मणिपुर में फिर से भारी गोलीबारी, घटना में घायल हुए 16 लोग

पुलिस अधिकारियों और स्थानीय निवासियों ने कहा कि शुक्रवार को मुठभेड़ सुबह करीब साढ़े नौ बजे शुरू हुई और देर शाम तक जारी रही। फायेंग के निवासी अंगोम रबीकांत ने कहा कि अत्याधुनिक हथियारों से लैस तीन बदमाशों ने सुबह करीब साढ़े नौ बजे ग्रामीणों पर गोलियां चलाने से पहले उनके फार्महाउस में आग लगा दी

मणिपुर में फिर से भारी गोलीबारी, घटना में घायल हुए 16 लोग

नई दिल्ली। कांगपोकपी जिले की सीमा से सटे इम्फाल पूर्व के फायेंग इलाके में शुक्रवार को भारी गोलीबारी की घटना हुई है। इस गोलीबारी की घटना में कम से कम 16 लोगों के घायल होने की सूचना मिली है। इसकी जानकारी शनिवार को राज्य की पुलिस ने दी है। इस घटना में जितने भी लोग घायल हुए हैं वो स्थानीय लोग है। हालांकि इस गोलीबारी में एक व्यक्ति की हालत गंभीर है। जानकारी के मुताबिक, घायलों का इलाज क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान में चल रहा है। बता दें कि यह घटना मई की शुरुआत में शुरू हुई झड़पों के बाद मौजूदा स्थिति का जायजा लेने के लिए गृहमंत्री अमित शाह के राज्य के तीन दिवसीय दौरे के बाद इम्फाल से रवाना होने के एक दिन बाद हुई। इस यात्रा के दौरान अमित शाह ने राज्य के विभिन्न हितधारकों से मुलाकात की। पुलिस अधिकारियों और स्थानीय निवासियों ने कहा कि शुक्रवार को मुठभेड़ सुबह करीब साढ़े नौ बजे शुरू हुई और देर शाम तक जारी रही। फायेंग के निवासी अंगोम रबीकांत ने कहा कि अत्याधुनिक हथियारों से लैस तीन बदमाशों ने सुबह करीब साढ़े नौ बजे ग्रामीणों पर गोलियां चलाने से पहले उनके फार्महाउस में आग लगा दी। तीनों, "संदिग्ध कुकी उग्रवादी", पहाड़ियों के किनारे से नीचे आए और "मेरे फार्महाउस में आग लगा दी"। उन्होंने कहा कि इसके बाद, लाइसेंसी हथियारों से लैस ग्रामीणों ने बदमाशों के साथ गोलीबारी की, जो अंततः पास की एक पहाड़ी के जरिए चले गए।

जांच आयोग का हुआ गठन

केंद्र ने मणिपुर में हाल में हुई हिंसा की जांच के लिए गुवाहाटी उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजय लांबा की अध्यक्षता में रविवार को एक जांच आयोग का गठन किया। राज्य में हिंसा में 80 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, आयोग तीन मई को और उसके बाद मणिपुर में विभिन्न समुदायों के सदस्यों की लक्षित हिंसा और दंगों के कारणों तथा प्रसार के संबंध में जांच करेगा। यह आयोग उन घटनाओं की कड़ी और ऐसी हिंसा से जुड़े सभी पहलुओं की जांच करेगा। यह भी देखा जाएगा कि क्या किसी भी जिम्मेदार अधिकारियों/लोगों की ओर से इस संबंध में कोई चूक या कर्तव्य में लापरवाही हुई? जांच में हिंसा और दंगों को रोकने तथा इससे निपटने के लिए किए गए प्रशासनिक उपायों पर भी गौर किया जाएगा।

अधिसूचना के अनुसार आयोग द्वारा उसके समक्ष किसी व्यक्ति या संगठन द्वारा दी जाने वाली शिकायतों पर भी गौर किया जाएगा। आयोग जितनी जल्दी हो सके केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा, लेकिन अपनी पहली बैठक की तारीख से छह महीने के भीतर यह हो जाना चाहिए। अधिसूचना में कहा गया है आयोग अगर उचित समझे, तो उक्त तिथि से पहले केंद्र सरकार को अंतरिम रिपोर्ट दे सकता है। अधिसूचना के मुताबिक आयोग के अन्य सदस्य भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी हिमांशु शेखर दास और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी आलोक प्रभाकर हैं। तीन मई को जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से ही मणिपुर में छिटपुट हिंसा देखी गई है। अधिकारियों ने कहा कि झड़पों में मरने वालों की संख्या 80 से अधिक हो गई है। मेइती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क उठी।