संस्कृत को रोजगारपरक पाठयक्रमों से जोड़ना होगा : प्रो. हरेराम त्रिपाठी

संस्कृत को रोजगारपरक पाठयक्रमों से जोड़ना होगा : प्रो. हरेराम त्रिपाठी
वाराणसी । सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के नवागत कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी को अध्यापक परिषद और कर्मचारी संघ ने सोमवार को सम्मानित किया। पाणिनी भवन में आयोजित कार्यक्रम में कुलपति ने कहा कि मेरे लिये यह सौभाग्य का विषय है कि मैं यहाँ का छात्र रहा और अब कुलपति पद का दायित्व मिला है। इस विश्वविद्यालय में परम्परा का संरक्षण और संवर्धन होता है।उन्होंने कहा भारत में जितने भी संस्कृत विश्वविद्यालय हैं, वहाँ अधिकांश अध्यापक और कुलपति यहीं से गये हैं। यह संस्था गंगानाथ झा, गोपीनाथ कविराज जैसे ऋषियों और साधकों की तपोभूमि है। मेरा यह संकल्प है कि मैं यहां के अध्यापकों, कर्मचारियों और छात्रों के सहयोग से इसे विश्व के मानक पर ले जाने का प्रयास करूंगा। मेरा यह भी प्रयास होगा कि इसे आज की चुनौतियों के अनुरूप विकास के पथ पर अग्रसर करूंगा, संस्कृत को रोजगारपरक पाठयक्रमों से जोड़ना होगा। नयी शिक्षा नीति के अनुरूप पाठ्यक्रम बनाना हमारी प्राथमिकता होगी। छात्रों के लिये नि:शुल्क कोचिंग और रोजगारपरक पाठयक्रम बनाये जायेंगे। 
सम्मान समारोह में पद्म भूषण प्रो देवी प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि काशी विश्व में अद्भूत नगरी है। सपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय विश्व की प्राचीनतम संस्था का कुलपति होना गौरव का विषय है। कुलपति प्रो त्रिपाठी यहां के छात्र रहे हैं। यह अवसर है कि वह संस्था के ऋण को चुकाएं। कुलपति इस विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने का प्रयास करें। समारोह में प्रो. रामपूजन पाण्डेय, प्रो. जितेन्द्र कुमार, प्रो. पी.एन. सिंह, प्रो. हरिप्रसाद अधिकारी, प्रो. बृजभूषण ओझा ने भी विचार रखे।
 कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुनील तिवारी ने कुलपति को कर्मचारियों और विश्वविद्यालय की समस्याओं से अवगत कराया। साथ ही हर सम्भव सहयोग का आश्वासन दिया। समारोह के प्रारम्भ में प्रो. महेन्द्र पाण्डेय ने वैदिक और प्रो. राघवेन्द्र दुबे ने पौराणिक मंगलाचरण प्रस्तुत किया। संचालन अध्यापक परिषद के महामंत्री प्रो. शैलेश कुमार मिश्र तथा अध्यक्षता परिषद अध्यक्ष प्रो शम्भुनाथ शुक्ल, धन्यवाद ज्ञापन मन्त्री डाॅ रविशंकर शुक्ल ने किया।