Women's Day Special: छोटी उम्र में इन बेटियों ने कर दिया बड़ा कमाल, पढ़ें इनकी स्टोरी

मंज़िल पर पहुंचना हो तो राह के कांटो से मत घबराना। क्योंकि कांटे ही आगे बढ़ने का हौसला देते है। इस बात को साबित कर दिखाया है 12 ,15 और 16 साल की इन बेटियों ने....

Women's Day Special: छोटी उम्र में इन बेटियों ने कर दिया बड़ा कमाल, पढ़ें इनकी स्टोरी

फीचर्स डेस्क। मंज़िल तक सभी पहुँचना चाहते है। पर हर कोई मंज़िल तक पहुंच नहीं पाता। कभी सोचा है आपने क्यों? क्योंकि मंज़िल तक पहुंचने के लिए बड़े कदमों की नहीं बल्कि सधे कदमों की जरूरत होती है। अगर आपका लक्ष्य निर्धारित है तो आपको आपकी मंज़िल तक पहुंचने के लिए किसी शॉर्टकट की जरूरत नहीं पड़ती। उम्र भी कभी कभी आपके हौसलों के आगे झुक जाती है। जो मुक़ाम बड़े बड़े लोग कई प्रयासों से हासिल नहीं कर पाते वो मुकाम छोटी सी उम्र में इन बच्चों ने हासिल कर लिया। और बनाई अपनी एक अलग पहचान। हमारा आज है हमारी बेटियां। और हमारा आने वाला कल है यही बेटियां जो बनेंगी सशक्त महिला।जिस उम्र में बच्चे खिलौनों से खेलते है उस उम्र में इन बेटियों ने किया न सिर्फ अपने माता पिता का नाम रोशन बल्कि देश को गौरवान्वित भी कर दिखाया। आइए जानते है ऐसी बेटियों के बारे में।

वंडर गर्ल ऑफ इंडिया जाह्नवी पंवार

ज्ञान का उम्र से कोई लेना देना नहीं होता। इस बात का जीता जागता उदाहरण है  हरियाणा की 16 वर्षीय लड़की जाह्नवी पंवार ।जाह्नवी का दिमाग कंप्यूटर से भी तेज भागता है। इस बात का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि उन्होंने 10 साल की उम्र में ही क्लास 10 पास कर ली थी। 13 साल की उम्र में 12 वी की परीक्षा फ़र्स्ट डिविज़न से पास कर ली। 16 साल की उम्र में जाह्नवी आईएएस अफसरों को मोटिवेशनल स्पीच देती है। जाह्नवी को टोटल 9 भाषाओं का ज्ञान है। वो सिर्फ समझती ही नहीं बल्कि बोलने और लिखने में भी सक्षम है। न्यूज चैनल देखकर उन्होंने भाषाओं का ज्ञान लिया। जाह्नवी आईआईटी के बच्चों से लेकर बड़े बड़े इंस्टीट्यूट में मोटिवेशनल स्पीच दे चुकी है। जाह्नवी कहती है कि मैंने खुद को पॉलिश करने के लिए कई लोगो के स्पीच देखे। बुक्स पढ़ी और आईने के आगे प्रैक्टिस की। धीरे धीरे झिझक खत्म होती गई। जाह्नवी का जनरल नॉलेज अच्छा होने के कारण उनको न्यूज चैनल वाले बुलाने लगे इसी कारण उनको वंडर गर्ल का खिताब मिला।

