President Polls: राष्ट्रपति चुनाव ने विपक्षी एकता की संभावनाओं पर लगाया ग्रहण, सभी दलों में पड़ी फूट

President Polls: राष्ट्रपति चुनाव ने विपक्षी एकता की संभावनाओं पर लगाया ग्रहण, सभी दलों में पड़ी फूट

नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी एकता ही नहीं चरमराई बल्कि विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का समर्थन करने वाले सभी दलों में फूट पड़ी। इस चुनाव ने भविष्य में विपक्षी एकता की संभावनाओं पर भी ग्रहण लगा दिया। उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा का समर्थन न करने का टीएमसी का फैसला बताता है कि भविष्य में विपक्षी दलों में एकता कायम होने के बदले इनमें तकरार बढ़ेगी।

राष्ट्रपति चुनाव में 17 सांसदों और 125 विधायकों ने अपनी पार्टी के रुख के इतर राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन किया। 12 राज्यों के कांग्रेस  विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। इसमें अकेले असम के करीब दो दर्जन विधायक और मध्य प्रदेश में एक दर्जन विधायकों ने यशवंत को वोट नहीं दिया। इस चुनाव में राजग के पास करीब 49 फीसदी तो विपक्ष के पास 51 फीसदी वोट थे। 


जबकि मुर्मू को करीब 64 फीसदी तो यशवंत को करीब 36 फीसदी ही मत मिले। दरअसल, गैर राजग बीजेडी, बसपा, वाईएसआर कांग्रेस, टीडीपी जैसे दलों ने राजग उम्मीदवार का पलड़ा भारी कर दिया। रही-सही कसर झामुमो, जदएस जैसे दलों ने पाला बदलकर पूरी कर दी। इसके बाद बड़ी संख्या में क्रॉस वोटिंग ने हार-जीत का अंतर बड़ा कर दिया।