इस बार बंगला साज सज्जा वाली मूर्तियों की रहेगी भरमार, मूर्तियों को दिया जा रहा फाइनल टच

इस बार बंगला साज सज्जा वाली मूर्तियों की रहेगी भरमार, मूर्तियों को दिया जा रहा फाइनल टच

वाराणसी सिटी। काशी में वसंत पंचमी पर विद्या की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती की पूजा अत्यन्त धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनायी जाती है। शहर में क्लबों के अलावा घरों व विद्यालयों में भी सरस्वती पूजनोत्सव की धूम दिखायी पड़ती है। एक ओर जहां सरस्वती पूजनोत्सव को लेकर पूजा आयोजक जुटे हुए हैं वहीं शिल्पकार भी तेजी से वाग्देवी की प्रतिमाओं को गढ़ने में लगे हैं। प्रतिमाओं को तैयार करने का कार्य शिल्पकारों के यहां काफी तेजी से चल रहा है। अभी रंग रोगन का कार्य बाकी है।

वाग्देवी की प्रतिमाओं पर अभिनव प्रयोग

इस बार सरस्वती पूजनोत्सव 26 जनवरी को मनाया जायेगा। इस बार भी शिल्पकार वाग्देवी की प्रतिमाओं पर अभिनव प्रयोग कर रहे हैं। वैसे पूजा आयोजकों की डिमांड व पसंद को ध्यान में रखते हुए शिल्पकार प्रतिमाओं को अंतिम स्वरूप देने में जुटे हैं। इस बार पूजा पंडालों में कहीं कोलकाता के पुराने रिक्शे पर सवार होकर वाग्देवी सवारी करती हुई दिखेंगी तो कहीं पर केले के पत्ते पर विराजमान रहेगी। कहीं पर हंस मां सरस्वती को रिक्शे पर बैठा कर खींचता नजर आयेगा। इसके अलावा कहीं पर कमल के पुष्प पर तो कहीं पर गुंबज पर बैठी मां नजर आयेंगी।

रात-दिन जुटे हैं कारीगर

देवनाथपुरा स्थित विश्वनाथ मूर्ति कला भवन के शिल्पकार गोपालचन्द्र डे बताते हैं कि इस बार उनके कारखाने में 68 प्रतिमाएं बनीं हैं। मौसम की मार के चलते प्रतिमाओं के सूखने में दिक्कतें आ रही हैं। उनके यहां प्रतिमाओं को तैयार करने में कोलकाता कुम्हार टोली के पांच कारीगर रात-दिन जुटे हुए हैं। प्रतिमाओं का नेत्र तैयार करने में सुनील पाल व परिधान धारण कराने के लिए रसिया पाल, मानू पाल व बापी पाल हैं। जबकि डिजाइनिंग व आभूषण पहनाने का कार्य गोपालचन्द्र डे करते हैं। वे बताते हैं कि इस बार बंगली शैली व आधुनिक जेवरात से सजी धजी वाग्देवी की प्रतिमाओं की भरमार रहेगी। मां सरस्वती की अधिकतर प्रतिमाएं 6 से लेकर 12 फुट तक की हैं। आधुनिक बंगला शैली की प्रतिमा 8 फुट की है। भोजूबीर की 9 फुट की प्रतिमा में बैक ग्राउण्ड में गणेशजी हैं। जबकि उनके आगे मां सरस्वती वीणा वादन करते हुए हैं।

इसी तरह शिवपुर में 11 फुट की मां वीणा वादन करते हुए दिखेंगी। एक मूर्ति में तो कालीदास जिस पेड़ की डाल पर बैठे हैं उसी को काट रहे हैं और बगल में मां सरस्वती वीणा वादन करती हुई दिखेंगी। खोजवां में कमल पुष्प मां बैठी रहेंगी जबकि उनके ऊपर सूरज की छटां दिखेगी। कोलकाता के प्राचीन रिक्शा पर भी मां सवारी करती नजर आयेंगी। चौकीघाट में मां एक गुंबज में बैठी दिखेंगी। जबकि काशीपुरा में पंचमुखी सांप के बीच में मां बैठी नजर आयेगी। अभी रंग-रोगन का काम बाकी है। इसी तरह देवनाथपुरा के शिल्पकार निर्मल दादा, बंशीचरण पाल के कारखाने के अलावा अन्य जगहों पर भी प्रतिमाओं का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है।