संस्कारी बहू 

संस्कारी बहू 

फीचर्स डेस्क। अभी कुछ महीने पहले ही तो सामने वाले मकान में वह दुल्हन बन कर आई थी पर उसका स्वागत बहुत ही ठंडे वातावरण में हुआ । कोमल सी लता की तरह स्वर्णिम आभा लिये हुये भयभीत हिरनी की तरह नाम था कनक और उसके जीवन साथी का नाम था स्वप्निल । दोनों का प्रेम विवाह था ना। करोड़ पति एक्स पोर्टर का बेटा दिल दे बैठा एक प्राइमरी स्कूल के अध्यापक की बेटी को। मि. खन्ना और मिसेज खन्ना बस बेटे के कारण झुक गये हालाँकि कसर तो नहीं छोड़ी दोनों को अलग करने में ।

बातों ही बातों में मैने मिसेज खन्ना से कहा तुम्हारी बहू बहुत सुन्दर है तब उन्होने बहुत घूर कर देखा और बोली हमारे स्तर की नहीं है। मै अपनी बालकानी से अक्सर उसे देखती सहमी सी रहती थी सोचती इतनी शिक्षित बच्ची को क्यों पैसो से आंक रहे हैं। अचानक सुबह सुबह बाहर बहुत शोर था । पूछने पर पता चला मि.खन्ना मिसेज खन्ना कल स्वप्निल के साथ रात को किसी कार्यक्रम में गये थे । कनक को तो सास ससुर ले जाना पसंद ही नहीं करते थे । वह अकेली थी घर पर । रात को लौटते समय गाड़ी एक ट्रक से टकरा गयी । ड्राइवर वहीं खत्म हो गया । मि. और मिसेज खन्ना के बहुत चोट थी और स्वप्निल के मामूली चोट थी। सुबह सुबह कनक तुरन्त हास्पिटल पहुँची । उसने बहुत दृढ़ता से स्वप्निल को दिलासा दी और सास ससुर की देखभाल में लग गयी । उसका सेवा भाव देखकर सब नत मस्तक थे ।

आज खन्ना निवास दुल्हन की तरह सजाया जा रहा था  क्योंकि आज कनक का स्वागत नहीं कनक अपने सास ससुर का स्वागत करने को बैचेन थी । मि.खन्ना और मिसेज खन्ना दोनों गाड़ी से उतरे स्वप्निल मां बाप को सहारा देकर ला रहा था। पूरी कालोनी कनक के साथ खड़ी थी। कनक तुरंत बढ़ी और बोली मां पापा आपका स्वागत है आपके इस मन्दिर में आप स्वस्थ होकर आगये ये मेरा उपहार है। दोनों ने उसको गले लगा लिया बोले बेटा हम क्षमा प्राथी हैं आज बेटे से भी बढ कर हमें प्यारी बेटी मिली है। सब कहने लगे आपकी बहू बहुत संस्कारी है इसे कभी पैसे से मत तोलना ।

इनपुट सोर्स : डा. मधु आंधीवाल, मेम्बर फोकस साहित्य ग्रुप।