इश्क़ मेरा मोहताज नहीं
इश्क़ मेरा मोहताज नहीं
किसी एक दिन का
वह तो महसूस होता है रोज
दिल की अनंत गहराइयों से
क्या प्रॉमिस डे ,क्या रोज डे
यह कोई एक दिन का प्यार नहीं है
प्यार तो हर पल हर क्षण होता है
नहीं बांध सकते उसे दिन विशेष से
रखे हैं दिए हुए गुलाब तुम्हारे
मेरी डायरी के पन्नों के बीच आज भी
मुलाकात हो न हो तुमसे
पर एहसास है यह रूहानी
चाहत दिन या समय नहीं देखती
वह दिल की गहराइयों से होती है
इश्क मेरा मोहताज नहीं
किसी एक दिन का।
इनपुट : रेखा मित्तल, चंडीगढ़।