आरना वधावन बनी Hover robotic की न्यू ब्रांड एंबेसडर

12 साल की उम्र बहुत बड़ी उम्र नहीं होती। इस उम्र में बच्चे टीवी या खिलौनों की दुनिया से बाहर ही नहीं निकल पाते। पर इस उम्र में आरना वधावन एक इंटरनेशनल ब्रांड की ब्रांड एंबेसडर बन गई। साथ ही अपने जैसे कई बच्चों के लिए मिसाल भी बन गई। आरना दिल्ली के ज्ञान भारती स्कूल की स्टूडेंट है। वो शुरू से ही पढ़ाई में अव्वल रही।जब आरना क्लास फिफ्थ में थी तब उन्हे ऑल राउंडर किड का अवार्ड भी मिला। तभी से उनकी सफलता की दास्तान शुरू हो गई थी। 12 फरवरी 2021 को इसी क्रम में आरना को hover robotic नाम की कंपनी ने अपना ब्रांड एंबेसडर चुना। बचपन से ही आरना को लोगो की मदद करना पसंद है। वो अपनी पॉकेट मनी से कभी अपने लिए कुछ नही लाती। वो हमेशा गरीब बच्चों को खाना देती है या कोई चीज देती है। आरना का मानना है कि सभी बच्चों को समान अधिकार मिलना चाहिए। आरना के शौक भी और बच्चों से अलग है । कोरोना काल में आरना ने ये महसूस किया कि हमें ऑक्सीजन की कितनी जरूरत है ।इसी बात को ध्यान में रखकर आरना ने अपने घर के आस पास कई पौधे लगाए। साथ ही कुछ बच्चों के साथ मिलकर अपनी सोसाइटी में 65 पेड़ पौधे लगाए जिसके लिए 26 जनवरी 2021 को फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया पद्मश्री जादव पायंग जी ने आरना को प्रोत्साहित किया। आरना को स्कूल से तो हमेशा ही आउटस्टैंडिंग स्टूडेंट का अवार्ड मिलता है ।पर इस बार 2021 में PETA जो कि एक बड़ा एनजीओ है उसकी तरफ से काइंड स्टूडेंट का अवार्ड मिला है।

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किड ऑफ़ द ईयर गीतांजलि राव

दुनिया में अगर आप आए है तो कुछ ऐसा कर दिखाइए कि आपके जाने के बाद भी आपके नाम के चर्चे होते रहे। ऐसा ही एक चर्चित नाम है गीतांजलि राव। भारतीय और अमेरिकी मूल की 15 वर्षीय गीतांजलि 15 साल की सबसे छोटी अविष्कारक और वैज्ञानिक है। बचपन से ही गीतांजलि में कुछ कर दिखाने का जज्बा था। गीतांजलि लोगों को खुश करना चाहती थी और ये इच्छा उनकी उनका लक्ष्य बन गया।टाइम मैगजीन के कवर पर आने का सपना बड़े बड़े लोग देखते है।पर छोटी सी उम्र में गीतांजलि 4 दिसंबर को टाइम मैगजीन के कवर पर दिखी । गीतांजलि को प्रौद्योगिकी के उपयोग से सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए चुना  गया है। टाइम मैगजीन ने किड ऑफ़ द ईयर के लिए नॉमिनेशन मांगे थे। जिसमें 5000 लोग नॉमिनेट हुए। गीतांजलि ने 5000 लोगों में पहला स्थान हासिल किया। छोटी सी उम्र में ही गीतांजलि ने एक एप का निर्माण किया जो कि बहुत यूजफुल है। गीतांजलि खुद पर भरोसा रखती है। उनका मानना है कि अगर कोई और वो काम कर सकता है तो वो क्यों नहीं। गीतांजलि ने 15 साल की उम्र में ही एक ऐसा सेंसर बनाया है जो कि पानी में लेड की मात्रा का पता लगाएगा। गीतांजलि को अपने प्रयोगों में इनोवेशन करना बहुत पसंद है इसी कारण गीतांजलि यंग साइंटिस्ट का अवार्ड भी हासिल कर चुकी है।

अगर आपके बच्चों में भी है कुछ कर दिखाने का जुनून तो आप भी दे उनका पूरा साथ और निखारे उनकी काबिलियत को । क्योंकि प्रतिभाशाली बच्चों के लिए उम्र रुकावट नहीं बन सकती। आपके आस पास भी है ऐसी कोई प्रतिभाशाली बेटी तो हमे बताए।

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