिश्तों पर सीधासीधा असर होता है। नींद की कमी से जूझते जोड़े छोटीमोटी बातों पर भी उलझ पड़ते हैं। इस के कारण चिड़चिड़ापन होता है और यह कारण  भी झगड़े का मुख्य कारण बन जाता है। लोग मानते हैं कि स्लीप डाइवोर्ससे नींद पूरी होती है और नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है। इसके अलावा एकसाथ होने के बाद हर किसी का अपना एक पर्सनल स्पेस होता है, जो हर व्यक्ति के लिए बेहद जरूरी है। कई लोग सोने से पहले किताबें पढ़ना चाहते हैं, कई लोगों को मैडिटेशन के बाद सोने की आदत होती है। तो इस समय में आप अपनी चीजों के लिए समय निकाल सकते हैं।