सोम प्रदोष व्रत है 11 जुलाई को, व्रत करने से बरसेगी भक्तों पर शिव जी की कृपा

भगवान शिव जी की आराधना का व्रत है प्रदोष व्रत है। सोम प्रदोष व्रत 11 जुलाई को आएगा, इस दिन शिव जी का व्रत करने वाले भक्तों पर बरसेगी भोलेनाथ की कृपा, होगी ऐश्वर्य और वैभव की प्राप्ति। साथ ही आरोग्य सुख के साथ होती है सौभाग्य में अभिवृद्धि। आइए जानते है व्रत करने से क्या होंगे लाभ....

सोम प्रदोष व्रत है 11 जुलाई को, व्रत करने से बरसेगी भक्तों पर शिव जी की कृपा

फीचर्स डेस्क।  भगवान शिव एकमात्र ऐसे देवता हैं जिन्हें 33 कोटि देवी देवताओं में देवाधी देव माना गया है। भगवान शिव जी की विशेष कृपा प्राप्ति के लिए शिव पुराण में कई व्रतों का उल्लेख है जिसमें एक प्रदोष व्रत है। प्रदोष व्रत से जीवन में सुख समृद्धि आती है साथ ही समस्त दोषों का नाश भी होता है। प्रत्येक माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि जो प्रदोष बेला में मिलती है उसी दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है। सूर्यास्त और रात्रि के संधि काल को प्रदोष काल माना गया है। प्रदोष काल का समय सूर्यास्त से 48 मिनट या 72 मिनट तक माना गया है। इसी अवधि में शिवजी की पूजा प्रारंभ करने की परंपरा है। एस्ट्रोलॉजर विमल जैन ने बताया कि इस बार 11 जुलाई सोमवार को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 11 जुलाई सोमवार को प्रातः 11:14 पर लगेगी जो कि 12 जुलाई मंगलवार को प्रातः 7:45 तक रहेगी। प्रदोष वेला में ज्योतिषी का मान 11 जुलाई सोमवार को होने के कारण प्रदोष व्रत किस दिन रखा जाएगा सोमवार शिव जी का प्रिय दिन है इससे सोम प्रदोष अति महत्वपूर्ण हो गया है।

दिनों के अनुसार प्रदोष व्रत के लाभ

एस्ट्रोलॉजर विमल जैन ने बताया कि प्रत्येक दिन के प्रदोष व्रत का अलग-अलग प्रभाव है। दिनों के अनुसार साथ प्रदोष व्रत बतलाए गए हैं। जैसे रवि प्रदोष आयु आरोग्य सुख समृद्धि देता है वही सोम प्रदोष शांति और रक्षा और सौभाग्य में वृद्धि के लिए किया जाता है। भौम प्रदोष कर्ज से मुक्ति बुध प्रदोष मनोकामना की पूर्ति गुरु प्रदोष विजय और लक्ष्य की प्राप्ति शुक्र प्रदोष आरोग्य सौभाग्य और मनोकामना की पूर्ति और शनि प्रदोष पुत्र सुख की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। अभीष्ट की पूर्ति के लिए 11 प्रदोष व्रत या वर्ष के समस्त त्रयोदशी तथ्यों का व्रत और मनोकामना पूर्ति होने तक प्रदोष व्रत रखने की मान्यता है।

प्रदोष व्रत का विधान

एस्ट्रोलॉजर विमल जैन ने बताया कि व्रत करने वाले को प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर समस्त दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान ध्यान करके अपने आराध्य देवी देवता की पूजा अर्चना करनी चाहिए फिर अपने दाहिने हाथ में जल पुष्प गंध और कुछ लेकर प्रदोष व्रत का संकल्प लेना चाहिए।  पूरे दिन निराहार रहते हुए सांयकाल पुनः स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहन कर पूर्व या उत्तर मुख करके प्रदोष काल में भगवान शिव जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए।

भगवान शिव को क्या करें अर्पित

भगवान शिव का अभिषेक करके उन्हें वस्त्र, यज्ञोपवीत , आभूषण सुगंधित द्रव्य के साथ बेलपत्र कनेर, धतूरा ,मदार ,रितु पुष्प, नैवेद्य जो भी सुलभ हो अर्पित करके श्रृंगार करना चाहिए ।उसके बाद धूप दीप प्रज्वलित करके आरती करनी चाहिए। पंचोपचार दशोपचार या षोडशोपचार से पूजा-अर्चना करनी चाहिए। धार्मिक परंपरा के अनुसार जगत जननी माता पार्वती की भी पूजा अर्चना करने का विधान है।  शिवभक्त अपने मस्तक पर तिलक लगाकर शिवजी की पूजा करें तो उन्हें शीघ्र फल मिलता है। भगवान शिव की महिमा में उनकी प्रसन्नता के लिए प्रदोष व्रत कथा का श्रवण जरूर करें तभी व्रत का फल मिलता है । अपनी सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों को उपयोगी वस्तु का दान करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करें और उनकी सेवा सहायता अवश्य करें ।

ऐसे श्रद्धा और भक्ति भाव से प्रदोष व्रत करने से जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।