किन्नर समुदाय के मृत आत्माओं की शांति के लिए किया पिंडदान

किन्नर समुदाय के मृत आत्माओं की शांति के लिए किया पिंडदान

वाराणसी। किन्नर समुदाय के मृत आत्माओं की शांति हेतु सनातन परंपरानुसार, मंगलवार को पिशाचमोचन स्थित कुंड पर अंतिम संस्कार किया गया। सनातन परंपरा के अनुसार, पहले ज्ञात और फिर अज्ञात आत्माओं की शांति के लिए पिंडदान किया गया। इसके बाद उन आत्माओं की शांति के लिए श्राद्ध भी किया गया।

पिंडदान स्थल पर मौजूद एक पंडित ने बताया कि अगहनी पितृपक्ष का महत्व काफी ज्यादा है। किन्नर समाज सनातनी परम्परा को मानने वाला है। किन्नरों के मरने के बाद उनका अंतिम संस्कार तो कर दिया जाता है। लेकिन पिंडदान या श्राद्धकर्म नहीं होता। उन्हीं आत्माओं की शांति के लिए यहां पिंडदान किया जा रहा है।

किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के नेतृत्व में यह आयोजन हुआ। इस दौरान महामंडलेश्वर ने बताया कि वे वर्ष 2016 से यह कर्म करती आ रही हैं। सनातन धर्म में यह विधान है कि हम सामूहिक पिंडदान पिशाचमोचन कुंड अथवा बद्री कुंड पर ही कर सकते हैं। इसलिए हम हर साल पिशाचमोचन कुंड पर किन्नर समाज के मृत लोगों की आत्माओं की शांति और मुक्ति के लिए श्राद्ध कर्म करते हैं।