कौन हैं विक्रम गोखले जिनकी मौत की खबर चैनलो ने मरने से पहले ही चला दी

कौन हैं विक्रम गोखले जिनकी मौत की खबर चैनलो ने मरने से पहले ही चला दी

फीचर्स डेस्क। दो दिन से विक्रम गोखले खबरों में हैं। जो नाम से नहीं पहचान पा रहे, उन्हें बता देती हूं कि विक्रम गोखले मराठी और हिंदी के जाने-माने अभिनेता हैं। जो खबर है, वो अच्छी नहीं है। विक्रम वेंटिलेटर पर हैं और कल तो किसी चैनल ने उनके दिवंगत होने की ही खबर लगा दी थी। इतनी जल्दी भी क्या, जब उनकी पत्नी और बेटी खुद हर घंटे में स्टेटमेंट दे रहे हैं कि विक्रम अभी हैं, उनकी हालत क्रिटिकल बनी हुई है। पर उम्मीद गई नहीं है।

विक्रम से मेरा क्या नाता है? वही जो एक फैन का अपने चहेते कलाकार से होता है। वो भी तब जब मैं जिंदगी को अपनी तरह से समझने की कोशिश में लगी थी। विक्रम गोखले ने 1983 में एक मराठी सीरियल श्वेताबंरा में ग्रे शेड का किरदार निभाया था।

उससे पहले आपको थोड़ा अपने बारे में बताती चलूं। हम लोग भिलाई से मुंबई आ चुके थे। मैंने एमकॉम में एडमिशन लिया। मुंबई से लगभग 67 किलोमीटर दूर पनवेल में मेरी दीदी रजनी को अपनी कंपनी एचओसी की तरफ से स्टॉफ क्वाटर अलॉट हुआ। वहीं उसी घर में पहली बार ब्लैक एंड व्हाइट टीवी आया। हम कृषि दर्शन से ले कर चित्रहार तक हर कार्यक्रम देखते। टीवी पर शाम के वक्त मराठी धारावाहिक आया करते। पूरी तरह समझ नहीं आता, पर कुछ तो आ ही जाता था।

श्वेतांबरा शुरू होने के बाद से मैं और मेरी बहन नलिनी लगातार यह सीरियल देखने लगे। इसके पीछे एक बड़ी वजह थी, विक्रम गोखले का होना। उनकी भारी आवाज, लहीम-शहीम कदकाठी, रौबदार मूंछें और बोलती हुई आंखें, कुछ तो जादुई सा था उनमें जो धारावाहिक के नायक मोहन गोखले के बजाय हम दोनों को खलनायक विक्रम ज्यादा लुभाने लगे।

ये धारावाहिक अर्से तक जहन में बना रहा। वो किशोरावस्था की उम्र भी कुछ ऐसी थी कि मन में प्रिय पुरुष की छवि बनने लगी थी। मन में गुदगुदी सी उठी कि अपना जब कोई प्रिय पुरुष होगा तो उसे विक्रम गोखले की तरह होना चाहिए।

इसके कुछ सालों बाद मैं मीडिया में आ गई। एक बार फिल्म सिटी में किसी स्टार का, शायद अनिल कपूर का इंटरव्यू लेने गई थी। मैं एक चबूतरे पर बैठकर उनके सीन्स खत्म होने का इंतजार कर रही थी कि सामने से मुझे एक चिरपरिचित चेहरा आता दिखा। मैं एकटक बस देखती रही। विक्रम गोखले। उस समय वो धोती कुर्ता और पगड़ी में थे। वही शहाना व्यक्तित्व और वही रौबीला अंदाज। मैं ठगी सी खड़ी रही। वो मेरे सामने से मुस्कराते हुए निकले। उन दिनों मोबाइल तो था नहीं कि उनके साथ फोटो खींच लेती। बस कहने को ये रहा कि मैंने विक्रम गोखले को देखा, वो भी सामने से।

इसके बाद मुझे अपने दफ्तर की मराठी कलीग्स से पता चला कि विक्रम गोखले की आई और दादी दोनों मराठी फिल्मों में काम करती थीं। दादी तो शायद मराठी की पहली महिला अदाकारा थीं।

मैंने दूरदर्शन पर विक्रम गोखले की मराठी फिल्में कभी मिस नहीं की। दिल्ली आने के बाद एक बार फिर उनसे मोहब्बत हुई हम दिल दे चुके सनम की नायिका नंदिनी के पिता के रूप में उन्हें देख कर।

गजब का अभिनय किया था विक्रम गोखले ने और कई दृश्यों में सलमान खान और एश्वर्या को खा ही गए।

77 साल के विक्रम कुछ महीने पहले तक फिल्मों में काम कर रहे थे। टीवी से जरूर उन्होंने दूरी बना ली, पर मराठी फिल्मों में अभी भी उन्हें अच्छी भूमिकाएं मिल रही थीं। वैसे मराठी फिल्म अनुमति के लिए उन्हें बेस्ट एक्टर का नेशनल अवार्ड मिल चुका है। यह फिल्म यू ट्यूब पर है। आज उन्हें इसलिए भी याद कर रही हूं कि ये दुआ किसी ना किसी तरह उनके पास जरूर पहुंचे कि उन्हें तो अभी कई और लड़कियों के दिल धड़काने हैं। अभी हमें भी उन्हें कई नई भूमिकाओं में देखना है। अभी ना जाएं विक्रम जी।

इनपुट सोर्स : वरिष्ठ लेखिका जयंती रंगनाथन के वाल से