सर्वोच्च अंक प्राप्त करने पर 66 विद्यार्थियों को प्रदान किया स्वर्ण पदक

सर्वोच्च अंक प्राप्त करने पर 66 विद्यार्थियों को प्रदान किया स्वर्ण पदक

लखनऊ। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर का 26वां दीक्षांत समारोह शुक्रवार को सम्पन्न हुआ। इस दौरान समारोह में 65 मेधावियों को प्रथम प्रयास में अपने विषय में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने पर 66 स्वर्ण पदक प्रदान किया। स्नातक स्तर पर 18 एवं परास्नातक स्तर पर 48 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक मिला। दीक्षांत समारोह में 307 शोधार्थियों को मिली पीएचडी. की उपाधि मिली। जिसमें  178 कला संकाय में, विज्ञान संकाय  में 17, कृषि संकाय में 09, शिक्षा संकाय में 66, विधि संकाय में 09,इंजीनियरिंग संकाय में  04, वाणिज्य संकाय में 15, प्रबंध संकाय में 06,अनुप्रयुक्त समाज विज्ञान एवं मानविकी संकाय में 03 शोधार्थियों को उपाधि मिली.

विश्वविद्यालय  के महंत अवेद्यनाथ संगोष्ठी भवन में आयोजित दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुए  उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को आगामी जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं। दीक्षांत समारोह को विद्यार्थियों के जीवन की विशिष्ट उपलब्धि का दिन बताते हुए कहा कि विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने के उपरान्त अब उनका सामाजिक जीवन प्रारम्भ होगा, जहाँ से इस शिक्षा का व्यवहारिक उपयोग कर सकेंगे। शिक्षा के चारित्रिक गुणों के उच्चतम विकास का आधार बताते हुए कहा कि ये वो शिक्षा है, जिसका घर में माता-पिता से प्राप्त प्रारंभिक ज्ञान और संस्कार से होता है। उपाधिप्राप्तकर्ताओं से कहा कि शिक्षा प्रदान करने और योग्य बनाने में माता-पिता ,गुरुजनों तथा वरिष्ठों का बड़ा योगदान होता है इसलिए अपने सामाजिक जीवन की यात्रा में इनका सदैव स्मरण रखें। अपने सम्बोधन में वैश्विक और राष्ट्रिय स्तर पर प्रगति और बदलावो की चर्चा भी की। विद्यार्थियों से कहा कि दुनिया बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है, इसे समझकर स्वयं को निरंतर अपडेट भी करते रहें। कहा भारत युवाओं का देश है आज के दौर में वैश्विक अपेक्षाओं का केंद्र भी है। देश के प्रधानमंत्री द्वारा हमारे युवाओं की क्षमता संवर्धन द्वारा विश्व स्तर पर नेतृत्व दे सकने की क्षमता विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। जिसमें स्टार्टअप, स्वरोजगार, स्पेस की गतिविधियां और नवीन तकनीकी विकास जैसे तमाम क्षेत्रों में अपर संभावनाएं शामिल हैं।  विद्यार्थियों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करते हुए देश के विकास में योगदान देने को कहा।  विश्वविद्यालयों को अध्यापन में मौलिकता और शोधकार्यों को बढ़ावा देने को कहा।

अपने सम्बोधन में  देश में मोटे अनाज के घटते उत्पादन और प्रयोग पर चिन्ता व्यक्त की।  कहा कि स्वास्थय की दृष्टि से इनके लाभकारी होने के कारण आज दुनियाभर में इसकी मांग बढ़ी है।  भारत में हो रही जी-20 देशों की बैठकों की चर्चा भी अपने सम्बोधन में की। बैठकों के उद्देश्य पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि ये बैठकें मानवता के कल्याण के लिए ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम‘‘ की थीम पर आधारित हैं।   विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा भी विविध गतिविधियों के माध्यम से इसमें प्रतिभागिता की अपेक्षा की । कार्यक्रम में  प्राथमिक विद्यालय के विद्यार्थियों को प्रेरणादायक पुस्तकें, बैग एवं फल वितरित किए।उन्होंने आँगन वाड़ी केंद्रों को सुविधा सम्पन्न बनाने की सामग्री भी समारोह में आंगनवाड़ियों को प्रदान की। समारोह में  विश्वविद्यालय की "भारतीय सामाजिक परिप्रेक्ष्य में नारी"और "गतिमान" पत्रिका का विमोचन  किया।  विश्वविद्यालय के  स्वास्थ्य केंद्र का लोकार्पण भी किया।